देहरादून: मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को मुख्य सेवक सदन में आयोजित एक कार्यक्रम में उत्तराखंड के हस्तशिल्प और हथकरघा को बढ़ावा देने के लिए की जा रही कोशिशों की सराहना की। इस मौके पर उन्होंने 11 हस्तशिल्पियों को उत्तराखंड शिल्प रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया और हस्तशिल्प पर आधारित विभिन्न स्टॉलों का निरीक्षण भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की बुनाई और हस्तशिल्प कला अपनी विविधता, पारंपरिक डिजाइनों और गुणवत्ता के कारण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुकी है। उन्होंने राज्य के शिल्पियों और बुनकरों को उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर का वाहक बताया।
मुख्यमंत्री ने हाल ही में प्रदेश में आई आपदा के पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि राज्य सरकार आपदा प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्वास के लिए पूरी संवेदनशीलता और तेज गति से काम कर रही है।
वोकल फॉर लोकल और लोकल टू ग्लोबल का समर्थन
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘वोकल फॉर लोकल’, ‘लोकल टू ग्लोबल’ और ‘मेक इन इंडिया’ जैसी पहलों ने शिल्पियों और बुनकरों के जीवन में बड़ा बदलाव लाया है। उन्होंने प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना, राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम और प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान जैसी योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि इन योजनाओं से शिल्पियों और बुनकरों का समग्र विकास सुनिश्चित हो रहा है।
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उन्होंने हर्षिल की ऊनी शाल, मुनस्यारी-धारचूला की थुलमा, अल्मोड़ा की ट्वीड और पिछौड़े जैसे स्थानीय उत्पादों का विशेष रूप से उल्लेख किया, जिन्होंने उत्तराखंड को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई है। इसके साथ ही, उन्होंने बताया कि आजकल भांग और बांस के रेशों से बने कपड़ों की मांग भी देशभर में बढ़ रही है।

राज्य सरकार की पहलें
धामी ने बताया कि राज्य सरकार भी हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। शिल्पी पेंशन योजना, बुनकर क्लस्टर सशक्तिकरण, कौशल विकास प्रशिक्षण, मेलों-प्रदर्शनियों का आयोजन और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से स्थानीय उत्पादों के प्रचार-प्रसार और मार्केटिंग को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि उत्तराखंड के शिल्पी और बुनकर अपनी रचनात्मकता और परंपरा से राज्य को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
इस कार्यक्रम में उत्तराखंड हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास परिषद के उपाध्यक्ष श्री वीरेन्द्र दत्त सेमवाल, विधायक श्रीमती सरिता आर्य और श्री सुरेश गड़िया, बाल आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना और उद्योग विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
