Friday, May 9, 2025
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उत्तराखंड के विकास की असलियत बयां कर रही हैं, हाल ही में घटित ये घटनाएं।

9 नवम्बर 2000 को भारत के सत्ताइसवें राज्य के रूप में जन्म लेने वाला पहाड़ी राज्य उत्तराखंड। जो पहले उत्तराँचल के नाम से बना और बाद में इसे उत्तराखंड के नाम से नवाजा गया। इस राज्य को यथार्थ के धरातल पर लाने के कई वर्षो का संघर्ष चला। कई लोगों ने इस सपनों के उत्तराखंड को बनाने में अपना बलिदान दिया। मुज़फ्फर नगर कांड और खटीमा मंसूरी जैसे गोली कांडों से रूबरू होकर बनाया है ,इस उत्तराखं ड को। अगले २ माह में हमारा प्यारा उत्तराखंड बाइस साल  पुरे करके तेइसवे में बैठ जायेगा। मगर इतने सालों में हमने क्या खोया क्या पाया ? उत्तराखंड का विकास की क्या असलियत है ? 2022 से पहले अगर आप इस विषय पर विचार करते तो उत्तराखंड के विकास  ,उत्तराखंड की स्थिति की वास्तविकता जानने में थोड़ा मशक्क्त करनी पढ़ती लेकिन इस साल 2022 कई घटनाएं ऐसी घटी जिससे आईने की तरह साफ हो जाता है ,कि आज उत्तराखंड कहाँ है ? और इसका भविष्य कहाँ जा रहा है ?

आइये यहाँ कुछ प्रमुख घटनाओं के माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं ,उत्तराखंड की वर्तमान स्थिति के बारे में। सर्वप्रथम आप यदि जानना चाहते हैं कि आपके सपनों के राज्य उत्तराखंड में राज्य प्रशाशन को निवासी की हकों की कितनी चिंता है , तो आप कुछ समय पहले चमोली के हेलंग की घस्यारी घटना का संदर्भ ले सकते हैं।

स्वास्थ के मांमले में हमारा उत्तराखंड सबसे आगे है। कल ही (14.9.2022) घटित पिथौरागढ़ की घटना जिसमे एक बच्चे ने ओपीडी की लाइन में लगे पिता की गोद में दम तोड़ दिया। मानवता को शर्मसार करने वाली इस घटना ने समस्त उत्तराखंड को शर्म से सर झुकाने पर मजबूर कर दिया। उत्तराखंड स्वास्थ विभाग का ये कोई पहला मामला नहीं है ,पिछले महीने अल्मोड़ा में एमरजेंसी ड्यूटी पर डॉक्टर साहब पी कर टुन्न मिले थे। उत्तरकाशी में एक परिवार ने अपनी बहु और बच्चे को खोया था। आईने बन कर  ये घटनाये हमे बताती हैं कि उत्तराखंड में स्वास्थ व्यवस्था की क्या स्थिति है।  उत्तराखंड के जर्जर विकास खोलती एक और घटना ,चम्पावत में स्कूल शौचालय की छत गिरने से एक बच्चे की मृत्यु हो गई। कई घायल हो गए।

अब आते हैं उत्तराखंड की इस साल की सबसे बड़ी घटना उत्तराखंड परीक्षा घोटाला। यह एक ऐसी घटना है ,जिसने उत्तराखंड के विकास को खुली किताब की तरह सबके सामने रख दिया।  हमारे सपनो के राज्य में माफिया दीमक की तरह कितने अंदर तक घुस चूका है ,इस घटना से स्पष्ट रूप से पता चल रहा है। जहाँ नेता अपने रिश्तेदारों को पिछले दरवाजे से सरकारी नौकरी में बिठाकर सब कुछ नियम से हो रहा है का दम्भ भर रहे हैं। सरकार रोज एक एक बलि बकरा पकड़ कर ,युवा आक्रोश को शांत करने की कोशिश में लगी है। वही बेरोजगार युवा रोड पर धक्के खा कर अपना आक्रोश व्यक्त कर रहा है ,और सीबीआई जाँच की मांग कर रहा है। समाज की हालत ये है कि एक अनुसूचित जाती के युवक ने सामान्य जाती की युवती से विवाह कर लिया तो युवती के परिजनों ने युवक की हत्या कर दी।

ये थी उत्तराखंड में घटित कुछ घटनाएं जो उत्तराखंड के विकास की हकीकत को खुली किताब की तरह सामने रखती हैं। ये घटनाएं उत्तराखंड में स्वस्थ ,शिक्षा, रोजगार की वास्तविकता को बता रहीं है। उत्तराखंड के साथ जन्मे झारखंड के बारे में एक खबर आई थी कि वहा खतियान 1932 के आधार पर मूल निवासी कानून लागू होगा। अर्थात जिनके पूर्वज 1932 के पहले के भू सर्वे में शामिल थे या उनके पास 1932 से पहले से जमीनें थी। इस आधार पर महेंद्र सिंह धौनी जैसे चर्चित उत्तराखंड मूल के क्रिकेटर बाहरी कहे जायेंगे। लेकिन उत्तराखंड में अलग अलग राज्यों क्षेत्रों के अलग अलग संस्कृतियों के लोग यहां अवैध रूप से बस रहे हैं। यहां जमीनों पर अवैध कब्जा हो रहा। शांत कहे जाने वाले पहाड़ो में अपराध ,मानव तस्करी बढ़ रही है। पहाड़ अपराधियों के छुपने का एक अच्छा और सुरक्षित अड्डा बन रहे हैं। पहाड़ों में लोगो के गायब होने और बाहरी लोगों द्वारा पहाड़ों पर की जाने वाली आपराधिक गतिविधियों की खबरें रोज आ रहीं हैं।

वास्तव में 2022 उत्तराखंड और उत्तराखंडियों को उनके सपनों के राज्य उत्तराखंड की वास्तविक हकीकत दिखा रहा है।

अब इतनी घटनाये घट रही हैं तो उत्तराखंड के निवासी उत्तराखंडी कहाँ है ? उत्तराखंडी उत्तराखंड में है ही नहीं ! उत्तराखंड में भाजपाई है ,कांग्रेसी है ,आपिया है। उत्तराखंडी तो बेचारा दो बखत की रोटी की खोज में पलायन कर गया।

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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