आदिकाल से हमारे देश में लोगों द्वारा अपनी खुशियों को नृत्य के नृत्य के रूप में प्रकट करने की परम्परा रही है। विशेषकर त्योहारों की खुशियाँ नृत्य के रूप में मनाई जाती हैं। भारत में कई समृद्ध संस्कृतियों का वास है। प्रत्येक संस्कृति/ वर्ग / समुदाय के लोगो द्वारा एक विशेष नृत्य विकसित किया गया है , जो उनकी पारम्परिक संस्कृति का प्रदर्शन करता है। वर्गविशेष या समुदाय विशेष के आम लोगों द्वारा सांस्कृतिक प्रदर्शन को विकसित किये गए नृत्य को लोकनृत्य कहते हैं। भारत में प्रत्येक समुदाय के अपने -अपने विशेष लोक नृत्य हैं। इसी प्रकार उत्तराखंड के प्रत्येक समुदाय और मंडल के अलग -अलग लोकनृत्य विकसित हैं। उत्तराखंड के इन्ही लोकनृत्यों में से आज इस पोस्ट में हम कुमाऊं मंडल के शौका जनजाति का परम्परागत लोकनृत्य चंफूली नृत्य ( chamfuli dance ) के बारे में जानकारी संकलन करने की कोशिश कर रहे हैं।
चंफुलि नृत्य (chamfuli Dance ) –
चंफूली नृत्य ( chamfuli dance ) उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के पूर्वी शौका जनजाति का परम्परागत सामूहिक लोक नृत्य है। यह नृत्य लोकवाद्यों की संगत में गीत के धुनों के साथ ,स्त्री व् पुरुषों के द्वारा एक गोल घेरे में किया जाता है। इसमें नर्तक मंडल ( dancer ) अर्थात नृत्य करने वाले सदस्य एक दूसरे का हाथ थामे होते हैं। और चंफुलि नृत्य (chamfuli ) के बीच -बीच में हाथों के बंधन से मुक्त होकर ,दोनों हाथों से तालियां भी बजाते रहते हैं। अपनी खास लयगति के साथ किया जाने वाला उत्तराखंड का यह लोकनृत्य बड़ा ही आकर्षक और मनमोहक होता है। चंफूली लोक नृत्य ( chamfuli dance ) आधुनिक परिवेश में विलुप्तप्राय हो रहा है।
संदर्भ – चंफूली नृत्य के बारे में इस पोस्ट में प्रो dd शर्मा जी की किताब उत्तराखंड ज्ञानकोष का सहयोग लिया गया है।
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