Author: Bikram Singh Bhandari

बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।

उत्तराखंड लोक सेवा आयोग द्वारा आज उत्तराखंड कनिष्ठ सहायक के 445 पदों पर भर्ती का विज्ञापन जारी कर दिया गया है। पूर्व निर्धारित परीक्षा कैलेंडर के अनुसार यह भर्ती प्रक्रिया संपन्न कराई जाएगी। उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने कुछ दिन पहले कनिष्ठ सहायक और अन्य भर्तियों  के अधिचयन अपूर्ण होने के कारण सुधार के लिए भेज दिए थे। इन पदों में आरक्षण की स्थिति , रिक्त पदों की संख्या या सेवा नियमावली सम्बंधित कमिया थी। ये कमिया कम करके आज बुधवार 30 नवंबर 2022 को  कनिष्ठ सहायक भर्ती विज्ञापन उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की आधिकारिक वेबसाइट psc.uk.gov.in पर जारी कर…

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कुमाउनी कवि और हास्य व्यंग लेखक विनोद पंत खंतोली जी कि कुमाऊनी भाषा में हास्य व्यंग की किताब फसकटेल बाजार में बिकने के लिए उपलब्ध हो गई है। मूल रूप से बागेश्वर के खंतोली गाव के निवासी विनोद पंत जी वर्तमान में हरिद्वार में निवास करते हैं। कुमाऊनी भाषा के संरक्षण और संवर्धन के लिए समर्पित पंत जी के लेख और कविताएं ऑनलाइन और ऑफलाइन  दोनो प्रकार के माध्यमों में छपते रहते हैं। दुधबोली कुमाऊनी के संरक्षण के लिए प्रयासरत पंत जी ,कुमाऊनी भाषा के संरक्षण के लिए होने वाले सभी कार्यक्रमों में अग्रणीय रूप से भाग लेकर वहां श्रोताओं…

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उत्तराखंड सरकार ने प्रसिद्ध कवि गीतकार ,संवाद लेखक और वर्तमान सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष  पद्मश्री प्रसून जोशी को आधिकारिक रूप से उत्तराखंड का ब्रांड एम्बेसडर नियुक्त किया है। कला, साहित्य ,प्रबंधन क्षेत्रों में  श्री प्रसून जोशी जी को काफी अनुभव है। और उत्तराखंड का ब्रांड एम्बेसडर नियुक्त होने के बाद यह अनुभव उत्तराखंड के लिए लाभकारी होगा। प्रसून जोशी उत्तराखंड की संस्कृति ,तीर्थ पर्यटन आदि मामलो में होंगे ब्रांड एम्बेसडर। उत्तराखंड के ब्रांड एम्बेसडर प्रसून जोशी के बारे में बहुमुखी प्रतिभा के धनी प्रसून जोशी जी का जन्म  उत्तराखंड के अल्मोड़ा के दन्या गावं में 16 सितम्बर 1968 को हुवा…

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देवभूमी उत्तराखंड को प्रकृति ने रमणीय सुंदरता के साथ स्थान स्थान पर कई रहस्मयी चीजें भी प्रदान की हैं। यहां एक से बढ़कर एक विशाल पर्वत शिखर सुन्दर बुग्यालों के साथ कई रहस्यों को समेटे एक से बढ़कर एक गुफाएं स्थित हैं। यहाँ पाताल भुवनेश्वर जैसी गुफा है जिसके बारे कहा जाता कि कलयुग के अंत का राज इसी गुफा में छुपा है। आज इस लेख में हम उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित एक ऐसी ही रहस्य्मयी गुफा थकुली उडियार के बारे में रोचक जानकारी साँझा कर रहें हैं। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के चौखुटिया से लगभग 13 किलोमीटर…

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मार्गशीर्ष की अमावस्या को मनाया जाने वाला यह उत्सव ,हिमालयी क्षेत्रों का एक खास त्यौहार है ,जो मैदानी दीवाली के ठीक एक माह बाद मार्गशीष की अमावस्या को मनाया जाता है। हिमाचल और उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में इसे कहीं बूढी दीवाली कही ,कोलेरी दीवाली ,पहाड़ी दिवाली के नाम से मनाया जाता है। उत्तराखंड के टिहरी ,उत्तरकाशी जनपदों के रवाईं ,जौनपुर उत्तरकाशी ,टनकौर आदि में बग्वाली, मंगसीर बग्वाल और जौनसार बावर में यह पर्व बूढ़ी दीवाली के नाम से पांच दिन मनाया जाता है। इसे पढ़े –  जौनसार की बूढी दीवाली के बारे में विस्तार से यहाँ पढ़े। क्यों मानते…

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मित्रों बचपन में हमने अपने दादा दादी नाना नानी से कई कुमाउनी और गढ़वाली लोकथाएँ सुनी हैं। उन्ही में से एक कुमाऊं के द्वाराहाट क्षेत्र के आस पास की स्यूंराजी बोरा और भ्यूंराजी बोरा की लोक कथा है। यह कहानी इतनी रोमांचक है ,यदि कोई इस लोक कथा पर फिल्म बनाना चाहें तो ,बाहुबली और कांतारा से अच्छी फिल्म बन सकती है ,एक्शन रोमांच ,सस्पेंस सब कुछ है इस लोक कथा में। ..तो शुरू करते हैं…. स्यूंराजी बोरा के पिता का नाम झुपुवा बोरा , माँ का नाम झुपुली बौराणी और भाई का नाम भ्यूंराजी बोरा और चाचा का नाम…

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एक कौए के नौ कौवे एक प्रसिद्ध कुमाउनी लोक कथा है। जनज्यूड़ा गांव में एक खीम सिंह नामक बड़े सीधे -साधे व्यक्ति थे। उन्हें प्यार से लोग खिमदा करके बुलाते थे। वे सुबह दिशा खुलने से पहले, उठ जाते थे। हाथ में लोटा लेकर ,कान में जनेऊ लपेट कर वे दूर जंगल की नित्यकर्म हेतु जाते थे। फिर नाह धोकर  दो तीन घंटे तक पूजा करते थे। एक दिन जब अँधेरा ही था ,खिमदा हाथ में लोटा लेकर नित्यकर्म करने जंगल की ओर गए। जब एक झाड़ी की ओट में  बैठ कर पाखाना करने लगे तो वही एक कौए का पंख…

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बुधवार 16 नवंबर 2022 को उत्तराखंड सरकार ने कई अहम प्रस्ताव पास किये, जिनमे प्रमुख है, नैनीताल हाईकोर्ट शिफ्ट होने का प्रस्ताव पर मुहर। प्राप्त सुचना के आधार पर जल्द नैनीताल हाईकोर्ट हल्द्वानी शिफ्ट होगा। इसके अलावा इन प्रमुख प्रस्तावों पर धामी कैबिनेट ने अपनी मुहर लगाई। उत्तराखंड कैबिनेट ने धर्मांतरण कानून को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट ने चंपावत में नया RTO ऑफिस खोलने पर मुहर लगाई है। उत्तराखंड दुकान एवं स्थापन 2022 प्रख्यापन और अग्निशमन नियमावाली को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। उत्तराखंड सरकार कैबिनेट बैठक में कुल 29 प्रस्ताव लाए गए। उत्तराखंड में धर्मांतरण कानून को…

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उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार एक ऐसा गीत रिलीज हुवा है जिसे, उत्तराखंड के लगभग सभी प्रसिद्ध गायकों ने आवाज दी है। चांदनी इंटरप्राइजेज के यूट्यूब चैनल से बेडु पाको गीत का नया वर्ज़न उत्तराखंड स्थापना दिवस के शुभावसर पर देहरादून से रिलीज हुवा है। इस गीत की सबसे बड़ी खासियत यह है कि, इतिहास में पहली बार कुमाऊं, गढ़वाल, और जौनसार के सभी  दिग्गज लोकगायकों एक साथ एक गीत में अपनी आवाज दी है। उत्तराखंड के इन मोतियों को एक माला में पिरोने का काम किया है ,चांदनी इंटरप्राइजेज के नवीन टोलिया जी ने। उत्तराखंड के अघोषित राज्य…

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उत्तराखंड के नाम पर आधारित पौराणिक कहानी-  हिमालय की गोद में बसा प्राकृतिक प्रदेश उत्तराखंड का गठन 09 नवंबर 2000 को उत्तराँचल नाम से हुवा किन्तु दिसम्बर 2006 को इसका पुनः नाम उत्तराखंड कर दिया गया। पौराणिक ग्रंथो में केदारखंड ,मानसखंड और हिमवंत के नाम से प्रसिद्ध इस भू भाग को उत्तराखंड का नाम महाभारत काल में मिला। उत्तराखंड के नाम के पीछे ये महाभारतकालीन घटना को बताया जाता है। तदनुसार  महाभारत काल में उत्तराखंड के भू भाग में ,राजा विराट राज्य करते थे ,उनकी राजधानी कत्यूरकालीन बैराठ (गेवाड़) थी। महाभारत की कथानुसार हम सबको विदित है कि ,पांच पांडवो…

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