Friday, November 22, 2024
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जय मैया दुर्गा भवानी लिरिक्स | Jay maiya Durga bhawani lyrics

जय मैया दुर्गा भवानी कुमाऊनी भजन

उत्तराखंड का सदाबाहर कुमाउनी भजन ,जय मैया दुर्गा भवानी लिरिक्स (Jay maiya Durga bhawani lyrics) यह प्रसिद्ध भजन कुमाऊं के प्रसिद्ध गायक  स्वर्गीय श्री गोपाल बाबू गोस्वामी जी ने गाया है।

जै मैया दुर्गा भवानी लिरिक्स ( (Jay maiya Durga bhawani lyrics) :-

तू ही दुर्गा , तू ही काली महिमा तेरी अपार।
हे जग जननी जय महा माया ,आया तेरे द्वार।।
जय मैया दुर्गा भवानी जै मैय्या ।
जै मईया दुर्गा भवानी जै मैय्या।।
तेरी सिंह की माता सवारी ।
हाथ चक्र सुदर्शन धारी।।
डाना काना में है रोछ वास
डाना काना में है रोछ वास।।
पुण्यगिरी में जली रे जोत ।।
जय मैय्या दुर्गा भवानी । जै मैय्या ..
तेरी जैकार  माता उपट्टा ।
तेरी जय हो देवी का धुरा
तेरी जैकार  माता उपट्टा ।
तेरी जय हो देवी का धुरा।।
तेरी जयकार माता गंगोली ।
तेरी जयकार काईगाड़ काली…
जै मैया दुर्गा भवानी ,जय मैया …

दुनागिरी की सिंह वाहिनी …
तेरी जयकार चन्द्रबदनी।।
तेरी जैकार हे माता नंदा।
तेरी जयकार देवी मनीला ।।
जय मैया दुर्गा भवानी ,जै मैया ……
तेरा नामा रूपों के प्रणामा।
दिए भक्ति को मिके तू ज्ञाना।
तेरा नामा रूपों के प्रणामा।
दिए भक्ति को मिके तू ज्ञाना…
तेरो गोपाल जोडूछो हाथा।
धरि दिए माँ सबुकी तू लाजा ।।
जै मैया दुर्गा भवानी जै मैय्या ।
जय मईया दुर्गा भवानी जै मैय्या।।

जै मैया दुर्गा भवानी गीत(Jay maiya Durga bhawani ) लेखक और गायक के बारे में संशिप्त परिचय :-

गायक व लेखक :- स्वर्गीय श्री गोपाल बाबू गोस्वामी

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गीत के निर्माता – श्री चंदन सिंह भैसोड़ा।

कुमाउनी लोक गायक स्वर्गीय गोपाल बाबू गोस्वामी जी का संशिप्त परिचय :-

स्वर्गीय गोपाल बाबू गोस्वामी का जन्म अल्मोड़ा जिले के चौखुटिया तहसील चाँदीखेत नामक गावँ में 02 फरवरी 1949 को हुवा था।  गोपाल बाबू गोस्वामी जी की माता का नाम चनुली देवी एवं पिता का नाम मोहन गिरी था। गोपाल बाबू गोस्वामी जी की शिक्षा 5 तक अपने स्थानीय विद्यालय से की थी।

बाद में पारिवारिक परिस्थितियों के कारण वो आगे की शिक्षा नहीं कर पाए। और घर के लिए कमाने के लिए दिल्ली चले गए । मैदानी क्षेत्र में स्थाई नौकरी ना मिल पाने के कारण वापस अपने पहाड़ आकर खेती बाड़ी की और , उत्तराखंड के कुमाउनी लोक संगीत को अपना अमूल्य जीवन दिया। 26 नवंबर 1996 को ब्रेन ट्यूमर के कारण उनका असामयिक निधन हो गया।

कुमाऊनी कहानी ,”मय्यार मुख के देखछे ,मय्यार खुट देख ” को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

 

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
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