Sunday, November 17, 2024
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छउवा या चीला, शुभ कार्यों व त्योहारों पर बनने वाला पहाड़ी मीठा भोजन

छउवा या चीला एक पहाड़ी मिष्ठ पाक्य भोज्य पदार्थ है। ऐसे खासकर शुभ कार्यों व् त्योहारों पर बनाया जाता है। कुमाऊं में कई स्थानों पर हरेला पर्व की पूर्व संध्या पर इस पहाड़ी मिष्ठान को बनाने की परम्परा है। यह रोटी के आकर का एक मीठा भोजन है। इसे सावधानी से तवे में बड़ी सावधानी से बनाया जाता है।

छउवा या चीला को बनाने की विधि

सर्वप्रथम गुड़ को पानी में उबाल कर उसकी पाग बना लेते हैं। फिर उस गुड़ की पाग में गेहू का आटा घोल कर उसका घोल बना लेते है। उसको हलके हाथ से मथ लेते हैं।  घोल ने न अधिक गाढ़ा होना चाहिए न ज्यादा पतला होना चाहिए। उसके बाद तवा गर्म करके, उसमे घी या वनस्पति तेल लगा लेंगे। घोल को उँगलियों के पोरों से इस प्रकार फैलाया जाता है कि वह हर जगह पर बराबर फैले। कही कम कही ज्यादा नहीं होना चाहिए। सारे तवे पर एक आकर में फैलना चाहिए। छउवा या चीला जितना अधिक पतला होगा, उतना ही अच्छा और स्वादिष्ट होगा।

छउवा या चीला

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इसे पकाने के लिए विशेष कौशल की आवश्यकता होती है। नहीं तो कही मोटा और कही पतला रह गया तो इसका मोटा भाग कच्चा और पतला भाग जल सकता है। क्योकि इसको अंगुली के पोरों से तवे पर फैलाना होता है। इसलिए इसमें अधिक सावधानी की आवश्यकता होती है। जरा सी असावधानी होने पर अंगुली के पोरों के जलने की संभावना होती है। इस कार्य में केवल पहाड़ की  गृहणियां दक्ष होती हैं। पुरुषों के द्वारा छउवा या चीला बना पाना असम्भव तो नहीं लेकिन कठिन जरूर होता है। पहाड़ो में बहु बेटिया शगुन के तौर पर ससुराल के लिए इसे बनाकर ले जाती थी। इसका प्रयोग मुख्यतः पूड़ियों के साथ शगुन के रूप में उपयोग किया जाता है।

यह पहाड़ी मिष्ठ भोजन जितना खाने में स्वादिष्ट होता है।  उससे अधिक यह पौष्टिक भी होता है। पहाड़ की परम्पराओं से जुड़ा यह पकवान धीरे -धीरे विलुप्ति की कगार पर है। फिर भी पहाड़ की पहाड़ जैसी जीवन शैली के साथ मोह लगाए कुछ लोग अपनी इन  समृद्ध परम्पराओं को जीवित रखे हुए हैं।

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
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