Wednesday, May 21, 2025
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बॉबी पंवार – रोजगार की लड़ाई से लोकसभा के चुनावी समर तक।

लोकसभा चुनाओं का बिगुल बज चुका है। तिथियां तय हो चुकी हैं। सभी उम्मीदार लोकसभा की उम्मीदारी के लिए अपनी दावेदारी मजबूत कर रहें हैं। उत्तराखंड की सभी लोकसभा सीटों से चिर-परिचित उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं वही उत्तराखंड की टिहरी लोकसभा से बॉबी पंवार (Boby panwar ) नामक युवा ने निर्दलयी चुनावी ताल ठोक कर सब को चौका दिया है। चौंकाया ही नहीं बल्कि पर्चा दाखिल करने के दिन अथाह भीड़ के साथ शक्ति प्रदर्शन करके विरोधियों को सोचने पर मजबूर कर दिया।

बॉबी पंवार  का प्रारम्भिक जीवन –

सामान्य कृषक परिवार से संबंध रखने वाले ,बॉबी पंवार ( Boby panwar ) उत्तराखंड के जौनसार क्षेत्र के लाखामंडल के रहने वाले हैं। लाखामंडल उत्तराखंड के देहरादून जिले के चकराता तहसील में पड़ता है। प्रारम्भिक पढाई पूरा करने के बाद उन्होंने डाकपत्थर के डिग्री कॉलेज से स्नातक की डिग्री पूर्ण की। फिर वे उत्तराखंड की सरकारी नौकरी की तैयारी करने लगे ,किन्तु सरकारी भर्तीयों में लगातार धांधली ,भ्र्ष्टाचार के चलते उन्होंने जल्द ही बेरोजगार संघ से जुड़ने का निर्णय ले लिया।

बेरोजगार संघ के अध्यक्ष से सांसद प्रतिनिधि तक –

सन 2018 में बेरोजगार संघ से जुड़ने के बाद बॉबी पंवार ने सरकार और भ्र्ष्टाचारीयों के खिलाप मोर्चा खोल दिया। वे भर्तियां ना निकालने और भर्ती परीक्षाओं में अनिमित्ताओं को लेकर लगातार लामबंद रहे। भ्र्ष्टाचार के प्रति उनकी आक्रमकता देखते हुए बेरोजगार संघ ने उन्हें संघ का अध्यक्ष घोषित कर दिया।

2018 में ही बॉबी ने भर्तियां के लिए सचिवालय का कूच भी किया। कई बार लाठीचार्ज का सामना भी करना पड़ा। यह बॉबी पंवार और बेरोजगार संघ की कोशिशों का नतीजा है कि समूह ग की भर्तियों होने वाले इतने बड़े भ्र्ष्टाचार का खुलासा हुवा। कई भ्र्ष्टाचारी पकडे गए। उत्तराखंड समूह ग की भर्तियों की जाँच जहाँ STF कर रही है ,वहीं उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग के तत्कालीन मुखिया संतोष बडोनी को अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ा।

बॉबी पंवार और उत्तराखंड के अन्य कई युवाओं के संघर्ष का नतीजा है कि वर्तमान में समूह ग के पेपर काफी हद तक धांधली रहित हो गए हैं। बॉबी पंवार और उनकी टीम सरकार की रोजगार नीति के खिलाप उन्हें घेरती रहती है। लगातार भर्ती परीक्षाओं और युवाओं के लिए लड़ने वाले बॉबी को कई बार जेल की यात्रा भी करनी पड़ी। उनके ऊपर केस भी चल रहे हैं। फिर भी वे युवाओं के हित के लड़ते रहते हैं।

अभी हाल ही में बॉबी पंवार ने टिहरी लोकसभा से लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। वे टिहरी लोकसभा से भाजपा की दो बार की सांसद माला राज्यलक्ष्मी और कांग्रेस के गुनसोला के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे।

बॉबी पंवार चुनावी पर्चा रैली
फोटो -बॉबी पंवार सोशल मीडिया हैंडल

मोदी मैजिक से पार पाना चुनौती होगी –

बॉबी ने टिहरी लोकसभा से पर्चा दाखिल करके और नामंकन के दिन बॉबी पंवार को मिले युवाओं के समर्थन और प्यार से राष्ट्रीय पार्टियों के लिए चुनौती खड़ी कर दी है। और पहाड़ में बॉबी को अच्छा प्यार और समर्थन मिलता दिख रहा है। बॉबी के चुनाव उतरने से टिहरी लोकसभा सीट की लड़ाई रोचक हो गई है।

बॉबी की युवाओं के बीच बढ़ती लोकप्रियता और वर्तमान सांसद माला राजयलक्ष्मी के प्रति जनता का गुस्सा बॉबी के लिए फायदेमंद हो सकता है। मगर उनकी राह इतनी आसान भी नहीं है। जहाँ संसदीय क्षेत्र बहुत बड़ा होता है। कम समय में सबसे दिल में बस जाना असंभव सा लगता है। वही उनकी जीत के रस्ते में मोदी मैजिक सबसे बड़ी चुनौती रहेगी। पिछले कुछ समय (2014 ) से मोदी के नाम पर वोट पड़ने का ट्रेंड चल रहा है।

जिसके दम पर सत्ताधारी पार्टी का कोई भी व्यक्ति आसानी से चुनाव जीत जा रहा है। मोदी जी सामान्य जनता की आखों में ऐसी सम्मोहनी छवि गढ़ दी है ,जिसका अभी टूटना मुश्किल लग रहा है। यदि बॉबी इस मैजिक से पार पा लेते हैं तो ,उनकी राह आसान हो जाएगी। बॉबी पंवार का संघर्ष जीतेगा या मोदी जी की लोकप्रिय छवि ! ये तो भविष्य बताएगा !

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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