Author: Bikram Singh Bhandari

बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।

मित्रों सबको अपने मतदान का प्रयोग करना जरूरी है। अपने मत का प्रयोग करने के लिए सबसे मुख्य आवश्यक चीज होती है, voter ID card जिसे भारत का चुनाव आयोग ( election commission of India ) जारी करता है। यदि आपका वोटर कार्ड किसी कारणवश खो गया या भूल गए तो आप ऑनलाइन वोटर आईडी कार्ड डाऊनलोड करके अपना काम चला सकते हैं। या id प्रूफ  के रूप में प्रयोग के कर सकते हैं। प्रस्तुत लेख में हम ऑनलाइन वोटर आईडी कार्ड करना और अपना वोटर आईडी नंबर ऑनलाइन निकालना सीखेंगे। यह लेख आपके लिए काफी मददगार साबित हो सकता…

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2022 के पद्म पुरस्कारों में ,उत्तराखंड की डॉ माधुरी बर्थवाल को भी पद्मश्री सम्मान के लिए चयनित किया है। लोक गीतों और लोक संगीत के संरक्षण और प्रचार के लिए भारत सरकार ने डॉक्टर माधुरी बर्थवाल जी को  पद्मश्री सम्मान के लिए चयनित किया है। डॉक्टर माधुरी आल इंडिया रेडिओ में पहली महिला संगीतकार के रूप में जानी जाती हैं। इनको वर्ष 2019 के अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। डॉक्टर माधुरी जी उत्तराखंड के लोकसंगीत के संरक्षण के लिए बरसों से काम कर रही हैं। प्रस्तुत लेख में जानते हैं डॉक्टर माधुरी बड़थ्वाल…

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कहानी का शीर्षक- दाज्यू  लेखक – शेखर जोशी  चैक से निकलकर बाईं ओर जो बड़े साइनबोर्ड वाला छोटा कैफे है वहीं जगदीश बाबू ने उसे पहली बार देखा था।  गोरा-चिट्टा रंग, नीला श़फ्फ़ाफ़ आँखें, सुनहरे बाल और चाल में एक अनोखी मस्ती-पर शिथिलता नहीं. कमल के पत्ते पर फिसलती हुई पानी की बूँद की-सी फुर्ती। आँखों की चंचलता देखकर उसकी उम्र का अनुमान केवल नौ-दस वर्ष ही लगाया जा सकता था और शायद यही उम्र उसकी रही होगी। अधजली सिगरेट का एक लंबा कश खींचते हुए जब जगदीश बाबू ने कैफे में प्रवेश किया तो वह एक मेज पर से…

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पहेली शब्द संस्कृत के प्रहेलिका से बना है। प्रहेलिका का अर्थ है , किसी भी शब्द या वाक्य के बाह्य अर्थ में उसके मूल अर्थ का छिपा होना। मूल अर्थ का प्रकटीकरण या उसका जवाब ही प्रहेलिका या  पहेली है। प्राचीन समय में पहेलियाँ बुद्धि चातुर्य और हाजिर जवाबी के साथ मनोरंजन का का मुख्य साधन रहीं हैं। गढ़वाली और कुमाउनी साहित्य में अनगिनत पहेलियों का संकलन है।  उन्ही में से कुछ गढ़वाली और कुमाऊनी पहेलियाँ यहाँ संकलित कर रहें हैं। कुमाऊनी पहेलियाँ – लाल घोड़ पाणी पीबे आईगो  सफ़ेद घोड़ जाणो।  सिमारक हड़ , न सड़ न बढ़।  काव…

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भगनौल गीत और बैर भगनोल गीत कुमाउनी लोक गीतों की एक विधा है। भगनोल गाने वाले गायक को भगनौली कहते हैं। भगनोल में गायक और उसके साथ उसके सुरों को विस्तार देने वाले (जिसे ह्योव भरना कहा जाता है) दो या तीन साथी होते हैं। और बैर-भगनोल दो पक्षो के बीच एक प्रकार का गेय वाकयुद्ध होता है। जिसमे दोनो पक्ष एक दूसरे को भगनोल गा कर सवाल जवाब करते हैं। गायक की कुशलता उसके ज्ञान,वाकचातुर्य और प्रत्युत्पन्नमतित्व पर निर्भर करती है। आईए जानते हैं प्रसिद्ध कुमाउनी कवि, गीतकार श्री राजेन्द्र ढैला जी के शब्दों में  भगनोल और बैर भगनौल…

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26 जनवरी 2022 गणतंत्र दिवस की परेड में ,इस बार उत्तराखंड की झांकी में नजर आएगी उत्तराखंड के डोबरा चांठी पुल की झांकी। और इस झांकी में डोबरा चांठी पुल के साथ नजर आएगा ,प्रसिद्ध तीर्थ हेमकुंड साहिब ,टिहरी बांध और भगवान् बद्रीविशाल का महँ दरबार। कुमाऊं सांस्कृतिक लोककला दर्पण लोहाघाट के 16 कलाकारों का दल इस झांकी के साथ चलता हुवा नजर आएगा। उत्तराखंड राज्य की स्थापना के बाद 12 बार उत्तराखंड राज्य की झांकी गणतंत्र दिवस में भाग ले चुकी है। जिसमे 2003 में फूलदेई की झांकी ,2005 मे नंदा राज जात की झांकी और 2006 में फूलों…

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घर में दैनिक प्रयोग की वस्तुओं में कैलेंडर का बहुत ही अहम् किरदार होता है। कैलेंडर का प्रयोग दैनिक कार्यों को सूचीबद्ध करने से लेकर ,महत्वपूर्ण तिथियों को स्मरण रखने तथा उन तिथियों पर मह्त्वपूर्ण कार्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान देता है। इसके साथ -साथ यदि कैलेंडर उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति के रंगो से रंगा हो तो ,घर की सुंदरता में चार चाँद लगा देता है। 2022 में कुछ संस्कृति प्रचारको ने ,उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति में रंगे कैलेंडर बनाएं हैं। इन कैलेंडरों को आप आसान कीमत में ऑनलाइन माँगा कर , अपने घर को पहाड़ी संस्कृति के…

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“’लाटी’ शब्द एक स्त्रीलिंग द्योतक शब्द है। उत्तराखंड के कुमाउनी और गढ़वाली दोनों भाषाओँ में इस शब्द का प्रयोग किया जाता है। लाटी शब्द का मुख्य अर्थ है ,वह स्त्री या लड़की जो बोल नहीं सकती। पहाड़ी भाषा में  इस शब्द को सीधी -साधी ,भोली  लड़की या स्त्री के लिए भी प्रयोग किया जाता है। पहाड़ो में माता-पिता अपनी लाड़ली बेटी के लिए स्नेह जताने के लिए भी इस शब्द का प्रयोग करते हैं। प्रस्तुत कहानी लाटी गौरा पंत “शिवानी ” की एक घटना प्रधान कहानी है। आइये पढ़िए उपन्यास कार शिवानी जी की एक और स्त्रीप्रधान मार्मिक कहानी।” कहानी…

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कहानी का शीर्षक – नथ  लेखिका – गौरा पंत “शिवानी ” पुट्टी ने उठकर अपनी छोटी-सी खिड़की के द्वार खोल दिए। धुएं से काली दीवारों पर सूरज की किरणों का जाल बिछ गया। छत से झूलते हए छींके में धरे ताज़े मक्खन की ख़ुशबू से कमरा भर गया और पुट्टी के हृदय में एक टीस-सी उठ गई-क्या करेगी उस ख़ुशबू का जब उस मक्खन को खानेवाला ही नहीं रहा! ऐसे ही ताज़े मक्खन की डली फाफर की काली रोटी पर धरकर खाते-खाते उसके पति ने उसके मुंह में अपना जूठा गस्सा दूंस दिया था-ठीक जाने के एक दिन पहले। उस दिन भी…

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उत्तरायणी, घुघुतिया, मकरैनी आदि नामो से उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस उपलक्ष में एक विशेष पकवान जिसका नाम घुघुत होता है, वह बनाया जाता है। और अगले दिन छोटे छोटे बच्चे , काले कावा काले बोल कर कौओं को बुला कर ,उनको घुघुती खिलाते हैं। घुघुतिया त्यौहार क्यों मनाते हैं ? इसके पीछे एक प्रसिद्ध कहानी भी है। दोस्तों घुघुतिया त्यौहार के बारे में अधिक जानकारी और घुघुतिया की कहानी जानने के लिए और घुघुतिया की शुभकामनाएं 2024 के लिए  यहां क्लिक करें। प्रस्तुत लेख में हम यहाँ उत्तरायणी पर आधारित एक प्रसिद्ध…

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