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इस भाग में हम उत्तराखंड के इतिहास के बारे में और उत्तराखंड की प्राचीन संस्कृति और मंदिरों के इतिहास पर चर्चा करेंगे। स्कन्द पुराण के अनुसार  हिमालय को पांच भौगोलिक क्षेत्रों में बाटा गया था। पहला -नेपाल व दूसरा भाग -कुर्मांचल अर्थात कुमाऊँ था। तीसरा -केदारखंड (गढ़वाल ) और  चौथा जालंधर (हिमांचल प्रदेश) था।  पांचवां सुरम्य क्षेत्र अर्थात कश्मीर क्षेत्र था ।

केदारखंड और कुर्मांचल नामक पवित्र नामो से विख्यात ये इन क्षेत्रों में कई राज वंशो ने राज्य किया। उसके बाद गोरखों का क्रूर शाशन भी रहा। तत्पश्यात सारे देश में अंग्रेजो के राज के साथ यहाँ भी अंग्रेजो ने शाशन किया।  १९४७ स्वतन्रता के बाद  यह क्षेत्र भारत देश के उत्तरप्रदेश राज्य के अंतर्गत आता था। उत्तरप्रदेश से सांस्कृतिक,भाषायी भिन्नता और भौगोलिक भिन्नता व् क्षेत्र का समुचित विकास न होने के कारण यहाँ के निवासियों ने एक अलग पृथक राज्य की मांग की।  कई वर्षों के आंदोलन और कई शहीदों की क़ुर्बानी के बाद ०९ नवंबर २००० को देश के २७ वे राज्य के रूप में उत्तरांचल बना। जनवरी २००७ से इसका आधिकारिक नाम उत्तराखंड कर दिया। देहरादून उस समय अंतरिम राजधानी थी।  वर्तमान में देहरादून  शीतकालीन राजधानी है। गैरसैण इसकी ग्रीष्मकालीन राजधानी हैं।

देवभूमि दर्शन ब्लॉग में हम उत्तराखंड के इतिहास के बारे में चर्चा करेंगे। उत्तराखंड के प्रसिद्ध शहरों के इतिहास के बारे लेख संकलित करेंगे। और यहाँ रीती रिवाजों परम्पराओं  के बारे में लेखों का संकलन करेंगे। इस लेख में हमने संक्षेप में इतिहास बताने की कोशिश मात्र की है। इस सेक्शन में हर एक बिंदु पर विस्तृत लेख अपडेट करेंगे।

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