Author: Bikram Singh Bhandari

बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।

उत्तराखंड की पारंपरिक लोकधुनों में माया माया झन कए (Maya Maya Jhan Kaye) गीत ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। इस गीत में पहाड़ों की मोहब्बत, जीवन की वास्तविकता और (kumauni folk song) की अनमोल धरोहर का सुंदर समावेश किया गया है। माया माया झन कए गीत का वीडियो देखें : https://youtu.be/CMvi4TICKVo?si=LpbtzPvLgxbuFw-g गीत का परिचय | (Uttarakhand Folk Song Details)  – गीत का नाम : माया माया झन काए गायक : राजेंद्र प्रसाद संगीतकार : रंजीत सिंह गीतकार: राजेंद्र ढैला कैमरामैन एवं एडिटिंग : गिरीश शर्मा रिकॉर्डिंग स्टूडियो : A Plus Studio, Dehradun चैनल : घुगुती जागर RD गीत…

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नीम करौली बाबा के चमत्कार  – नीम करौली बाबा के लाखों भक्त हैं, जो भारत से लेकर विदेशों तक फैले हुए हैं। एप्पल के सीईओ से लेकर फेसबुक के संस्थापक जैसी हस्तियां भी बाबा का अलौकिक आशीर्वाद प्राप्त कर चुकी हैं। बाबा के जीवन काल और उनके महापरिनिर्वाण के बाद, भक्तों ने कई चमत्कारी अनुभव साझा किए हैं। इन अद्भुत घटनाओं को “नीम करौली बाबा के चमत्कार” के रूप में संकलित किया गया है। 1. जब भंडारे में घी कम पड़ गया – कैंची धाम में बाबा के समय से लेकर आज तक भंडारे चलते आ रहे हैं। एक बार…

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युगशैल ( Yugshail ) एक ऐसा नाम जो भारतीय इतिहास के पन्नों में गुमनामी के बीच छिपा हुआ है, आज भी अपनी ऐतिहासिक महत्ता के लिए जाना जाता है। यह प्राचीन राज्य, जो ईसा पूर्व पहली शताब्दी से लेकर पांचवीं शताब्दी तक फला-फूला, भारत के उत्तराखंड क्षेत्र में स्थित था। युगशैल का उल्लेख नृपति शीलवर्मन के प्राचीन जगतग्राम बाड़ेवाला (देहरादून) से प्राप्त अश्वमेध यज्ञ के इष्टिका लेख में मिलता है, जो इस राज्य के अस्तित्व का एकमात्र प्रमाण है। यह लेख, जो ब्राह्मी लिपि में उत्कीर्ण है, इस प्राचीन राज्य के इतिहास को समझने की कुंजी प्रदान करता है। युगशैल…

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कोसी का घटवार : अधूरे प्रेम की कसक की कहानी गुसाईं का मन चिलम में भी नहीं लगा। मिहल की छाँह से उठकर वह फिर एक बार घट (पनचक्की) के अंदर आया। अभी खप्पर में एक-चौथाई से भी अधिक गेहूँ शेष था। खप्पर में हाथ डालकर उसने व्यर्थ ही उलटा-पलटा और चक्की के पाटों के वृत्त में फैले हुए आटे को झाड़कर एक ढेर बना दिया। बाहर आते-आते उसने फिर एक बार और खप्पर में झाँककर देखा, जैसे यह जानने के लिए कि इतनी देर में कितनी पिसाई हो चुकी है, परंतु अंदर की मिकदार में कोई विशेष अंतर नहीं…

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Job in Haldwani Uttarakhand : हल्द्वानी स्थित बगुना एंटरप्राइजेज कंपनी को घरेलू उपकरणों की मरम्मत और स्थापना के क्षेत्र में काम करने के लिए एक अनुभवी इलेक्ट्रिकल इंजीनियर की आवश्यकता है। यह नौकरी उन उम्मीदवारों के लिए एक बेहतरीन अवसर है, जो इस क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं। नौकरी की मुख्य जानकारी ( Job in Haldwani Uttarakhand ) :- पद का नाम: इलेक्ट्रिकल इंजीनियर (घरेलू उपकरण मरम्मत और स्थापना) अनुभव: 3 वर्ष नौकरी स्थान : हल्द्वानी वेतन : ₹18,000 + यात्रा भत्ता (TA) अनिवार्य योग्यता : दोपहिया वाहन (2 व्हीलर) का होना आवश्यक है। कंपनी का विवरण :…

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गढ़वाल मंडल के पौड़ी जनपद में स्थित पंच भैया खाल (Panch bhaiya khal ) एक ऐतिहासिक स्थल है, जो गढ़वाल की मध्यकालीन राजनीति की एक महत्वपूर्ण घटना का साक्षी रहा है। यह स्थान कर्णप्रयाग से श्रीनगर के पैदल यात्रा मार्ग पर गुलाबराय चट्टी और नगरकोटा के बीच एक धार (ridge) पर स्थित है। इसका नाम पंच भैया खाल पड़ा है, जिसका अर्थ है ‘पांच भाइयों की मृत्यु का स्मारक’। यह स्थान न केवल प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है, बल्कि यह गढ़वाल के इतिहास की एक रोमांचक और दुखद घटना को भी समेटे हुए है। पंच भैया खाल का ऐतिहासिक महत्व…

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उत्तराखंड के भैरव देवता : उत्तराखंड, जिसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है, लोकदेवताओं और पौराणिक शक्तियों की भूमि रही है। इस क्षेत्र में भैरव देवता को अत्यधिक मान्यता प्राप्त है। लेकिन क्या उत्तराखंड के भैरू देवता वही पौराणिक भैरव हैं जिनका उल्लेख तंत्रशास्त्र और हिंदू धर्मग्रंथों में मिलता है? इस लेख में हम इस रहस्य का विश्लेषण करेंगे और यह समझने की कोशिश करेंगे कि उत्तराखंड के भैरव देवता का धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्वरूप क्या है। भैरव देवता: पौराणिक परंपरा और तांत्रिक महत्व : भैरव को हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता माना जाता है, जो शिव…

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गढ़वाली और कुमाऊनी टोपी : आजकल देश विदेशों में बसे गढ़वाली और कुमाऊँनी समुदाय के लोगों के बीच एक नया ट्रेंड छाया हुआ है — वो हैं अपनी संस्कृति का प्रतीक, गढ़वाली और कुमाऊनी टोपी ! यह टोपियाँ न सिर्फ पहाड़ी अस्मिता का गौरव बढ़ा रही हैं, बल्कि परदेस में रहते हुए भी लोगों को अपने गाँव, पहाड़ों और त्योहारों की याद दिला रही हैं। चाहे देहरादून की ठंडी हवाएँ हों या अल्मोड़ा के रंग-बिरंगे मेले, इन टोपियों को पहनकर हर प्रवासी को लगता है — “ये तो घर जैसा एहसास है!” क्यों बढ़ रही है इन टोपियों की डिमांड?…

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परिचय : “मात प्रथा” (Mat System) उत्तराखंड के पुराने टिहरी रियासत, विशेषकर परगना रवाई-जौनपुर क्षेत्र की एक पारंपरिक सामाजिक-आर्थिक प्रथा है। यह प्रथा ग्रामीण समाज में जातिगत पदानुक्रम को दर्शाती है और निम्न जाति के मजदूरों तथा उच्च जाति के संरक्षकों के बीच आपसी निर्भरता को उजागर करती है। हालांकि 1971 में इसे आधिकारिक तौर पर समाप्त कर दिया गया था, लेकिन यह प्रथा अभी भी इस क्षेत्र के रूढ़िवादी और परंपरावादी समाज में अघोषित रूप से जारी है। मात प्रथा क्या है? मात प्रथा (Mat System) एक सामंती प्रथा थी, जिसमें कोल्टा और अन्य निम्न जाति के समुदाय उच्च…

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देहरादून जिले के खाटू श्याम मंदिर सेलाकुई (Khatu Shyam Temple Selaqui, Dehradun) की बढ़ती लोकप्रियता, इसके ऐतिहासिक महत्व, दर्शन का सर्वोत्तम समय और धार्मिक विशेषताओं के बारे में जानें। सेलाकुई खाटू श्याम मंदिर : उत्तराखंड का आध्यात्मिक केंद्र – देहरादून जिले के सेलाकुई नगर में स्थित खाटू श्याम मंदिर (Khatu Shyam Mandir Selaqui) आजकल भक्तों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। प्रतिदिन हज़ारों श्रद्धालु यहाँ बाबा श्याम के दर्शन के लिए पहुँचते हैं, जिससे मंदिर परिसर में सुबह-शाम भक्तिमय माहौल बना रहता है। यह मंदिर न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे भारत में खाटू श्याम धामों के नेटवर्क का…

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