Wednesday, April 17, 2024
Homeमंदिरशेषनाग देवता मंदिर उत्तराखंड, जहाँ प्रतिवर्ष नागपंचमी पर भव्य मेला लगता है

शेषनाग देवता मंदिर उत्तराखंड, जहाँ प्रतिवर्ष नागपंचमी पर भव्य मेला लगता है

श्रवण मास की पंचमी को समस्त देश में सनातन धर्म के लोग नागपंचमी योहार के रूप में मानते हैं। उत्तराखंड में नागों को विशेष महत्व दिया जाता है। उत्तराखंड के सभी मंडलों में नागदेवता को लोकदेवता के रूप में पूजा जाता है। यहाँ शेषनाग देवता से लेकर कालियानाग और उसके समस्त परिवार की पूजा होती है। सावन की पंचमी के दिन पड़ने वाली नागपंचमी को भी उत्तराखंड बड़े उत्त्साह और श्रद्धा भक्ति से मनाया जाता है। उत्तराखंड के शेषनाग देवता मंदिर में नागपंचमी के दिन भव्य मेला लगता है।

उत्तराखंड में कहाँ है शेषनाग देवता मंदिर-

उत्तराखंड में शेषनाग देवता मंदिर उत्तरकाशी बड़कोट तहसील के कुपड़ा गांव में स्थित है। यह गांव यमुनोत्री धाम के निकट यमुना घाटी में स्थित है। स्यानचट्टी से 6 किमी वाहन द्वारा और लगभग ३ किलोमीटर पैदल चलने के बाद आप इस भव्य मंदिर में पहुंच जायेंगे। यह मंदिर बहुत भव्य और अद्भुद कलाकारी का नमूना है। बताया जाता है कि 2008  इस मंदिर का जीर्णोद्वार करवाया गया। देवदार की लकड़ी और सूंदर पत्थरों को तराश कर बनाया गया यह मंदिर रमणीय है।

शेषनाग देवता पर कुपड़ा गावं के साथ साथ बाहरी लोगों की भी अगाध आस्था है। यहाँ प्रतिवर्ष नागपंचमी को भक्ति और श्रद्धा का अगाध सैलाब उमड़ता है। कुपड़ा गावं के बारे में कहा जाता है कि  यहाँ लगभग ६०० की जन आबादी है। और इस गांव के लोगों ने 30 साल पहले नागदेवता को साक्षी मानकर शराब न पीने की कसम खा ली।  गांव के लोगों का मानना है कि यदि वे शराब को हाथ लगाएंगे तो शेषनाग देवता नाराज हो जायेंगे। और तब से आज तक लोग इस कसम का पालन कर रहें हैं। इसके अलावा कुंसला ,त्रिखाली , ओजली आदि आसपास के गावों में इस परम्परा का निर्वाहन किया जाता है। कुपड़ा गांव और आस पास के गावों में शराब पीने के साथ साथ पिलाना भी बंद है। मेहमाननवाजी या दावत में यहाँ के लोग , घी  .दूध दही ,छास परोसी जाती है।

शेषनाग देवता मंदिर उत्तराखंड, जहाँ प्रतिवर्ष नागपंचमी पर भव्य मेला लगता है

नागपंचमी के दिन लगता है भव्य मेला

Best Taxi Services in haldwani

अगस्त माह में हिन्दू धर्म के पवित्र सावन माह की पंचमी के दिन नागपंचमी पर्व के उपलक्ष में भव्य मेले का आयोजन होता है। देवडोलियों के साथ लोकनृत्य तांदी की धूम रहती है। गावं के साथ साथ बाहर के लोग भी यहाँ मेले में हर्षोउल्लास से भाग लेते हैं। मेले में दूध दही की होली खेली जाती है। अपने गांव ,परिजनों और पशुओं की खुशहाली की कामना के साथ ,गांव के लोग अपनी  गाय और भैसों का दूध ,दही ,मख्खन और छास ,नाग देवता को चढ़ाते हैं। यहाँ मेले के दिन पारम्परिक लोक नृत्यों और लोकगीतों का आयोजन भी किया जाता है। इस अवसर पर भक्त  देवता के साथ साथ जाखेश्वेर महादेव और शमेंश्वेर देवता का आशीर्वाद भी लेते हैं।

शेषनाग देवता का मेला  जैसे उत्तराखंड के मेले और परम्पराएं उत्तराखंड की  अमूल्य धरोहर है। हमे इन्हे सहेजकर अपनी आने वाली पीढ़ी को इसकी जानकारी देनी चाहिए।

इन्हे भी पढ़े _

मोस्टमानु मंदिर ,सोर घाटी के सबसे शक्तिशाली मोस्टा देवता का मंदिर,जिन्हे वर्षा का देवता कहा जाता है।
उत्तराखंड के लाटू देवता मंदिर में भी साक्ष्यात नागराज का वास माना जाता है।

Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
RELATED ARTICLES
spot_img
Amazon

Most Popular

Recent Comments