आज आपको सुनाते हैं, हमारे पनदा की कहानी ! वैसे पनदा अल्मोड़ा के सबसे विकसित विधानसभा से आने वाले ठैरे। अब आप पूछोगे ये अल्मोड़ा में विकसित विधानसभा कौन सी है? भगवान कसम दाज्यू हमको बी नई पता ठैरा ! ये तो पनदा खुद अपनी फ़ेसबुक में लिखता है, तभी !हमको बी पता लगा कि अल्मोड़ा में कोई सबसे विकसित विधानसभा बी है ….जहां के पनदा नांतिनो के साथ दिल्ली में सटल हैं। वैसे पनदा हमारे एक नंबर के फ़ेसबुकिया ठैरे , फ़ेसबुक से ही उनको एक दिन पता चला, उनके गांव में भी विकास हो गया है….. 3 किलोमीटर…
Author: Bikram Singh Bhandari
खाल और छीना का अर्थ- मित्रों हमारे उत्तराखंड में पहाड़ से लेकर मैदान तक सभी स्थानों के कुछ न कुछ नाम हैं। और ये नाम उस स्थान की विशिष्ट भौगोलिक और सांस्कृतिक पहचान के आधार पर रखे जाते हैं। औऱ लगभग सभी स्थलों की अलग अलग पहचान होने के कारण नाम भी अलग अलग होते हैं। मगर उत्तराखंड के कई स्थानों के नाम मिलते जुलते होते हैं या उनके पीछे एक खास शब्द या प्रत्यय जुड़ा रहता है, जो उनका अर्थ समान कर देता है।आपने ध्यान दिया होगा कि कुमाऊं मंडल के कई स्थानों के नामों के आगे “छीना “…
यह लोक कथा धुमाकोट और गड़ी चम्पावती (चंपावत) की लोक कथा है। इस प्रसिद्व लोक कथा के अनुसार भगवान गोरिया ने आतंकी जटिया मसाण का मान मर्दन करके उसे बंदी बनाया था। लोक कथाओं के अनुसार जब भगवान गोरिया धुमाकोट में सुखपूर्वक शाशन कर रहे थे। उनके सुशाशन उनकी वीरता और उनके न्याय की ख्याति चारों ओर फैलने लगी थी । उसी काल मे चंपावत में नागनाथ नामक एक न्यायकारी और धर्मात्मा राजा शाशन करते थे। राजा बृद्धावस्था में आ गए थे, लेकिन उनकी कोई संतान नही थी। वे अपने उत्तराधिकारी की चिंता में डूबे रहते थे। उधर सैमाण के तालाब…
रानीखेत से लगभग 20 किलोमीटर दुरी पर स्थित बिनसर महादेव मंदिर, बेहद रमणीय और अलौकिक है। चारो और देवदार, पाइन और ओक के पेड़ों से घिरा बहुत ही मनभावन दृश्य प्रस्तुत करता है। इस परिसर में अप्रतिम शांति का अहसास होता है। बिनसर महादेव मंदिर रानीखेत का वीडियो देखें : https://youtu.be/dFmdIljLDLQ?si=Y23Dg07nsIaiaile यहाँ आकर आप ध्यान योग का लाभ ले सकते हैं। इस मंदिर की सुंदरता का वर्णन करना शब्दों में सम्भव नहीं है। यह क्षेत्र सम्पूर्ण कुमाऊं के सबसे सुन्दर क्षेत्रों में आता है। यहाँ से हिमालय की चौखम्बा, त्रिशूल, पंचाचूली, नंदादेवी, नंदा कोट आदि चोटियों का रमणीय दर्शन होते…
पहाड़ की इस घास के नाम पर पड़ा अल्मोड़ा का नाम : अल्मोड़ा उत्तरखंड के कुमाऊं क्षेत्र का प्रमुख जिला व नगर है । चंद राजाओं ने अल्मोड़ा की स्थापना की। अल्मोड़ा का पुराना नाम ,राजापुर और आलमनगर था। कालान्तर में इस क्षेत्र में रुमेक्स हेस्टैटस नामक घास अधिक पाए जाने और इस क्षेत्र में इसका ज्यादा प्रयोग होने के कारण इस घास के कुमाउनी नाम भिलमोड़ा, चलमोड़ा , अल्मोड़ा के नाम पर इस नगर का नाम अल्मोड़ा पड़ा। क्योंकि यह घास अल्मोड़ा क्षेत्र में अधिक पाई जाती है। तत्कालीन समय में कटारमल सूर्य मंदिर में वर्त्तन साफ करने के…
किसी ने सत्य कहा है, धर्म तोड़ने का नही जोड़ने का काम करता है। और इसका सटीक उदाहरण हैं, उत्तराखंड में बसे सिख नेगी जाती के लोग। उत्तराखंड की चमोली में बसा सिखों का सबसे बड़ा तीर्थ हेमकुंड साहिब, प्राचीन काल उत्तराखंड में पहाड़ी समुदाय के बीच सिख समुदाय की बसावट का स्पष्ट सबूत है। इसी सबूत को पुख्ता करते हैं, उत्तराखंड पौड़ी गढ़वाल के मलास्यु पट्टी का पीपली गांव,और बिजौली और हलूनी गांव जहां सिख नेगी परिवार रहते हैं। इसके अलावा पौड़ी गढ़वाल के अन्य कुछ गांव और कोटद्वार में भी सिख नेगी रहते हैं। पिपली में और अन्य…
काली कमली वाले बाबा- काली कमली वाले बाबा को उत्तराखंड में तीर्थ यात्रियों के लिए सुगम रास्ते और धर्मशालाओं के निर्माण के लिए जाना जाता है। इन्हें स्वामी विशुद्धानंद के नाम से भी जाना जाता है। इनका जन्म वर्तमान पाकिस्तान के गुजरांवाला जिले के जलालपुर किकना नामक स्थान में सन 1831 में हुवा था। ये भिल्लङ्गन शैव सम्प्रदाय से संबंध रखने के कारण, ये और इनका परिवार भगवान भोलेनाथ की तरह काला कंबल धारण करते थे। मात्र 32 वर्ष की आयु में ये सन्यास लेकर बन गए श्री 1008 स्वमी विशुद्धानंद काली कमली वाले बाबा। सन्यास के उपरांत ये जब…
ऋषिकेश उत्तराखंड के देहरादून जिले में स्थित है। यह समुद्रतल से लगभग 356 मीटर की उचाई पर स्थित है। ऋषिकेश का क्षेत्रफल लगभग 1120 वर्ग किलोमीटर है। ऋषिकेश उत्तराखंड के साथ साथ पुरे देश का प्रमुख तीर्थस्थल है। यहाँ की जलवायु समशीतोष्ण जलवायु है। गर्मियों में ऋषिकेश का तापमान 35 डिग्री से 40 डिग्री के आस आस रहता है। सर्दियों में यहाँ का मौसम 18 डिग्री से 32 डिग्री तक रहता है। वर्षा ऋतू में यहाँ औसतन 60 इंच बरिश होती हैं। ऋषिकेश में लगभगना सत्यनारायण मंदिर से लेकर लक्ष्मण झूला तक है। किन्तु लक्ष्मण झूला मुनि की रेती आदि टिहरी जिले…
एक गांव जिसका नाम था बाणसोलि वहां बचपन के दो परमप्रिय मित्र अपनी मित्रमंडली में जगतू और दीपक जो लगभग 12-14 वर्ष की आयु के थे उनकी दोस्ती की मिशाल बाणसोली गांव तो क्या दूर दूर तक के गावों में प्रसिद्ध थी। दोनों के ह्रदय में परोपकार की भावना थी लेकिन अंतर सिर्फ इतना था कि जगतू एक गरीब और दीपक अमीर परिवार से ताल्लुक रखता था इसलिए वे अपनी ओर से दूसरों की मदद भरपूर करते थे, जगतू तन और मन से अपनी ओर से हर संभव मदद निर्बल और असहायों की और दीपक धन और मन से पात्र लोगों…
पहाड़ के एक गावँ में एक भयानक मसाण लग गया था। शाम ढलते ही, मशाण का गावँ में आगमन हो जाता था। और जो भी बाहर मिलता उसे उठा कर ले जाता लेता था। ऐसा करते करते उसने गावँ के बहुत सारे लोग गायब कर दिए थे। किसी को नही पता था, वो उन लोगों को कहाँ गायब करता था ? और उनके साथ क्या होता था ? धीरे धीरे उस गावँ में भय का माहौल बन गया ! सूरज ढलते ही लोग दरवाजे बंद करके अंदर दुबक जाते थे। फिर भी उस मसाण के हत्थे कोई न कोई चढ़…