Saturday, May 10, 2025
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किथे रखा तेरा रेशमी रुमाल ट्रेंड कर रहा है आजकल । जानिए इसके बारे में !

आजकल सोशल मीडीया का जमाना है। और कोई गीत,विडीयो एक बार सोशल मीडीया पर ट्रेंड हो जाता है तो, उसे रातों रात स्टार बनने से कोई नहीं रोक सकता है। आजकल ऐसा ही एक हिमाचली डोगरी लोक गीत सोशल मीडीया पर चल रहा है। जिसके बोल हैं, ” किथे रखा तेरा रेशमी रुमाल’ (kithe rakha tera reshmi rumal) यह गीत आजकल लोगों की जुबा पर चढ़ा हुवा है। kithe rakha mera reshmi rumal गीत पर Instagram पर अनेकों Reels बन गई हैं। facebook पर भी यह गीत काफी ट्रेडिंग में चल रहा है। इस गीत की अल्बम का नाम महेला दी रानी है।

किथे रखा तेरा रेशमी रुमाल
फ़ोटो साभार यूट्यूब वीडियो

किथे रखा तेरा रेशमी रुमाल’ गीत के बारे में –

यह लोक गीत एक हिमाचली डोगरी लोक गीत है। इस गीत को डोगरी लोक गायक मोहन ठाकुर जी ने गया है। और kithe rakha mera reshmi rumal के लिरिक्स भी मोहन ठाकुर ने लिखे हैँ। हिमाचली डोगरी लोक गीत को संगीतबद्ध किया है, नरेश नायब (म्यूजिकल माफिया) ने। Kithe Rakha tera reshmi rumal’ गीत का मूल नाम मेहला दी रानी है। इसकी अलबम का नाम भी मेहला दी रानी है। इसके निर्माता और कम्पोजर हैं, रफिक फौजी और अशरफ बाली। इस गीत को Pahadi folk music नामक यूट्यूब चैनल से प्रसारित किया गया है।

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किथे रखा तेरा रेशमी रुमाल’ video यहां देखें –

Kithe Rakha tera reshmi rumal की सफलता को देखते हुए, इसके गायक मोहन ठाकुर ने मेहला दी रानी पार्ट-2 भी रिलीज कर दिया है।

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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