श्रीदेव सुमन पर एक कविता ,लेखक – प्रदीप बिजलवान विलोचन। श्रीदेव सुमन मात्र 29 वर्ष की छोटी सी उम्र में अपने राज्य, अपने पहाड़ी समाज अपने टिहरी गढ़वाल और अपने उत्तराखंड के लिए ऐसा कार्य कर गए , जिससे उनका नाम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में सदा सदा के लिए अमर हो गया। श्री देव सुमन जी ने राजशाही के अत्याचारों के खिलाफ अंदोलन करके शहीद हो गए थे। 25 जुलाई को श्रीदेव सुमन जी की पुण्यतिथि है। इसे उनके शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। श्री देव सुमन की कहानी को काव्यात्मक लहजे में टिहरी गढ़वाल के…
Author: Bikram Singh Bhandari
फ्यूंलानारायण मंदिर – उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है यहाँ साक्षात् देवो का वास है। उत्तराखंड का हिमालयी क्षेत्र अपने आप में कई अद्भुत रहस्यों को समेटे हुए है। और अपनी अनोखी मान्यताओं और समृद्ध संस्कृति के लिए हिमालय का यह भूभाग ( केदारखंड और मानसखंड ) हमेशा चर्चाओं में रहा है। उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ ब्लॉक के उर्गम घाटी में भगवान् नारायण का ऐसा ही एक रहस्यमई मंदिर है जहाँ पुरुष पुजारी के साथ महिला पुजारी भी नियुक्त है और प्रतिदिन भगवान् का शृंगार केवल महिला पुजारी करती है। समुद्रतल से लगभग 10000 फ़ीट की ऊंचाई पर…
गाती धोती :- गाती धोती गढ़वाल के उच्च हिमालयी क्षेत्रों के परिधान का एक परम उपयोगी अंगवस्त्र होता है, जो मोटी ऊनी चादर के रूप में होता था। इसके आधे भाग को कमर के नीचे पैरों तक एक विशेष ढंग से लपेट कर तथा शेष भाग को ऊपर कंधे तक ले जाकर एक विशेष तरीके की गांठ के रूप में बांधा जाता था। उसे कन्धे पर रोके रखने के लिए लोहे या लकड़ी के सुए या आलपिन का भी उपयोग किया जाता था। इस पर शरीर को चादर से पूरा ढक लेने के बाद कमर पर ऊपर के कपड़े या…
गोरिल देवता या गोलू देवता को उत्तराखंड के प्रमुख न्यायकारी देवता माना जाता है। उनके बारे में कहा जाता है कि जो उनकी शरण में चला जाता है ,उसकी रक्षा के लिए वे किसी हद तक जा सकते हैं। गोरिल देवता की जागर में गोलू देवता और तम्बोला घुघूती की कहानी गायी जाती है। आज इस पोस्ट में गोरिल देवता और तम्बोला घुघूती की कहानी का हिंदी में संक्षिप्त वर्णन कर रहें हैं। गोरिल देवता और तम्बोला घुघूती की जागर कहानी – कहते हैं एक बार एक तम्बोला नामक घुघुती गोलू देवता के राज्य गढ़ी चम्पावत में आती है। और…
पंथ्या काला उर्फ़ पंथ्या दादा को राजशाही और निरंकुशता के विरोध में बलिदान देने वाले पहाड़ के पहले बालक के रूप में याद किया जाता है। उन्होंने पौड़ी के सुमाड़ी गांव में राजा मेदनीशाह के निरंकुशता भरे निर्णय के विरोध में आत्मदाह कर लिया था। इस पोस्ट में हमारे प्रमुख सहयोगी प्रदीप बिल्जवान बिलोचन जी ने पंथ्या दादा की कहानी को काव्यात्मक रूप में लिखा है। उम्मीद है यह कहानी आपको पसंद आएगी। पंथ्या दादा की कहानी काव्यात्मक रूप में – वीर और स्वाभिमानी गाथा पंथ्या दादा की पौड़ी के सुमाड़ी गांव के वे स्वाभिमानी महापुरुष, पंथ्या दादा,अल्पावस्था में ही…
बागेश्वर जिले के कत्यूरों की राजधानी कार्तिकेयपुर में स्थित है भगवान् गोलू देवता का पावन धाम है, जो गागरी गोल के नाम से प्रसिद्ध है। गरुड़ बागेश्वर में स्थित गोल्ज्यू के इस मंदिर के नाम पर इस क्षेत्र का नाम गागरी गोल (gagrigol bageshwar ) पड़ा है। गागरी गोल के बारे में प्रचलित लोककथाएं ,जनश्रुतियां – जैसा की हमको पता है कि बागेश्वर जिले में स्थित गागरी गोल नामक गांव का नाम भगवान् गोल्ज्यू के मंदिर के नाम से पड़ा है। कहते हैं गोल्ज्यू ( गोलू देवता ) यहाँ गागर ( तांबे का पानी भरने का बर्तन ) में आये…
जी रया जागी रया ( ji raya jagi raya ) – उत्तराखंड के दोनों मंडल, कुमाऊँ मंडल और गढ़वाल मंडल में अनेकों प्रकार के लोक पर्व मनाए जाते हैं। दोनो क्षेत्रों में अपनी अपनी परम्पराओं के साथ बड़े हर्षोल्लासपूर्वक लोक पर्वों को मनाया जाता है। इसी प्रकार कुमाऊं मंडल में कई प्रमुख त्योहारों पर बुजुर्ग अपने से छोटो को, जी रया जागी रया कुमाउनी आशीष वचन देते हैं। इनको कुमाउनी आशीर्वचन भी कहा जाता है। जी राए जागी राए का वीडियो यहां देखें :– https://youtu.be/kZ-mlFuWeUY?si=NcRiDeJGIEiqring कुमाउनी आशीष वचन मुख्यतः चढ़ाने वाले त्यौहारों पर दिए जाते हैं। अर्थात जिन त्योहारों में…
चंद राजाओ के बसाये कैड़ारो में स्थित एक ऊँचे पर्वत पर है गोलू देवता का चमत्कारी मंदिर उदयपुर गोलू देवता मंदिर। यहाँ गोल्ज्यू अपने दरबार में भक्तों के कष्ट हरते हैं ,और उन्हें सन्मार्ग की प्रेरणा देते हैं। कहते हैं भगवान् गोलू देवता यहाँ निसंतान दम्पतियों को संतान सुख भी देते हैं। उदयपुर गोलू देवता मंदिर – उदयपुर गोलू देवता मंदिर कैड़ारौ घाटी में स्थित एक उदयपुर नामक पर्वत पर स्थित है। द्वाराहाट सोमेश्वर मार्ग पर स्थित बिन्ता नामक गांव से लगभग 5 किलोमीटर की थका देने वाली चढ़ाई चढ़ने के बाद आता है भगवान् गोलू देवता का चमत्कारी मंदिर…
घात डालना – वैसे तो घात लगाने का सामान्य अर्थ होता है, ‘शिकायत, चुगली करना अथवा किसी व्यक्ति के द्वारा किसी अन्य व्यक्ति के विरुद्ध में कही गयी बात को पीछे से उस तक पहुंचा देना। किन्तु एक वाक्यांश के रूप में इसके साथ प्रयुक्त किये जाने वाले क्रियांश ‘डालना’ से इसका अर्थ बदल जाता है अर्थात् इसका अर्थ होगा ‘किसी व्यक्ति के द्वारा किये गये अन्याय के विरुद्ध न्याय की याचना करने तथा अन्यायी को दण्डित किये जाने के लिए किसी न्याय के देवता के दरबार में जाकर गुहार लगाना।’ गढ़वाल में सामान्यतः घात डालने के प्रक्रिया के लिए…
हरेला पर्व धीरे -धीरे उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र का लोकपर्व न होकर पुरे प्रदेश और देश के कई हिस्सों में धूम धाम से मनाया जाने वाला त्यौहार बन गया है। जैसा की हम सबको पता है कि हरेला त्यौहार उत्तराखंड का प्रकृति को समर्पित एक अनन्य लोक पर्व है। इसमें सात या पांच प्रकार के अनाज को दस या ग्यारह दिन पहले मंदिर के पास बंद कमरे में बोते हैं। फिर दस दिन बाद हरेला त्यौहार मनाया जाता है। हरेला त्यौहार की पूर्व संध्या पर डिकारे बनाये जाते हैं। पारम्परिक मिष्ठान छऊवे बनाये जाते हैं। और हरेले की पूजा करके…