Sunday, November 17, 2024
Homeमंदिरसंतला देवी मंदिर देहरादून की कहानी, इतिहास तथा पौराणिक महत्त्व

संतला देवी मंदिर देहरादून की कहानी, इतिहास तथा पौराणिक महत्त्व

देहरादून बस अड्डे  (ISBT)  से लगभग 15 किलोमीटर दूर पंजाबीवाला  में 02 किलोमीटर की उचाई पर स्थित है ,देहरादून का प्रसिद्ध देवी मंदिर सन्तला देवी का मंदिर। संतला देवी का मंदिर देहरादून का प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर को संतोला देवी या संतुला देवी के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर देहरादून में घूमने ,देखने और समय बिताने तथा सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक कार्यों हेतु सबसे उपयुक्त है। संतोला देवी मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। प्रतिदिन सैकड़ो भक्त यहां माता के दर्शनों के लिए आते हैं।

संतोलादेवी मंदिर में शनिवार का विशेष महत्व है। यह माना जाता है ,कि इस दिन माँ संतोलादेवी पत्थर में परिवर्तित हुई थी। कई लोग यह भी मानते हैं कि आज भी, माँ संतला देवी की मूर्ति पत्थर में परिवर्तित होती है। इस कारण यहाँ शनिवार को भीड़ अधिक होती है।

संतला देवी की कहानी , इतिहास –

मा संतला देवी का इतिहास 11 वी शताब्दी पूर्व का माना जाता है। जनश्रुतियों के अनुसार , 11 वी शताब्दी में नेपाल के एक राजा की पुत्री पर  एक मुगल मोहित होकर , उनसे जबरदस्ती विवाह करने की कोशिश करने लगा। तब उससे बचने के लिए राजकुमारी संतला देवी नेपाल से पहाड़ी रास्तों से चलकर देहरादून पहुँच गई। और देहरादून में वर्तमान के पंजाबीवाला से लगभग 2 किलोमीटर ऊची पहाड़ी पर अपने भाई के साथ रहने लगी।

मुगल भी राजकुमारी संतोला देवी को ढूढ़ते -ढूढ़ते देहरादून आ गए। मुगलों ने संतोला देवी और उनके भाई संतोर सिंह पर आक्रमण कर दिया। दोनो भाई बहीनों ने पूरी बहादुरी के साथ मुगलों का सामना किया। लेकिन फिर भी वे मुगलों के बीच मे घिर गए।  तब अंततः उन्होंने हाथ जोड़ के ईश्वर को याद किया। कहते हैं कि अचानक एक प्रकाश चमका और ,सारे मुगल अंधे हो गए व संतला देवी व उसका भाई पत्थर की मूर्ति में बदल गए।

Best Taxi Services in haldwani

संतला देवी

इसे भी पढ़े :- देहरादून के प्रसिद्ध मंदिरों में एक है, बुद्धा टेम्पल

कालांतर में संतला देवी के किले के स्थान पर मंदिर बना दिया गया। उसके बाद यह देहरादून के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक मे गिना जाने लगा। और श्रद्धालु यहां आकर पूजा अर्चना करने लगे।

संतान प्राप्ति के लिए संतोला देवी का विशेष महात्म्य है :-

देहरादून का प्रसिद्ध संतुला देवी मंदिर , के बारे में कहा जाता है कि यहाँ निसंतान दंपतियों को माँ संतान सुख से परिपूर्ण करती है। इस संदर्भ में संतला देवी की कहानी भी जुड़ी हुई है। कहा जाता है, कि 16 वी शताब्दी में कई सैनिक यहाँ नित्य पूजा पाठ के लिए आते रहते थे। उस समय एक अंग्रेज अफसर की कोई संतान नही थी।

वह बहुत परेशान रहता था। एक दिन उसे अपने सैनिकों द्वारा संतला के महत्व के बारे में ज्ञात हुआ । उसने विधि विधान से वहां पूजा अर्चना की तो वह अंग्रेज 1 वर्ष के अंदर संतान प्राप्त हो गई। कहते हैं, यहाँ देवी माँ अपने भक्तों का पूरा  ध्यान रखती है। यह मंदिर भाई बहीनों के प्यार और एकता का प्रतीक माना जाता है।

यहाँ भी घूमे :- देहरादून के प्रसिद्ध 4 सिधो में खास है, लक्ष्मण सिद्ध । अधिक जानकारी के लिए किलक करें।

संतला देवी मंदिर देहरादून कैसे जाएं –

संतला देवी देहरादून जाने के लिए , देहरादून शहर से जैतूनवाला तक सार्वजनिक बस का उपयोग करके वहां से आगे को 2 किलोमीटर रिक्सा से जाकर ,उसके आगे पंजबिवाला से आगे 2 किलोमीटर पैदल ट्रैक है।

अर्थात 2 किलोमीटर पैदल जाना पड़ेगा। संतोलादेवी का निकटतम रेलवे स्टेशन 13 किलोमीटर दूर देहरादून रेलवे स्टेशन है। देहरादून जौलीग्रांट हवाई अड्डे से संतला देवी 37 किलोमीटर दूर है। तथा देहरादून बस अड्डे से संतोला देवी मंदिर 15 किलोमीटर दूर है।

इन्हे पढ़े :

कानाताल शांति व सुकून के लिए, उत्तराखंड का प्रसिद्ध हिल स्टेशन है।

वृद्ध केदार मंदिर ,कुमाऊं में भगवान् केदारस्वरूप का धार्मिक महत्व एवं इतिहास।

हमारे व्हाट्सप्प ग्रुप से जुडने के लिए यहां क्लिक करें

Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
RELATED ARTICLES
spot_img
Amazon

Most Popular

Recent Comments