कुमाऊनी होली Lyrics , विरहन तेरी मुरली – कुमाऊनी होली उत्तराखंड की एक अनूठी सांस्कृतिक धरोहर है। इसमें गाए जाने वाले पारंपरिक गीत लोकसंस्कृति और भक्ति रस में डूबे होते हैं। इसी क्रम में “विरहन तेरी मुरली” गीत बहुत लोकप्रिय है। इस लेख में हम इस गीत के बोल और इसकी महत्ता पर चर्चा करेंगे।
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विरहन तेरी मुरली Lyrics
विरहन तेरी मुरली घनघोराघनघोरा-घन-घनघोरा विरहन तेरी मुरली घनघोरा ..
काहे ने पालो हरे-परेवा भाई हरे परेवाकाहे ने पालो यो मोरा .. विरहन तेरी मुरली घनघोरा ..
राजा पालो हरे परेवा भाई हरे परेवारानी ने पालो यो मोरा .. विरहन तेरी मुरली घनघोरा
कहां बसत हैं हरे-परेवा भाई हरे परेवाकहां बसत हैं यो मोरा .. विरहन तेरी मुरली घनघोरा ..
जंगल बसत हैं हरे-परेवा भाई हरे परेवामहल बसत हैं यो मोरा .. विरहन तेरी मुरली घनघोरा
कहां चुगत हैं हरे-परेवा भाई हरे परेवाकहां चुगत हैं यो मोरा .. विरहन तेरी मुरली घनघोरा ..
दाना चुगत हैं हरे- परेवा भाई हरे परेवाजंगल चुगत हैं यो मोरा .. विरहन तेरी मुरली घनघोरा
कुमाऊनी होली का महत्व –
उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में होली सिर्फ एक पर्व नहीं बल्कि लोकसंस्कृति का अभिन्न अंग है। यहाँ की होली गीतों में श्रृंगार, भक्ति और सामाजिक संदेशों का समावेश होता है। “विरहन तेरी मुरली” एक ऐसा ही लोकगीत है जो विरह भाव को दर्शाता है और भगवान कृष्ण की मुरली की मधुर ध्वनि को केंद्र में रखता है।
विरहन तेरी मुरली होली गीत की विशेषताएँ –
- लोकप्रिय कुमाऊनी होली गीत: यह गीत उत्तराखंड की पारंपरिक होली का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- विरह भाव: यह गीत प्रेम और भक्ति की भावना को व्यक्त करता है।
- परंपरागत संगीत: यह लोकगीत कुमाऊनी समाज में वर्षों से गाया जाता रहा है।
निष्कर्ष :
अगर आप उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत से जुड़े गीतों को पसंद करते हैं, तो “विरहन तेरी मुरली” आपकी प्लेलिस्ट का हिस्सा जरूर होना चाहिए। यह गीत पारंपरिक संगीत और लोकसंस्कृति के अनमोल रंगों से सजा हुआ है।कुमाऊनी होली गीतों से जुड़ें और उत्तराखंड की समृद्ध लोकसंस्कृति का आनंद लें!
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