Sunday, November 17, 2024
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देवरिया ताल मेला उत्तराखंड: पंच केदारों की पावन भूमि का एक अनूठा त्योहार

देवरिया ताल मेला उत्तराखंड के पंच केदारों की पावन भूमि में स्थित एक ऐसा मेला है जो अपनी धार्मिक महत्ता, सांस्कृतिक समृद्धि और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। यह मेला हर वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस मेले में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन हो जाते हैं।

देवरिया ताल मेले का इतिहास और महत्व

देवरिया ताल मेले का इतिहास काफी प्राचीन है। मान्यता है कि इस ताल का निर्माण नागराजा ने किया था। स्थानीय लोगों के अनुसार, एक बार एक दास दंपत्ति ने नागराजा को दर्शन देने के लिए कहा। ढोल दमाऊ बजाकर गीतों से नागराजा का आह्वान किया गया और प्रसन्न होकर नागराजा ने यह ताल बनाया। यह मेला न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि स्थानीय संस्कृति को जीवंत रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस मेले में लोग पारंपरिक वेशभूषा में सजे होते हैं और लोक नृत्य करते हैं। यह मेला स्थानीय लोगों के लिए धार्मिक आस्था का एक महत्वपूर्ण केंद्र है और साथ ही पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र है।

मेले की विशेषताएं

शोभायात्रा: मेले का सबसे मुख्य आकर्षण भगवान श्रीकृष्ण की शोभायात्रा है। सारी, ऊखीमठ और मनसूना जैसे गांवों से भक्त पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ भगवान श्रीकृष्ण की झांकियां लेकर देवरिया ताल पहुंचते हैं।
धार्मिक अनुष्ठान: मेले में विभिन्न प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। भक्त पूजा-अर्चना करते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का मंचन करते हैं।
लोक संस्कृति: मेले में स्थानीय लोक संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। लोग पारंपरिक वेशभूषा में सजे होते हैं और लोक नृत्य करते हैं।
पर्यटन: देवरिया ताल मेला पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र है। यहां आकर पर्यटक न केवल धार्मिक अनुष्ठानों में भाग ले सकते हैं बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य का भी आनंद ले सकते हैं।

देवरिया ताल मेला: पंच केदारों की पावन भूमि का एक अनूठा त्योहार
फोटो फ्रॉम सोशल मीडिया

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देवरिया ताल का महत्व

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देवरिया ताल न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी प्रसिद्ध है। यह ताल घने जंगलों से घिरा हुआ है और यहां शांत वातावरण है। एक अन्य मान्यता के अनुसार यहां पर बाणासुर की पोती ऊषा और भगवान श्रीकृष्ण का पोता अनिरूद्ध जल क्रीड़ा करने के लिए आया करते थे।

मेले में क्या करें

शोभायात्रा में शामिल हों: आप भगवान श्रीकृष्ण की शोभायात्रा में शामिल होकर इस पावन पल का हिस्सा बन सकते हैं।
धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लें: आप मेले में आयोजित होने वाले विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेकर आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।
लोक संस्कृति का आनंद लें: आप स्थानीय लोगों के साथ मिलकर पारंपरिक वेशभूषा पहनकर लोक नृत्य कर सकते हैं।
प्रकृति का आनंद लें: आप देवरिया ताल के आसपास घूमकर प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकते हैं।
स्थानीय व्यंजन का स्वाद लें: आप यहां के स्थानीय व्यंजनों का स्वाद ले सकते हैं।

कैसे पहुंचें

देवरिया ताल पहुंचने के लिए आपको सबसे पैहले देहरादून या हरिद्वार पहुंचना होगा। आप देहरादून बस, ट्रैन या हवाईजहाज़ से और हरिद्वार बस, ट्रैन से पहुंच सकते हैं। देहरादून या हरिद्वार से बस या टैक्सी द्वारा रुद्रप्रयाग द्वारा आ सकते हैं। हरिद्वार और देहरादून से डेली बस सर्विस की बस ले सकते हैं। फिर देवरिया ताल के लिए आप रुद्रप्रयाग से बस या टैक्सी ले सकते हैं। रुद्रप्रयाग से देवरिया ताल की दूरी लगभग 30 किलोमीटर है।

कहां ठहरें

देवरिया ताल के आसपास कई होटल और गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं। आप अपनी बजट के अनुसार कोई भी होटल या गेस्ट हाउस बुक कर सकते हैं।

आसपास के पर्यटन स्थल

रुद्रप्रयाग: रुद्रप्रयाग पंच केदारों में से एक है और यह एक प्रमुख तीर्थस्थल है।
केदारनाथ: केदारनाथ पंच केदारों में से एक है और यह एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है।
बद्रीनाथ: बद्रीनाथ चार धाम यात्रा के चार प्रमुख स्थलों में से एक है।
ऊखीमठ: ऊखीमठ एक छोटा सा गांव है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है।

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Pramod Bhakuni
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इस साइट के लेखक प्रमोद भाकुनी उत्तराखंड के निवासी है । इनको आसपास हो रही घटनाओ के बारे में और नवीनतम जानकारी को आप तक पहुंचना पसंद हैं।
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