Thursday, April 10, 2025
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Chardham Opening 2023 – इस दिन खुलेंगे केदारनाथ धाम के कपाट।

Chardham opening 2023 – शिवरात्रि पर पंचकालीन गद्दीस्थल श्रीओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में आयोजित धार्मिक समारोह में पंचांग गणना के बाद श्री केदारनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि तय की गई। मंदिर के कपाट 25 अप्रैल को प्रात: 6:20 पर श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे। 20 अप्रैल को भैरवनाथ जी की पूजा होगी। 21 अप्रैल को भगवान केदारनाथ जी की पंचमुखी डोली केदारनाथ प्रस्थान करेगी। इस दिन डोली विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी विश्राम करेगी। 22 अप्रैल को डोली का रात्रि विश्राम फाटा और 23 अप्रैल को गौरीकुंड में होगा। 24 अप्रैल को डोली केदारनाथ धाम पहुंचेगी। 25 अप्रैल को प्रात: विधि-विधान से पूजा-अर्चना के बाद मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे। इस अवसर पर श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति, पंचगाई हक-हकूकधारियों सहित केदारनाथ तीर्थ पुरोहित समाज समेत कई लोग मौजूद रहे।

Chardham opening 2023
Chardham opening 2023

इससे पहले बसंत पंचमी पर बद्रीनाथ धाम कपाट खुलने की तिथि तय हो गई है। भगवान बद्री नारायण का धाम बद्रीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल सुबह सात बजकर दस मिनट पर खुलेंगे। गाडू घड़ा की तेल कलश यात्रा 12 अप्रेल को निकाली जाएगी। गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट अक्षय तृतीया के दिन खुलेंगे। 2023 में अक्षय तृतीया 22 अप्रैल को पड़ रही है। अर्थात 22 अप्रैल 2023 से उत्तराखंड में चार धाम यात्रा की शुरुवात हो जाएगी। कोरोना काल के दशं के बाद साल 2022 में चार धाम यात्रा में रिकॉर्ड यात्री आये थे। 2023 में भी चार धाम यात्रा में रिकॉर्ड यात्री आने की संभावना है।

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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