देहरादून: ‘एक देश, एक चुनाव’ के बहुचर्चित प्रस्ताव पर भारत सरकार द्वारा गठित संयुक्त संसदीय समिति ने उत्तराखंड सहित सभी राज्यों से छह महीने के भीतर एक साथ चुनाव पर विस्तृत रिपोर्ट सौंपने को कहा है। समिति ने इस मुद्दे को देश हित से जुड़ा बताते हुए स्पष्ट किया है कि भविष्य में जो भी निर्णय लिया जाएगा, उसमें देशहित ही सर्वोपरि होगा।
संविधान (129वां संशोधन) विधेयक 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक 2024 पर फीडबैक लेने के लिए संयुक्त संसदीय समिति की बैठकें 21 मई को शुरू हुईं और दो दिवसीय गहन चर्चा के बाद आज समाप्त हो गईं। समिति के अध्यक्ष पी.पी. चौधरी ने मीडिया से बातचीत में इन दो दिनों के अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि समिति ने अब तक महाराष्ट्र और उत्तराखंड राज्यों से ‘एक देश, एक चुनाव’ पर फीडबैक लिया है।
पी.पी. चौधरी ने इस बात पर जोर दिया कि रिपोर्ट तैयार करने के लिए समिति के सामने कोई निश्चित समय सीमा नहीं है। उन्होंने कहा, “समिति किसी भी तरह की जल्दबाजी में नहीं है। यह काम देश हित से जुड़ा अत्यंत महत्वपूर्ण है, इसलिए ठोस काम करने पर जोर है। समिति पूरे देश में सभी राज्यों तक पहुंचेगी।”
एक साथ चुनाव के संभावित लाभों पर प्रकाश डालते हुए चौधरी ने बताया कि यदि यह व्यवस्था लागू होती है, तो अर्थव्यवस्था को लगभग ₹5 लाख करोड़ का लाभ होगा, जो जीडीपी का 1.6 प्रतिशत होगा। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब आज भी कई चुनाव एक साथ होते हैं, तो क्या यह गलत है। उन्होंने चुनाव के दौरान होने वाले व्यापक श्रमिक आवागमन का भी जिक्र किया, जिससे उद्योगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, क्योंकि लगभग चार करोड़ 85 लाख श्रमिक देश में इधर से उधर आते-जाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि मौसम भी चुनाव को प्रभावित करने वाला एक प्रमुख कारक है।
संयुक्त संसदीय समिति का मानना है कि पिछले कई वर्षों से लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई में कराए जा रहे हैं, जिससे एक निश्चित चक्र बन गया है। एक साथ चुनाव के संबंध में कई बातें बाद में निर्धारित होनी हैं, लेकिन अप्रैल-मई का समय एक साथ चुनाव कराने के लिए उपयुक्त माना जा रहा है।
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‘एक साथ चुनाव’ के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति में 41 सदस्य हैं, जिनमें से दो नामित हैं और उन्हें मताधिकार प्राप्त नहीं है। उत्तराखंड दौरे पर, समिति के सदस्यों ने विभिन्न संगठनों और विभागों के प्रतिनिधियों के साथ एक साथ चुनाव पर विस्तृत चर्चा की। अध्ययन दौरे के दूसरे दिन, समिति ने उत्तराखंड शासन के प्रमुख अफसरों, वरिष्ठ अधिवक्ताओं, बार काउंसिल के पदाधिकारियों, आईआईटी रुड़की के प्रतिनिधियों और स्थानीय हस्तियों के साथ विस्तृत चर्चा की और उनके सुझाव प्राप्त किए।
यह कदम देश की चुनावी प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण बदलाव की दिशा में उठाया गया है, जिसका उद्देश्य संसाधनों की बचत करना, प्रशासनिक दक्षता बढ़ाना और विकास कार्यों को बढ़ावा देना है। समिति की अंतिम रिपोर्ट और उस पर होने वाले निर्णय का पूरे देश पर व्यापक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।