Saturday, November 23, 2024
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गागरी गोल – जब गागरी में आये गोलू देवता और कहलाये गागरी गोल।

बागेश्वर जिले के कत्यूरों की राजधानी कार्तिकेयपुर में स्थित है भगवान् गोलू देवता का पावन धाम है, जो गागरी गोल के नाम से प्रसिद्ध है। गरुड़ बागेश्वर में स्थित गोल्ज्यू के इस मंदिर के नाम पर इस क्षेत्र का नाम गागरी गोल (gagrigol bageshwar ) पड़ा है।

गागरी गोल के बारे में प्रचलित लोककथाएं ,जनश्रुतियां –

जैसा की हमको पता है कि बागेश्वर जिले में स्थित गागरी गोल नामक गांव का नाम  भगवान् गोल्ज्यू के मंदिर के नाम से पड़ा है। कहते हैं गोल्ज्यू ( गोलू देवता ) यहाँ गागर ( तांबे का पानी भरने का बर्तन ) में आये और यहाँ स्थापित कर दिए गए तबसे गोलू देवता और इस क्षेत्र का नाम गागरीगोल पड़ गया। गोलू देवता के गरुड़ बागेश्वर आने के पीछे बहुत सारी लोककथाएं , जनश्रुतियां प्रचलित हैं ,उनमे से कुछ ल कथाओं को बारी -बारी से जानने के कोशिश करते हैं।

पहली कथा इस प्रकार है की चंद राजाओं के सेनापति पुरुषोत्तम पंत गागर में गोल्ज्यू की मूर्ति लेकर गढ़वाल की की तरफ जा रहे थे। कहते हैं कि वे यहाँ पर विश्राम के लिए रुके और विश्राम के बाद जब जाने लगे तो गागर उनसे नहीं हिली। तब गोल्ज्यू को गागर सहित यहीं स्थापित कर दिया गया। और भगवान् गोल्ज्यू यहाँ बन गए गागरी गोलू।

गागरी गोल

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ऐसी ही मिलती जुलती कहनियाँ और प्रचलित हैं ,जिनमे लोगो का मानना कि जब चंद राजा चम्पावत से अल्मोड़ा शिफ्ट हो रहे थे ,तो वे अपने पुरे साजो सामान के साथ अपने इष्ट गोल्ज्यू को गगरी में रख कर इस रस्ते से आ रहे थे। तब यहाँ विश्राम करने के बाद गागर यहीं जम गई। ईष्ट देव से काफी प्रार्थना करने के बाद ईष्ट देव गोल्ज्यू ने पस्वा में अवतार लेकर बताया कि उन्हें  यह स्थान अच्छा लग गया है ,आप लोग जाओ मै यहाँ से आगे नहीं जाऊंगा। तब चंद राजाओं ने गोलू देवता की स्थापना करके साथ में चल रहे जोशी परिवारों में से एक दो परिवारों को गोल्ज्यू की सेवा के लिए छोड़ दिया।

इसके अलावा एक कहानी इस प्रकार है कि मटेना गांव के जोशी की गाय यहाँ नियमित झाड़ियों में दुग्धदान करती थी। एक दिन उसके मालिक ने छुप कर ये सब देख लिया। उन्होंने दुग्ध विसर्जन वाली जगह पर खोद कर देखा तो वहां गगरी के अंदर गोलू देवता की मूर्ति थी। और उस गाय का दूध सीधे गोल्ज्यू के सर पर अर्पित हो रहा था। उस घटना के बाद वहां गोल्ज्यू के देवालय की स्थापना की गई जो अब गागरी गोल के नाम से प्रसिद्ध है। मटेना के जोशी लोग यहाँ के पुजारी हैं।  गोल्ज्यू को क्षेत्रवासी नए फसल की नवाई चढ़ाते है। यहाँ विषुवत संक्रांति और महाशिवरात्रि के अवसर पर मेले का आयोजन होता है।

गागरी गोल (gagrigol bageshwar ) के बारे में मान्यता है कि यहाँ गोलू देवता अपने भक्तो की मनोकामना तुरंत पूर्ण करते हैं। स्थानीय भाषा में कहा जाय तो एक दम तात्काळ पर्चे देते हैं यहाँ गोलू देवता।

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Bikram Singh Bhandari
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बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
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