Wednesday, November 22, 2023
Homeव्यक्तित्वमाधो सिंह भंडारी का जीवन परिचय | वीर माधो सिंह भंडारी पर...

माधो सिंह भंडारी का जीवन परिचय | वीर माधो सिंह भंडारी पर निबंध

वीर पुरुष माधो सिंह भंडारी ( Madho Singh Bhandari ) गढ़वाल के मध्यकालीन इतिहास के वे वीर हैं जिन्हे सबसे अधिक याद किया जाता है। जिनकी बाहदुरी वीरता ,त्याग और उदारता की कहानियाँ समस्त गढ़वाल में सुनाई जाती हैं।

वीर माधो सिंह भंडारी का जन्म सत्रहवीं सदी के अंत और अठ्ठारहवी सदी के प्रारम्भ में माना जाता है। ( तिथि निश्चित नहीं है ) इनका जन्म कीर्तिनगर के निकट मलेथा ( Maletha ) नामक गांव में हुवा था।  शुरुवात में ये गढ़वाल के शाशक राजा महीपतिशाह का एक वीर सैनिक था। जो अपनी वीरता , देशप्रेम और हिम्मत से उसी सेना का उपसेनानायक और बाद में प्रमुख सेनानायक गया।

इनकी वीरता के बारे में कहा जाता है कि ,जब गढ़वाल की उत्तरी सीमा पर तिब्बती सैनिक लगातार लूटपाट करने लगी थी।  तब राजा महीपति शाह ने सेना की एक टुकड़ी उन्हें पीछे धकेलने के लिए अपने प्रमुख सेनापति रिखोला लोधी के नेतृत्व में भेजी। उसके सहायक सेनापति वीर माधो सिंह भंडारी थे। गढ़वाल की सेना तिब्बती सैनिकों को खदेड़ते हुए दापा मंडी तक ले गए थे। इसमें गढ़वाल नरेश की सेना विजयी हुई। इस विजय की ख़ुशी में  इगास और माधो सिंह भंडारी ( Madho Singh Bhandari) के घर पहुंचने की ख़ुशी में मंगसीर बग्वाल मनाते हैं।

कुछ समय बाद दापा की सेना की सहायता से ल्हासा से  तिब्बत की विशाल  सेना फिर आ गई। सन 1635 में दापा के मैदान में गढ़वाल सेना और तिब्बती सेना का फिर युद्ध हुवा जिसमे गढ़वाल सेनापति रिखोला लोधी मारा गया। सेना की कमान वीर माधो सिंह भंडारी को दी गई। माधो सिंह का तिब्बती सेना पर ऐसा खौप था ,कि वे उनके नाम से ही भाग खड़े होते थे। किन्तु ल्हासा की सेना के साथ चल रहे इस युद्ध में बहदुरी के साथ उनका मुकाबला करते हुए माधो सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए। जिससे गढ़वाली सेना में हताशा होने लगी। और तिब्बती सेना में खुशियाँ मनाई जाने लगी। वीर माधो सिंह इस खबर को सुनकर  अपने सैनिको की रक्षा के लिए चिंतित हो गए।

Best Taxi Services in haldwani

उन्हें अपने जिन्दा रहने की कोई उम्मीद न देख ,उन्होंने अपने सैनिकों से कहा कि वे उन्हें मार कर घोड़े पर बांध कर इस प्रकार दुश्मनो के बीच घुमा दे कि ,उन्हें लगे माधो सिंह जिन्दा है। सैनिकों ने ऐसा ही किया। इसे देख तिब्बती सैनिको का उत्साह ठंडा पड़ गया और गढ़वाली सैनिक धीरे धीरे पीछे हटते हुए अपनी सीमा के अंदर आ गए। इस प्रकार इस महान वीर ने अपना जीवन देकर अपने सैनिको की जान बचाई। इस महान वीर के बारे में गढ़वाली में एक कहावत प्रचलित है  …..

एक सिंह रण ,एक सिंह बण , एक सिंग  गाय का   ! एक सिंह माधो सिंह  और सिंह काहे का  !! 

मलेथा की कूल  माधो  सिंह भंडारी के  जीवन की जनहितकारी घटना –

मलेथा की कूल वीर माधो सिंह भंडारी के जीवन से जुडी एक लोक हितकारी घटना है ,जिसके कारण  माधो सिंह को गढ़वाल में आज भी याद किया जाता है। मलेथा की भूमि समतल और उपजाऊ थी लेकिन सिंचाई के अभाव में सारा क्षेत्र उजाड़ था। उस गावं के किसान अकाल से पीड़ित रहते थे। गांव के दूसरी तरफ एक नदी बहती थी। लेकिन नदी और गांव के बीच एक पहाड़ी थी जिसकी वजह से नदी का गांव में नहीं आ सकता था। माधो सिंह गांव वालों की दुर्दशा देख बिचलित हो गए। उन्होंने पहाड़ी के अंदर से पानी की गुल (नाला ) लाने की सोची। उन्होंने पहाड़ी के अंदर से आर पार नहर खुदवाई। किन्तु पानी सुरंग से आगे नहीं आता था। सुरंग पर आकर गायब हो जाता था। इस समस्या का कारण ज्योतिषियों और तांत्रिकों ने उन्हें बताया कि पहाड़ी के अंदर रहने वाली आत्माएं उस पानी को सोख जा रही हैं। उन्हें संतुष्ट करने के लिए मानव बलि दिया जाना अति आवश्यक है। तभी पानी को आगे लाया जा सकता है।

कहते हैं इस परोपकारी उदार आत्मा ने जोर जबरदस्ती से किसी गरीब असहाय की बलि वहां दिए जाने की अपेक्षा अपने पुत्र की बलि वहां दे दी। माना जाता है कि इसके बाद प्रबल बेग से पानी मलेथा की ओर प्रवाहित होने लगा। इसके परिणाम स्वरूप आज मलेथा के खेत लहलहराते हैं और आज भी मलेथा के कृषक समृद्ध है। वीर माधो सिंह द्वारा पहाड़ के नीचे सुरंग बनाने का कार्य , अपने समय की एक अभूतपूर्व घटना थी।

इसे भी पढ़े –

गढ़वाल की वीरांगना गढ़ कन्या की वीर गाथा

हमारे व्हाट्सप ग्रुप में ज्वाइन होने के लिए यहाँ क्लिक करें।

 

bike on rent in haldwaniविज्ञापन
RELATED ARTICLES
spot_img

Most Popular

Recent Comments