Friday, November 22, 2024
Homeकुछ खासघिंगारू या घिंघरू पहाड़ी फल के फायदे और नुकसान।

घिंगारू या घिंघरू पहाड़ी फल के फायदे और नुकसान।

कुमाऊनी में घिंगारू, घिंघारू और गढ़वाली में घिंघरू तथा नेपाली में घंगारू के नाम से विख्यात ये पहाड़ी फल दक्षिणी एशिया, मध्य पश्चिमी हिमालयी क्षेत्रों मे समुद्र तल से 1700 से 3000 मीटर की ऊंचाई में पाया जाता है। इस फल की कटीली झाड़ियां मुख्य रूप से पहाड़ी ढलानों पर, पहाड़ों में रास्तों के किनारे या सड़कों के किनारे या घाटी वाले क्षेत्रों में विशेष रूप से होता है।

घिंगारू के पेड़ पर जून जुलाई के आसपास फल लगते हैं। छोटे छोटे लाल सेव जैसे दिखने वाले घिंघरु के फलों को हिमालयन रेड बेरी फायर थोर्न एप्पल या व्हाइट थोर्न भी कहते हैं। इसके अलावा इसे नेपालीज फायर थोर्न के नाम से भी जाना जाता है। घिंघारु का वानस्पतिक नाम पैइराकैंथा क्रेनुलाटा है। घिंघरु रोजेसी कुल का पौधा है।

जून ,जुलाई ,अगस्त के आसपास पहाड़ो में छोटे छोटे सेव जैसे फलों से झाड़ियां लदी रहती हैं। स्कूल जाने वाले बच्चे और चिड़िया, ग्वाल बाल और गांव में जंगल जाने वाली महिलाएं बड़े चाव से इसका आनंद लेती हैं। जानकारी के आभाव में लोग इसका असली महत्व नहीं जान पा रहें। जिस कारण प्रतिवर्ष  घिंघरू यू ही बर्बाद होता है।

घिंगारू

घिंगारू के उपयोग या घिंघरू के फायदे

Best Taxi Services in haldwani

घिंगारु एक औषधीय पौधा है। इसके फलों के साथ साथ इसकी लकड़ी भी हमारे लिए बहुउपयोगी है।

  • घिंगारु ह्रदय के लिए एक औषधीय फल है। यह ह्रदय को हमेशा स्वस्थ रखता है।
  • घिंघरू फल पाचन के लिए अति उपयोगी फल है। इसका सेवन पाचन दुरस्त रहता है।
  • इसमे विटामिन्स और एन्टी ऑक्सीडेंट की भरपूर मात्रा होती है।
  • इसके फलों में ग्लूकोज उच्च मात्रा में होता है। जिससे शरीर को भरपूर एनर्जी मिलती है।
  • घिंघारू फल में सूजन रोधी गुण होते हैं।
  • इसके फलों के सेवन से खून बढ़ता है। जैव ऊर्जा अनुसंधान पिथौरागढ़ ने घिंघारू के फूलों से “ह्रदय अमृत ” नामक औषधि बनाई है।
  • इसके फलों के चूर्ण और दही का प्रयोग डाइबिटीज और पेचिस में किया जाता है।
  • इसकी पत्तियों से कॉस्मेटिक्स ( सौंदर्य प्रसाधन ) तैयार किये जाते हैं।
  • इसकी पत्तियां हर्बल चाय के रूप में प्रयोग कर सकते हैं।
  • घिंघरू की छाल स्त्री रोगों में लाभप्रद बताई जाती है।
  • शोध पत्र पत्रिकाओं के अनुसार घिंगारु में प्रोटीन की मात्रा भरपूर पाई जाती है।
  • घिंगारु की लकड़ियां बहुत मजबूत होती हैं। इससे लठ , कृषि उपकरण, खेल के उपकरण आदि बनाये जाते हैं।
    घिंघरू की जड़ का भी औषधीय प्रयोग किया जाता है।

घिंघारू एक औषधीय और बहुउद्देश्यीय पौधा है। इसकी जड़ से लेकर फल फूल पत्तियां, टहनियां सभी हमारे लिए अतिलाभदायक है। लेकिन जानकारी के अभाव, पलायन, जलवायु परिवर्तन आदि अनेक कारकों के कारण प्रतिवर्ष इसकी फसल यू ही बर्बाद हो रही है। उत्तराखंड सरकार घिंघारू के संरक्षण और इसके बारे में जन जागरूकता फैलाये, तो एक दिन घिंघारू हमारी आने वाली पीढ़ी को एक अच्छे स्वास्थ के साथ स्वरोजगार का विकल्प देता है । और सरकार को आय का एक अच्छा स्रोत।

नोट –
घिंघारू पर यह लेख केवल शैक्षणिक उपयोग के लिए लिखी गई है।  इसका औषधीय प्रयोग  करने से पहले डॉक्टर या वैध से अवश्य परामर्श ले। बिना चिकित्सीय परामर्श के इस फल का औषधीय उपयोग ना करें।

इसे भी पढ़े: पहाड़ी फल तिमला के फायदे

हमारे यूट्यूब चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
RELATED ARTICLES
spot_img
Amazon

Most Popular

Recent Comments