जाखन देवी अल्मोड़ा- उत्तराखंड में प्राचीन काल विभिन्न जातियों और संस्कृतियों का निवास रहा है। जिन्होंने मिलकर उत्तराखंड की एक समृद्ध संस्कृति का निर्माण किया है। उत्तराखंड के प्राचीन निवासियों में यक्ष ,गन्धर्व ,खस आदि प्रमुख रहे हैं। यहाँ यक्षों का प्रभाव आदिकाल से ही काफी रहा है। उत्तराखंड में अलकनंदा नदी के किनारे बसी थी यक्षनगरी अलकापुरी। कहते हैं उत्तराखंड की लोककला ऐपण में भी यक्ष संस्कृति का प्रमुख योगदान है। यक्षों के बसाये अनेक मंदिर और उनसे जुड़े अनेक मंदिर है उत्तराखंड में उन्ही मंदिरो में से अल्मोड़ा में स्थित माँ जाखन देवी का मंदिर बहुत प्रसिद्ध है।
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जाखन देवी अल्मोड़ा –
यक्ष पूजा का प्रतिनिधित्व करने वाला एक मंदिर जाखन देवी का मंदिर कुमाऊं मंडल के अल्मोड़ा नगर के अन्तर्गत मुहल्ला गल्ली में मालरोड के नीचे स्थित है। यहां पर देवी का विग्रह पारम्परिक देवी की मूर्ति के रूप में न होकर
एक ‘फुटलिंग’ खुद ही प्रकट हुई आयताकार शिलाखण्ड के रूप में है। इसे इस रूप में होने के सम्बन्ध में यहां के लोगों में प्रचलित लोक कथा के अनुसार एक बार अल्मोड़ा के एक पंडित जी के द्वारा कोशी नदी पर देवी की शिलाखंड के रूप में स्थापना की गई ,लेकिन वे उसका विसर्जन करना भूल गए और शिलात्मक रूप में देवी उसके साथ यहाँ तक आ गई। फिर देवी की यहां स्थापना करनी पड़ी।
लेकिन असलियत यह है कि , यक्ष संस्कृति का इतिहास को देखने से पता चलता है कि यक्षों की मूर्ति रचना से पूर्व उनकी पूजा चैत्य, वृक्षों के मूल में रखे गये पाषाणी प्रतीकों के माध्यम से हुआ करती थी। जाखन देवी अल्मोड़ा के रूप में स्थापित यह आयताकार फुटलिंग मूर्ति यक्षों की उसी परम्परा का प्रतिनिधित्व करता है।
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