Wednesday, April 24, 2024
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कुमाऊनी लोक गायिका कमला देवी को मिला कोक स्टूडियो में गाने का मौका।

सोशल मीडिया के माध्यम से एक अच्छी खबर सुनने को मिल रही है। उत्तराखंड , कुमाऊनी लोक गायिका कमला देवी को अंतर्राष्ट्रीय फ्रेंचाइजी संगीत स्टूडियो कोक स्टूडियो में अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिल रहा है। कोक स्टूडियो ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में कमला देवी जी के उनके कोक स्टूडियो सीजन 2 प्रतिभाग करने की पुष्टि की है। उनकी ऑफिसियल पोस्ट के अनुसार , ” कमला देवी उत्तराखंड राज्य की निवासी एक शास्त्रीय लोक गायिका है। जिनका अपनी आवाज पर बहुत अच्छा नियंत्रण है। जल्द ही उनकी मधुर आवाज का अनुभव कोक स्टूडियो सीजन -2 में मिलेगा।

लोक से जुडी है लोक गायिका कमला देवी –

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कुमाउनी लोक गायिका कमला देवी उत्तराखंड की पहली लोक गायिका है जिन्हे कोक स्टूडियो में गाने का अवसर मिल रहा है। कमला देवी उत्तराखंड कुमाऊं क्षेत्र की लोक गायिका हैं। कमला जी गरुड़ बागेश्वर के लखनी गांव की निवासी हैं। लोक संस्कृति से काफी लगाव है इन्हे। जीवन के आरम्भ से ही इन्हे लोक संगीत अपने पिता जी से विरासत के रूप में मिला। इनके पिता भी लोक गायक थे। मात्र पंद्रह वर्ष की आयु में से ही इन्होने लोक संगीत का दामन थाम लिया था। वे कहती हैं वो केवल कुमाऊनी पारम्परिक लोक गीत ही गाती हैं।

कुमाऊनी लोक गायिका कमला देवी को मिला कोक स्टूडियो में गाने का मौका।

स्टूडियो गायन और रील्स , लाइक , सब्सक्राइब की दुनिया से कोषों दूर कमला लोक के बीच में लोक धुनों में मगन एक लोक गायिका हैं। कुमाउनी लोक संगीत की सभी विधाओं पर कमला जी की अच्छी पकड़ है। और इनमे से भी मालूशाही गायन विधा में इन्हे विशेषज्ञता हासिल है। वे मालूशाही गायन के लिए विशेष फेमजी हैं। इनके मुँह से कुमाऊनी लोक संगीत मालूशाही सुनकर लोग मन्त्र मुग्ध हो जाते हैं।

मौलिकता से बिना छेड़ छाड़ के साथ अभिनव प्रयोगो के लिए फेमस है कोक स्टूडियो –

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अब बात करते हैं कोक स्टूडियो की। विश्वभर में लोक संगीत या स्थानीय गीतों के साथ उनकी मौलिकता से छेड़ – छाड़ किये बिना उनपर अभिनव प्रयोगो के लिए फेमस है यह स्टूडियो। सर्वप्रथम कोका -कोला कंपनी के प्रबंधन समिति ने ब्राजील में विणपन रणनीति के रूप में एक शो का आयोजन किया था। तत्पश्च्यात 2008 में रोहल हयात नामक प्रसिद्ध पाकिस्तानी गायक ने इसे कोक स्टूडियो के नाम से म्यूजिक स्टूडियो शुरू किया। उन्होंने कोक स्टूडियो के माध्यम से पक्षिमी संगीत यंत्रो,लोक संगीत यंत्रो और सूफी संगीत को साथ लाने की कोशिश की जो काफी हद तक सफल रही।

धीरे -धीरे संगीत के क्षेत्र में यह अनूठा प्रयोग सफल होने लगा इसी के साथ कोक स्टूडियो की फ्रेंचाइजी कई अलग-अलग देशों के अलग क्षेत्रों में खुल गई हैं जो काफी सफल हो रही हैं। इसी शृंखला में कोक स्टूडियो की फ्रेंचाइजी भारत में भी खुली है जिसे कोक स्टूडियो एम टीवी के नाम से जानते हैं।

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Bikram Singh Bhandari
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बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
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