उत्तराखंड के चार धाम
चार धाम यात्रा को हिंदुओं के सबसे पावन यात्राओं में से एक माना जाता है मान्यता है कि एक हिन्दू को जीवन में एक बार इनकी यात्रा अवश्य करनी चाहिए। ये धाम भारत के चार दिशाओं में फैले हैं यानि बद्रीनाथ (उत्तराखंड), रामेश्वरम् (तमिलनाडू), द्वारका (गुजरात) एवं जगन्नाथ पुरी (उड़ीसा)। लोगो के लिए चार धाम की यात्रा करना एक सुन्दर सपने के पुरे हो जाने जैसा है। सिर्फ भारत से ही नहीं बल्कि दुनियां के कई देशो से लोग चार धाम की यात्रा के लिए आते है। यहाँ की प्राकर्तिक सुन्दरता, प्राचीनता, और बर्फ से ढकी उत्तराखंड की पहाड़ियों के बीच बने चार धाम श्रधालुओं का मन मोह लेते है।

हिन्दू पुराणों के अनुसार चारो धाम के नाम
1.बद्रीनाथ
2.द्वारका,
3.जगन्नाथ पुरी
4.रामेश्वरम
इन धामों को चार धामो में गिना जाता है।इन धार्मिक स्थलों की यात्रा को चार धाम यात्रा कहा जाता था।
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लेकिन आज हम आपको उत्तराखंड के चार धामों की यात्रा के बारे में बताते है । असल में वह छोटी चार धाम यात्रा है। इस यात्रा में बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री शामिल है।

बद्रीनाथ मंदिर
यह मंदिर उत्तराखंड में हिमालय की चोटियों पर अलकनंदा नदी के तट पर बना हुआ है। इसी स्थान पर नर-नारायण ने तपस्या की थी। इस मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
केदारनाथ मंदिर
यह मंदिर उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले में बना हुआ है। यहाँ भगवान् शंकर की पूजा की जाती है। यह मंदिर बारह ज्योतिर्लिंग में भी शामिल है। आधुनिक मंदिर का निर्माण आदि शंकराचार्य ने करवाया था।
गंगोत्री
गंगोत्री वह स्थान है जहाँ से गंगा नदी का उद्भव होता है। गंगोत्री उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। भक्त यहाँ गंगा जल से स्नान करने और गंगा मैया के प्राचीनतम मंदिर के दर्शन हेतु आते है जिसका निर्माण 18वी शताब्दी में गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा और पुनः निर्माण जयपुर नरेश माधो सिंह ने करवाया था।
यमुनोत्री
यमुनोत्री वह स्थान है जहाँ से यमुना नदी का उद्भव होता है। यह भी उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। यहाँ माता यमुना का एक मंदिर बना हुआ है जिसका निर्माण 19वी शताब्दी में जयपुर की महारानी गुलेरिया ने करवाया था।
शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक – जागेश्वर धाम ज्योतिर्लिंग