फादर्स डे उत्तराखंड में (Father’s day in Uttrakhand )
मित्रो आज फादर्स डे है। वैसे देखा जाय तो , मा बाप को खुश करने या प्यार करने के लिए कोई स्पेशल डे की जरूरत नही है। हर दिन माँ का है। हर दिन पिता जी का है। उनसे तो हम हैं। लेकिन अगर दिन बनाया गया है,तो उसे भी मनाना चाहिए, और उस दिन अन्य दिनों से दोगुनी प्यार,खुशी माननी चाहिए। हम पहाड़ी हैं , अतएव हम फादर्स डे पहाड़ी में , ही मनाएंगे। इस उपलक्ष में हमने पिता पर कविता कुमाउनी में लिखी है। अच्छी लगे तो शेयर जरूर कीजिएगा।
कुमाउनी में पिता को बाज्यू , ओबा, पापा, बाब, बाबू आदि नामों से पुकारते हैं।
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“बाज्यू बाज्यू कभहे न कोय ”
( फादर्स डे उत्तराखंड में )
ईजा ईजा रोज कुनू, बाज्यू बाज्यू कभे न कोय।
दिन भर कमर तोड़, काम करबे ,
ब्याव कने द्वी रवाट ल्यानी, बाज्यूक कोई नि होय।।
बाज्यू आपुण फाटि कपड़ पैरनी, हमर फैशन पुर कर दिनी।
आपुण लिजी पेट भरी रवाट हो न हो, हमर पेट पुर भर दिनी।।
ईजा ईजा रोज कुनु, बाज्यू बाज्यू कभहे न कोय।….
उ नांछिना याद , जब बाज्यूक कंध में बैठी म्याल घुमछि।
जब बाज्यूक कंध मा बैठी दूनी देखछि,और दुनियाक हाल देखछि।।
ईजक दिलक बात सब समझनी, बाज्यूक मन के कोई नि समझ सकन।
सबुके बाज्यूक गुस्स देखि, बाज्यूक मन मा कदुक प्यार छू कोई न देख सकन।।
ईजा ईजा रोज कुनू, बाज्यू बाज्यू कभे न कोय….
सबुक पीड़ , सबुक आंसू ,बाज्यूल पोछि, बाज्यूक दुख कैले नि देखी।
सबुल पेट भर खा्य बाज्यूक भूख कैले नि देखी।।
बाज्यूल तुमुल दूनी दिखायी, हमार स्वीण पुर कर,
आपुण स्वीण भूलि गया ।
बाज्यू तुम कष्ट खै बे हमुकु मैस बने गया, हम तुमुगु भूलि गया।।
ईजा ईजा रोज कूनो, बाज्यू बाज्यू कभे न कोय….
स्वरचित – बिक्रम सिंह भंडारी
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