झंडा मेला देहरादून || Jhanda mela Dehradun
2023 में मेला | jhanda mela Dehradun 2023 date –
2023 में झंडा मेला 12 मार्च 2023 से शुरू होगा। देहरादून में पंजाब ,हिमांचल , हरियाणा से बड़ी संख्या में संगते आना शुरू हो गई हैं। दरबार झन्डेजी के लिए गिलाफ सिलाई काम शुरू हो गया है। दरबार के महंत श्री देवेंद्र दास महाराज ने संगतो से झंडे मेले में भाग लेने और पुण्य अर्जित करने की अपील की है।

झंडा मेला देहरादून का इतिहास | jhanda mela Dehradun history –
झन्डेजी का इतिहास ( jhanda mela Dehradun history ) लगभग 350 साल पुराना है। श्री गुरु राम राय सिखों के सातवें गुरु श्री गुरु हर राय के पुत्र थे। महाराज जी बचपन से प्रतिभावान और तेजस्वी बालक थे। अटिकन्स कहते हैं, औरंगजेब के दरबार में चमत्कार दिखाने के कारण,औरंगजेब द्वारा उनकी तारीफ करने के कारण उन्हें सिख गुरु परम्परा से वंचित कर दिया गया। अपने पिता की गद्दी प्राप्त करने में असफल हो जाने के कारण अपने समर्थकों के साथ टौंस नदी के बाएं तट पर कंडाली में अपना डेरा डाला। उसके बाद कृष्ण पक्ष की पंचमी को खुड़बुड़ा नामक स्थान पर अपना डेरा डाला था। गुरु राम राय के डेरे के कारण ही इस दून का नाम डेरादून पड़ा। जो कालान्तर में देहरादून हो गया।
गुरु रामराय जी को औरंगजेब बहुत मानता था। औरंगजेब ने उन्हें हिन्दू पीर की उपाधि दी थी। गुरु राम राय देहरादून में जिस स्थान में ठहरे थे ,वह स्थान गढ़वाल के राजा फतेशाह के राज्य में आता था। फतेशाह औरंजेब के मित्र थे। कहते हैं औरंगजेब ने राजा फतेशाह को आदेश दिया था कि ,गुरु महाराज की जितनी जमीन चाहिए दे दी जाय और उनको किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होनी चाहिए। औरंगजेब से प्राप्त एक संतुति पत्र के आधार पर ,राजा फतेशाह ने गुरुमहाराज को देहरादून के तीन गांवों ( खुड़बुड़ा ,राजपुरा और आमसूरी ) की जागीर दी। कहते हैं गुरु राम राय ने 1694 में यहाँ गुरूद्वारे की स्थापना करके झंडा फहराया था। तबसे उसी की स्मृति में प्रतिवर्ष होली के पांचवे दिन ध्वजारोहण करके झंडा मेला मनाया जाता है।
झन्डेजी के मेले का धार्मिक महत्व | IMPORTANCE OF JHANDA MELA –
झन्डेजी का उत्सव 15 दिन का होता है। इसमें 100 फीट लम्बे स्तम्भ में लाल ध्वजा लगाई जाती है। भक्तों का विश्वाश है कि इस दौरान इस पर लाल या सुनहरी चुनरी बांधने पर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस पावन पल का साक्षी बनने के लिए दूर -दूर से यहाँ श्रद्धालु आते हैं।

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