Sunday, November 17, 2024
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बिनसर महादेव मंदिर, प्रकृति की रमणीय सुंदरता के बीच औलोकिक मंदिर

रानीखेत से लगभग 20 किलोमीटर दुरी पर स्थित बिनसर महादेव मंदिर, बेहद रमणीय और अलौकिक है। चारो और देवदार, पाइन और ओक के पेड़ों से घिरा बहुत ही मनभावन दृश्य प्रस्तुत करता है।  इस परिसर में अप्रतिम शांति का अहसास होता है। यहाँ आकर आप ध्यान योग का लाभ ले सकते हैं। इस मंदिर की सुंदरता का वर्णन करना शब्दों में सम्भव नहीं है। यह क्षेत्र सम्पूर्ण कुमाऊं के सबसे सुन्दर क्षेत्रों में आता है। यहाँ से हिमालय की चौखम्बा, त्रिशूल, पंचाचूली, नंदादेवी, नंदा कोट आदि चोटियों का रमणीय दर्शन होते हैं। मौसम साफ रहने की स्थिति में आप केदारनाथ तक दर्शन कर सकते हैं।

यह मंदिर अपनी  अप्रतिम वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर में भगवान गणेश ,माता गौरी और महेशमर्दिनी की मूर्तियां यहाँपॉइंट की अद्भुत मूर्तिकला का परिचय देती हैं। विशेषकर महेशमर्दिनी की मूर्ति में ९वी शताब्दी की नागरीलिपि के साथ वर्णित है। यह मंदिर समुद्रतल से लगभग 2480 मीटर ऊंचाई पर स्थित है।

बिनसर महादेव मंदिर  भगवान शिव को समर्पित मंदिर है। किंदवतियों के अनुसार ऐसे पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान एक रात में बनाया था। एक अन्य कहानी व जानकारी के अनुसार इसे राजा पीथू ने अपने पिता बिंदु की याद में बनाया था। इसलिए इस मंदिर को बिन्देश्वर महादेव मंदिर भी कहते हैं। इसके पास एक आश्रम भी स्थित है।

पहले यहाँ एक छोटा सा मंदिर था। सन 1959  में श्री पंचनाम जूना आखाड़ा के ब्रह्मलीन नागा बाबा मोहनगिरी ने इस स्थान पर इस मंदिर का भव्य जीर्णोद्वार कराया गया। बताया जाता है कि वर्ष 1970  से इस मंदिर में अखंड ज्योति जल रही है। महंत  108 श्री महंत रामगिरि जी महाराज इस मंदिर की सम्पूर्ण व्यवस्थाएं देखते हैं। यहाँ श्री शंकर शरण गिरी संस्कृत विद्यापीठ की स्थापना की गई है।  यहाँ बच्चे अध्यन करते हैं।  बच्चों को अध्यन में व्यवधान न हो इसलिए यहाँ घंटी बजाना मना है। यहाँ प्रतिवर्ष मई जून में होमात्मक महारुद्र यज्ञ और शिव महापुराण  का आयोजन होता है। 2022 में यहाँ 4 जून से होमात्मक महारुद्र यज्ञ और शिव महापुराण का आयोजन होगा। 11 दिन बाद हवन और विशाल भंडारा होता है।

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बिनसर महादेव मंदिर, प्रकृति की रमणीय सुंदरता के बीच औलोकिक मंदिर

स्वर्गाश्रम बिनसर महादेव से जुड़ी लोक कथाएं –

बिनसर महादेव मंदिर से कुछ दुरी पर सौनी गावँ में मनिहार जाती के लोग रहते थे। उनकी गाय बच्छियां चरने बिनसर क्षेत्र में जाती थी। उन गाय बछियों में से एक गाय रोज एक शिला के ऊपर खड़ी होकर अपना दूध निकाल आती थी। घर में जब मालिक दूध निकालने के लिए जाते तो ,गाय का दूध ही नहीं निकलता। सारा दूध निकला हुवा मिलता। ऐसा रोज रोज होने लगा। एक दिन ,ने उस गाय पर नजर रखी तब उसे पता चला , कि उसकी गाय अपना सारा दूध एक शिला के ऊपर गिरा के आ जाती है। गुस्से से तमतमाए उस मनिहार ने  कुल्हाड़ी के उल्टे हिस्से से वार कर दिया। उस शिला से खून की धार निकल पड़ी , घबराया सा मनिहार चुप चाप अपने घर आ गया। उसी रात एक बाबा जी ने स्वप्न में सभी मनिहारों को गावं छोड़ने को कहा और वे गांव छोड़कर चले गए। कुछ वर्ष बाद सौनी बिनसर के नजदीकी गावं में  निसंतान वृद्ध दम्पति रहते थे। उन्हें एक रात स्वप्न में एक बाबा आये और बोला कि , कुंज नदी के तट पर एक शिवलिंग पड़ा है। उसकी प्राण प्रतिष्ठा कराकर मंदिर का निर्माण करो। उस वृद्ध दम्पत्ति ने ऐसा ही किया और उन्हें कही से ,एक नवजात बालक  पुत्र रूप में मिल गया।

बिनसर में देखने लायक :-

बिनसर एक छोटा सा हिल स्टेशन जरूर है लेकिन यहाँ देखने और घूमने के लिए योग्य एक से बढ़कर एक रमणीय स्थल हैं।   बिनसर महादेव मंदिर के अलावा , बिनसर वन्यजीव अभ्यारण्य है।  जो कि अल्मोड़ा से लगभग 30 किलोमीटर पर स्थित है। यह अभ्यारण्य प्रकृति एवं जंतु प्रेमियों के लिए स्वर्ग से कम नहीं है। बिनसर  का सबसे आकर्षक देखने और घूमने योग्य स्थान है , ज़ीरो पॉइंट। यह एक ऐसा स्थान है ,जहाँ से आप हिमालय की प्रमुख चोटियों के अलावा ,केदारनाथ तक के दर्शन कर सकते हैं। यह स्थान बिनसर वन्यजीव अभ्यारण्य के अंदर ही है। इसके लिए आपको 2  किमी की चढाई चढ़नी पड़ती है। Swargashram Binsar Mahadev Mandir .

इसके अलावा कसार देवी मंदिर जो प्रसिद्ध है औलोकिक मानसिक शांति के लिए बिनसर के अंतर्गत ही आता है। और अल्मोड़ा का प्रसिद्ध चितई मंदिर के दर्शन आप यहाँ कर सकते हैं।

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Bikram Singh Bhandari
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बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
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