Wednesday, November 20, 2024
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मेरी जन्मभूमी उत्तराखंड, मेरी मातृभूमि उत्तराखंड

मेरी जन्मभूमी उत्तराखंड

मेरी जन्मभूमी उत्तराखंड, यह नाम सुनते ही शरीर में एक बड़ी प्यारी सी सिहरन उठ जाती है, लगता है कि जैसे किसी ऐसी चीज के बारे में बात हो रही है जो कि हमारी अपनी है, हमारा हिस्सा है, हमारे प्राण जिसमें बसते हैं ऐसी कोई चीज है, लेकिन यह नाम है हमारे प्यारे प्रदेश का, यह नाम है हमारी मातृभूमि, जन्मभूमि का।

उत्तराखंड के बारे में काफी लोग (जो इसको अच्छे से जानते हैं) यह राय रखते हैं कि यह अपने आप में एक सम्पूर्ण राज्य है। यहाँ की प्राकृतिक सम्पदाएँ, यहां के लोगों का स्वभाव, यह सब कुछ ऐसी बातें हैं जो हमारे राज्य को बहुत अलग बना देते हैं।

जब हम अपने राज्य से बाहर होते हैं तो उस समय अपनी माँ से बिछड़ने के समान दुःख सा महसूस होता है जिसका एक कारण यह है कि हमें हमारे राज्य के समान और कोई जगह ऐसी नही लगती है जो कि इसकी बराबरी कर सके।

हमारे राज्य का प्राकृतिक आवरण कुछ इस तरह का है कि कोई भी इंसान इसकी ओर खिंचा चला आता है। हमारे पास हर वह चीज है जो कि शहरों में या किसी अन्य जगह रहने वाले लोगों को एक सपना सा लगता है। हमारे हर एक जिले के पास एक विशेष चीज है जो कि उस जिले को बहुत महत्वपूर्ण बना देती हैं। अगर आपको गंगा स्नान का पुण्य कमाना है तो आप उत्तराखंड में आ  कर अपनी आत्मिक शांति प्राप्त कर सकते हैं। अगर बहुत अधिक घूमने फिरने का शौक रखते हैं तो आपको पहाड़ों में आने के बाद ऐसी बेहतरीन चीजें देखने को मिलेंगी कि आप बार बार आना चाहेंगे।

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अगर आप खाने पीने के शौकीन हैं तो हमारे उत्तराखंड के पहाड़ों में कुछ इस तरह की खाने की चीजें मिलती और बनाई जाती हैं कि कोई भी खाने का शौकीन इंसान हमेशा के लिए यादें ले कर अपने साथ यहां से जाएगा। अगर आपको बर्फ से खेलने का शौक है तो आपको हमारे वहां यह शौक भी पूरा करने का मौका मिल जाएगा।

ऊपर लिखी हुई बाते यह बताने के लिए काफी हैं कि हमारा राज्य क्या है। यहां के लोग इतने ज्यादा सीधे और सामान्य रूप से जीवनयापन करते हैं कि यदि आप किसी से कुछ मदद मांगें या फिर कोई पता पूछें तो ये लोग आपको आपके पते पर पहुँचा कर आते हैं। भले ही पीछे इनका कितना ही बड़ा काम क्यों ना छूट रहा हो।

ये बातें कुछ ऐसी हैं जो हमको बहुत ज्यादा मजबूत बनाती हैं और हमेशा के लिए अच्छी सीखें देती हैं। यहां खेलों और अन्य कार्यक्रमों में भी लोग बराबर हिस्से लेते हैं और बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। भारतीय सेना की दो टुकड़ियां इसी राज्य में हैं जिनसे दुश्मन हर एक तरह के वातावरण में लड़ने से कांप जाती हैं। हमारे राज्य के नौजवान बचपन से ही इतने मेहनती और तेज होते हैं कि एक उम्र के आते ही ये भारतीय सेना में भर्ती होने की दिन रात जी तोड़ मेहनत करने लग जाते हैं।

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हमारे यहां के बुजुर्गों को देख कर कभी कभी अहसास होता है कि उम्र नाम का कोई पैमाना हमारे लिए है ही नहीं, बहुत बार हम देखते हैं कि हमारे 75-80 साल के बुजुर्ग, शहरों में रहने वाले 18-20 साल के लड़को से भी ज्यादा तेज चल जाते हैं। कुछ राज्य इस बात को ले कर परेशान रहते हैं कि उनके वहां जंगली जानवर अधिक नही है लेकिन उत्तराखंड में रहने वाले लोगों का जंगली जानवरों के साथ कुछ इस तरह का संबंध है कि वे हमेशा हमारे अगल बगल ही रहते हैं। ये सब बातें कहने और सुनने में भले ही बड़ी सामान्य लगती हों लेकिन इनका बहुत गहरा महत्व है। किसी भी राज्य को यही कुछ बातें महत्वपूर्ण बनाती हैं।

वर्तमान समय में हमारा राज्य हर एक स्थान पर बेहतरीन प्रदर्शन कर रहा है। खेलों के क्षेत्र में हमारे राज्य के बहुत से खिलाड़ी अपनी प्रतिभा से हमें गौरवान्वित कर रहे हैं। ऐसे ही विज्ञान के क्षेत्र में हो या फिर साहित्य के क्षेत्र में, हम हर जगह पर अच्छा काम कर रहे हैं। हमारे पास प्राकृतिक संसाधनों की भी कोई कमी नहीं है और यही वजह हैं कि हम एक संपूर्ण राज्य का हिस्सा हैं।

कुछ बातें जो आने वाली पीढ़ियों को हमेशा ध्यान में रखनी चाहिए:

  1. आपकी भाषा देश की सबसे अच्छी भाषा है, भले ही आप कुमाऊनी बोलते हों या गढ़वाली, आपकी भाषा बहुत अच्छी भाषा है और आपको हमेशा यह प्रयास करना चाहिए कि आपकी भाषा का महत्व कम ना हो।
  2. अपने राज्य के प्रति श्रद्धावान रहें – कहा जाता है कि अपने घर का बोरिया, दूसरे के घर के बेड से भी ज्यादा सुखद एवं आनंददायक होता है। यह बात हमेशा याद रखनी होगी कि भले ही आप देश के किसी भी कोने में अपनी आजीविका बना रहे हैं, आपको अपने राज्य के प्रति जागरूक रहना होगा, राज्य के हर एक महत्वपूर्ण मसले पर अपना योगदान देना होगा, राज्य के उज्जवल भविष्य के लिए जो भी अच्छे कार्य कर सकें करने होंगे।
  3. कुछ लोग, जो कि केवल शौक रखने के हिसाब से उत्तराखंड से बाहर रहन सहन कर रहे हैं उनको यह बात याद रखनी चाहिए कि हमारे राज्य के पास हर एक ऐसी जगह है जिसको आप घूम सकते हैं, जहां आप रहकर अपना काम कर सकते हैं, अपनी आजीविका बना सकते हैं ।

यदि आप उत्तराखंड में रह कर कोई ऐसा काम करते हैं जिससे आपकी आजीविका निकलती है तो यह एक हिसाब से राज्य का विकास ही होगा क्योंकि आपका एक छोटा सा काम भी हमारे राज्य को बेहद ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए काफी है। आज के समय में हमारा राज्य कुछ ऐसी मुसीबतों का सामना कर रहा है जिसका कुछ समय पहले तक किसी को भान तक नही था लेकिन अब यह समस्याएं बढ़ती जा रही है।

जिस तरह से बढ़ती आधुनिकता हमे विकास के नए आयामों की ओर ले जाती है बिल्कुल उसी तरह यह आधुनिकता हमारे अंदर से हमारी प्राचीनता को भुला देती है जो कि हमारे लिए बहुत अधिक बुरी बात है। हम सब को एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि हम भले ही जितने भी आधुनिक क्यों ना हो जाएं , हमारे अंदर हमारे संस्कार, परम्परायें उसी तरह से रहनी चाहिए जैसे यह पहले थी। आज का युग हमें जिस तरह विकास की तरफ ले जा रही हैं वैसे ही कुछ चीजें हमसे हमारा अस्तित्व भी छीन रही हैं क्योंकि हमारा यह मानना रहा है कि हमारी संस्कृति, संस्कार और परंपरा ही हमारा अस्तित्व है।

आज की नई पीढ़ी अपने राज्य के प्रति, अपनी भाषा के प्रति, अपनी परम्पराओ के प्रति, अपने संस्कारों के प्रति उदासीन सी लगती है जिसकी वजह से इस राज्य का भविष्य थोड़ा सा डगमगाता सा नजर आता है परंतु हम ही इस राज्य की नींव है तो हमे ही इन पीढ़ी के लोगों को अपने राज्य के बारे में, अपनी परम्पराओ के बारे में समझाना होगा, तथा जागरूक करना होगा। बाकी हम सभी को गर्व होना चाहिए कि हम एक ऐसे राज्य से ताल्लुक रखते हैं जहां जाना लोगों का सपना होता है, जहाँ पर अपना मनपसंद काम करने के लिए लोग तरसते हैं, जहाँ पर पर्यटन इतना अधिक होता है कि कई बार होटल तक में लोगों को ठहरने के लिए जगह नही मिलती है।

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हम सब खुशकिस्मत हैं जो स्वर्ग के समान इस राज्य में पैदा हुए हैं। तो आइए, एक पहल करते हैं अपने राज्य के भविष्य को उज्जवल बनाने और इसकी परम्पराओ को सहेजने की ओर क्योकि आज यदि हमने सही समय पर सही कदम नहीं उठाए तो शायद कल पश्चाताप करना पड़े।

धन्यवाद !

प्रियंका जोशी !

लेखिका के बारे में :-
मेरी जन्मभूमी उत्तराखंड की लेखिका प्रियंका जोशी पुत्री श्री दिनेश चंद्र जोशी हैं। प्रियंका मूलतः टनकपुर चम्पावत की रहने वाली है और अभी पढाई कर रही हैं। प्रियंका जोशी जी को उत्तराखंड पर लेख लिखना व जानकारियां साझा करना अच्छा लगता हैं। उत्तराखंड की समृद्ध परम्पराओं व जानकारियों को डिजिटल मंच पर उतारने में प्रियंका टीम देवभूमि दर्शन की मदद  कर रही हैं। प्रियंका जोशी जी की इंस्टाग्राम id – https://instagram.com/priyankajoshi1920?utm_medium=copy_link

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Bikram Singh Bhandari
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बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
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