Table of Contents
गंगोत्री में घूमने लायक स्थान
जब भी आप चार धाम की यात्रा के लिये आये तो उनके आस -पास कई ऐसी जगह होती है जिनके बारे मे हमको पता नही होता इसलिए हम उनके दर्शन नही कर पाते है आज हम आपको गंगोत्री के आस-पास घूमने के लिए व देखने के लिए कुछ खास जगह के नाम बताएंगे यात्रा के साथ-साथ आप इनके भी दर्शन कर सकते है।
गंगोत्री मंदिर :
गंगोत्री में घूमने लायक और देखने लायक गंगा माता का पहला और सबसे ज़्यादा धार्मिक महत्व रखने वाला यह मंदिर गंगोत्री का प्रमुख आकर्षण है और भक्तों को दूर-दराज़ से बुलावा देता है। यह छोटे चार धाम यात्रा में से भी एक है।
गौरीकुंड :
गंगा मंदिर से एक फर्लांग नीचे की ओर भागीरथी चट्टानों के बीच से झरना बनकर गिरती है। नीचे विशाल शिवलिंग है, जो प्राकृतिक है। यह वही शिवलिंग है, जिस पर जलधारा गिरती है। पार्वती ने शिव को प्राप्त करने के लिए यहीं पर कठोर तपस्या की थी।
पटांगण –
यह वही स्थान है, जहाँ पांडवों ने गोहत्या के पाप से छुटकारा पाने के लिए तप और यज्ञ किया था। यहाँ एक विशाल गुफा है, जिसे रुद्र गुफा के नाम से जाना जाता है। यही पटांगण है, जहाँ आज भी पितरों का श्राद्ध किया जाता है। यह स्थान भी गंगोत्री में घूमने लायक और देखने लायक खास स्थान है।
केदार गंगा संगम –
गंगोत्तरी मंदिर से 100 कदम नीचे केदार शिखर से केदारगंगा जल की एक धारा के रूप में आती है तथा भागीरथी के बाएँ तट पर आकर मिलती है। कहा जाता है कि इसी गंगा साथ-साथ पांडव केदारनाथ तक पहुँचे।
शंकराचार्य की समाधि –
जनुश्रुतियों के अनुसार शंकराचार्य ने गंगोत्तरी की यात्रा की थी और अपना शरीर यहीं त्याग दिया था। गंगा-मंदिर के बीच शंकराचार्य की समाधि बनी है, परंतु शंकराचार्य की वास्तविक समाधि केदारनाथ में बनी है। यहाँ शंकराचार्य ने तप किया था, इसीलिए उनकी स्मृति बनाए रखने के लिए यह समाधि बनाई गई है।
भैरव मंदिर –
भैरव घाटी में जाह्नवी को पार करते ही ऊपर भैरव मंदिर बना हुआ है। यह गंगोत्तरी का रक्षक देवता है। बिना भैरव की पूजा किए गंगोत्तरी का फल नहीं मिलता। इस भैरव के कारण ही जाह्नवी की घाटी को भैरव-घाटी कहा जाता है। गंगोत्री में घूमने लायक खास स्थान है।
गंगोत्री में घूमने लायक गोमुख –
साहसिक यात्री गंगोत्तरी से गोमुख तक की यात्रा करते हैं। गोमुख पहुँचने पर गंगाजी का प्रकटीकरण द्रष्टव्य होता है। गोमुख ही गंगाजी का उद्गम-स्थान माना गया है। यह स्थान गंगोत्तरी से 26 किमी. उत्तर में है। गोमुख की समुद्रतल से ऊँचाई 12700 फीट है। जनश्रुति के अनुसार गंगाजी गोमुख आकृति वाले पर्वत से निकली हैं, इसीलिए गंगा के उद्गम स्थल को गोमुख नाम दिया गया है।
इन्हे भी पढ़े _
- गंगोत्री धाम का पौराणिक महत्त्व और इतिहास | History and hidden spritual importance of Gangotri Dham
- जागेश्वर धाम उत्तराखंड के पांचवा धाम का इतिहास और पौराणिक कथा।
- गाडो गुलबंदा गढ़वाली गीत के बोल।