Sunday, November 17, 2024
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अल्मोड़ा अंग्रेज आयो टैक्सी में गीत

आजकल खुशी जोशी दिगारी और नीरज चुफाल का एक कुमाउनी झोड़ा, अल्मोड़ा अंग्रेज आयो टैक्सी में, उत्तराखंड में काफी पसंद किया जा रहा है। इस पारम्परिक झोड़े को संगीत दिया है, गोविंद दिगारी ने और इसकी रिकॉडिंग हुई है। वैदेही स्टूडियो हल्द्वानी में। जो कि खुशी जोशी दिगारी और गोविंद दिगारी का अपना स्टूडियो है। यह पारम्परिक झोड़ा नीरज चुफाल के यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध है। इस गीत पर असंख्य रील और सोशल मीडिया पर कई मीम बन चुके हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है, कि यह गीत उत्तराखंड में कितना लोकप्रिय हो चुका है।

अभी हाल ही मे, खुशी जोशी और नीरज चुफाल ने यंग उत्तराखंड सिने अवार्ड 2022, YUCA 2022 में अल्मोड़ा अंग्रेज आयो टैक्सी में गाकर सबका मन मोह लिया। आइये आगे इस पोस्ट में कुमाउनी झोड़े के बोल या यूं कह सकते इस प्रसिद्ध कुमाउनी गीत के बोल और वीडियो देखेंगे।

अल्मोड़ा अंग्रेज आयो टैक्सी

अल्मोड़ा अंग्रेज आयो टैक्सी में गीत –

अल्मोड़ा अंग्रेज आयो टैक्सी में।
बंदूकी का बाना म्यर झुमका रैग्यों बगस मैं।।
जथे जूलो संग जूलो टैक्सी में।
तू घट में बान म्यर झुमका रैग्यों बगस में।।
पारी बटी बरयात आ छ टैक्सी में।
शोर्याल बिष्ट की म्यर झुमका रैग्या बगस में।।
पैली को शबद म्यर टैक्सी में।
अपणा ईष्ट की म्यर झुमका रैग्यों बगस  मे।।
अशाई को जाम सुआ टैक्सी में।
धूरा पाको आम म्यर झुमका रैग्या बगस में।।
भुलुल भुलूल कु छु टैक्सी में।
भुली भुली फाम म्यर झुमका रैग्या बगस में।।
बजार को मटीतेल टैक्सी में।
जंगल को छ्युल म्यर झुमका रैग्या बगस में।।
सब तीर मोल लिऊल टैक्सी में।
माया का है लिऊल म्यर झुमका रैग्या बगस मे।।
बरमा जन्या सिपाई का टैक्सी मे।
कमर खुकुरी म्यर झुमका रैग्या बगस में।।
जब तेरी याद ऊंछी टैक्सी मे।
मैं लागे हिकुरी म्यर झुमका रैग्या बगस में।।

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यह गीत एक पारम्परिक झोड़ा गीत है। यह गीत इतना लोकप्रिय हो गया कि यूट्यूब पर इस गीत को अभी तक 5 मिलियन लोगों ने देख लिया है। इस गीत की गायिका खुशी जोशी जी आजकल पारंपरिक लोकगीत, झोड़ा चचेरी आदि गा कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर रही हैं। और कुमाऊनी संस्कृति के लिए अभूतपूर्व योगदान दे रही हैं।

झोड़ा गीत के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहां क्लिक करें।

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Bikram Singh Bhandari
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बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
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