Wednesday, April 24, 2024
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फादर्स डे उत्तराखंड में | पिता के लिए कुमाउनी कविता | father’s day in pahadi

Father’s day  in Uttrakhand ( फादर्स डे उत्तराखंड में )

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मित्रो आज फादर्स डे है। वैसे देखा जाय तो , मा बाप को खुश करने या प्यार करने के लिए कोई स्पेशल डे की जरूरत नही है। हर दिन माँ का है। हर दिन पिता जी का है। उनसे तो हम हैं। लेकिन अगर दिन बनाया गया है,तो उसे भी मनाना चाहिए, और उस दिन अन्य दिनों से दोगुनी प्यार,खुशी माननी चाहिए। हम पहाड़ी हैं , अतएव हम फादर्स डे पहाड़ी में , ही मनाएंगे। इस उपलक्ष में हमने  पिता पर कविता कुमाउनी में लिखी है। अच्छी लगे तो शेयर जरूर कीजिएगा।

कुमाउनी में पिता को बाज्यू , ओबा, पापा, बाब, बाबू आदि नामों से पुकारते हैं।

 

      “बाज्यू बाज्यू कभहे न कोय ” 

               ( फादर्स डे उत्तराखंड में )

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ईजा ईजा रोज कुनू, बाज्यू बाज्यू कभे न कोय।

दिन भर कमर तोड़, काम करबे ,

ब्याव कने द्वी रवाट ल्यानी, बाज्यूक कोई नि होय।।

बाज्यू आपुण फाटि कपड़ पैरनी, हमर फैशन पुर कर दिनी।

आपुण लिजी पेट भरी रवाट हो न हो, हमर पेट पुर भर दिनी।।

ईजा ईजा रोज कुनु, बाज्यू बाज्यू कभहे न कोय।….

उ नांछिना याद , जब बाज्यूक कंध में बैठी म्याल घुमछि।

जब बाज्यूक कंध मा बैठी दूनी देखछि,और दुनियाक हाल देखछि।।

ईजक दिलक बात सब समझनी, बाज्यूक मन के कोई नि समझ सकन।

सबुके बाज्यूक गुस्स देखि, बाज्यूक मन मा कदुक प्यार छू कोई न देख सकन।।

ईजा ईजा रोज कुनू, बाज्यू बाज्यू कभे न कोय….

सबुक पीड़ , सबुक आंसू ,बाज्यूल पोछि, बाज्यूक दुख कैले नि देखी।

सबुल पेट भर खा्य बाज्यूक भूख कैले नि देखी।।

बाज्यूल तुमुल दूनी दिखायी, हमार स्वीण पुर कर,

आपुण स्वीण भूलि गया ।

बाज्यू तुम कष्ट खै बे हमुकु मैस बने गया, हम तुमुगु भूलि गया।।

ईजा ईजा रोज कूनो, बाज्यू बाज्यू कभे न कोय….

स्वरचित – बिक्रम सिंह भंडारी

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निवेदन –

उपरोक्त पिता जी पर  कुमाउनी कविता | पिता  पर पहाड़ी कविता | पिता के लिए पहाड़ी स्टेटस | Father’s day in Uttrakhand | पिता के लिए कुमाउनी कविता लिखी है। फादर्स डे के उपलक्ष में पहाड़ी स्टेटस भी लगा रहा हूँ। जरूर शेयर कीजिए ।  नोट- यह स्वरचित कविता है, सभी शेयर करने वालों से निवेदन है, कि कॉपी पेस्ट के साथ पेज का रेफ़रल अवश्य दें।🙏

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
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