देहरादून: भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने अपने उत्तराखण्ड दौरे की शुरुआत जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.), मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी सहित कई गणमान्य व्यक्तियों द्वारा किए गए गर्मजोशी भरे स्वागत के साथ की।
पतंजलि विश्वविद्यालय में ‘नारी शक्ति’ की सराहना
राष्ट्रपति ने हरिद्वार स्थित पतंजलि विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। इस समारोह में कुल 1,454 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गई, जिनमें 62 शोधार्थियों को ‘विद्या वारिधि’ और 3 को ‘विद्या वाचस्पति’ की उपाधि शामिल है।
अपने संबोधन में, राष्ट्रपति मुर्मू ने स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को सम्मानित किया और विशेष रूप से इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में 64 प्रतिशत बेटियाँ हैं, और पदक प्राप्त करने वाली छात्राओं की संख्या छात्रों से चार गुना अधिक है। उन्होंने इस उपलब्धि को विकसित भारत के उस स्वरूप का परिचायक बताया, जिसमें महिलाएं नेतृत्व की भूमिका निभा रही हैं।
- योगदान की सराहना: उन्होंने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में शिक्षा और अनुसंधान के माध्यम से स्वस्थ भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
- शिक्षा का उद्देश्य: राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान-प्राप्ति नहीं है, बल्कि सदाचार, सरलता, और कर्तव्यनिष्ठा जैसे जीवन-मूल्यों को आत्मसात करना तथा राष्ट्र-निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाना भी है।

इस अवसर पर, राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) ने राष्ट्रपति को ‘फ्लोरा ऑफ राष्ट्रपति भवन’ और ‘मेडिसिनल प्लांट्स ऑफ राष्ट्रपति भवन’ की प्रतिलिपियाँ भी भेंट कीं। राज्यपाल और मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने भी उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दीं और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। मुख्यमंत्री धामी ने पतंजलि विश्वविद्यालय की ओर से भारतीय संस्कारों और आधुनिक शिक्षा को जोड़ने के अतुलनीय कार्य की सराहना की।
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राष्ट्रपति निकेतन में सुविधाओं का लोकार्पण
देर शाम, राष्ट्रपति मुर्मू ने देहरादून स्थित राष्ट्रपति निकेतन में दो नई आगंतुक-केंद्रित सुविधाओं—एक पैदल पार पुल (Foot Over Bridge) और एक घुड़सवारी क्षेत्र—का लोकार्पण किया।
- पैदल पार पुल: राजपुर रोड पर निर्मित 105 फीट लंबा यह पुल, ₹9 करोड़ की लागत से तैयार किया गया है और यह राष्ट्रपति निकेतन को निर्माणाधीन राष्ट्रपति उद्यान (132 एकड़) से जोड़ता है। यह पुल स्थानीय हिमालयी वास्तुकला का प्रतीक है और व्यस्त सड़क पर पैदल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
- घुड़सवारी क्षेत्र: 0.7 एकड़ में विकसित यह अत्याधुनिक क्षेत्र राष्ट्रपति के अंगरक्षकों (PBG) की ऐतिहासिक परंपरा को समर्पित है। इसमें 8 घोड़ों की क्षमता वाला अस्तबल और आगंतुकों के लिए देखने का विशेष गलियारा शामिल है।
ये नई सुविधाएं अब आम आगंतुकों के लिए सोमवार को छोड़कर, प्रतिदिन सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुली रहेंगी, जहाँ निर्देशित भ्रमण (Guided Tours) की भी व्यवस्था है। इन सुविधाओं के लोकार्पण से राष्ट्रपति निकेतन परिसर अब आधुनिकता, सुरक्षा और हिमालयी विरासत का अद्भुत संगम बन गया है।

राष्ट्रपति ने अपने व्यस्त दिन का समापन राष्ट्रपति निकेतन में संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित सांस्कृतिक संध्या में उत्तराखण्ड के लोकसंगीत और लोकनृत्य का आनंद लेकर किया, और लोक कलाकारों का उत्साह बढ़ाया।
