Year: 2023

उत्तराखंड के पहाड़ो में एक कहावत कही जाती है,”खसिया की रीस और भैस की तीस ” लोकाचार में इसका अर्थ…

आदिकाल से हमारे देश में लोगों द्वारा अपनी खुशियों को नृत्य के नृत्य के रूप में प्रकट करने की परम्परा…

उत्तराखंड के पहाड़ की वास्तविक हालत बताती प्रदीप बिलजवान  विलोचन जी की यह गढ़वाली कविता। गढ़वाली कविता का शीर्षक है…

आज दुनिया ग्लोबल वार्मिंग जैसी भयावह स्थिति का सामना कर रही है ऐसे में सबसे ज्यादा जरूरी है पर्यावरण संरक्षण…

हल्द्वानी में महिला रामलीला – कुमाऊँ के सबसे बड़े आर्थिक, शैक्षिक, व्यापारिक एवम आवासीय केंद्र यानी “कुमाऊँ के प्रवेश द्वार”…

उत्तराखंड में महिलाओं का स्वर्णिंम इतिहास रहा है। शाशन या सत्ता सहयोग मिले या न मिले, उत्तराखंड की दृढ़ निश्चयी…