कोटद्वार, उत्तराखंड: उत्तराखंड की बेटी अंकिता भंडारी को आखिरकार न्याय मिल गया है। लगभग तीन साल के लंबे इंतजार और एक जटिल कानूनी लड़ाई के बाद, कोटद्वार के अपर जिला एवं सत्र न्यायालय ने आज अंकिता के तीनों हत्यारों – पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता – को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस फैसले से अंकिता के परिवार और न्याय की उम्मीद लगाए बैठे लोगों को बड़ी राहत मिली है।
आज कोटद्वार एडीजे कोर्ट में सुनाए गए इस महत्वपूर्ण फैसले ने पूरे उत्तराखंड को भावुक कर दिया। अदालत ने तीनों दोषियों को अंकिता की हत्या (धारा 302 आईपीसी), सबूत मिटाने (धारा 201 आईपीसी) और अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम (PIT Act) के तहत दोषी ठहराया। यह सजा इस जघन्य अपराध में शामिल सभी आरोपियों के लिए एक कठोर संदेश है।
19 वर्षीय अंकिता भंडारी, जो पौड़ी गढ़वाल की रहने वाली थीं, ऋषिकेश के पास वनंतरा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के तौर पर काम करती थीं। 18 सितंबर 2022 को वह रहस्यमय परिस्थितियों में लापता हो गई थीं, जिसके बाद पूरे उत्तराखंड में हड़कंप मच गया था। छह दिनों की गहन तलाशी के बाद, 24 सितंबर को उनका शव चीला पावर हाउस इनटेक में नहर से बरामद किया गया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में डूबने और शरीर पर चोटों के निशान की पुष्टि हुई, जिसने हत्या की आशंका को और गहरा कर दिया था।
जांच में सामने आया कि रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य (जो एक पूर्व भाजपा नेता का पुत्र है) और उसके दो कर्मचारियों सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता ने अंकिता की हत्या की थी। अंकिता ने कथित तौर पर रिजॉर्ट में एक ‘वीआईपी’ अतिथि को ‘अतिरिक्त सेवा’ देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद हुए विवाद में उसकी जान ले ली गई और उसके शव को नहर में फेंक दिया गया।
इस मामले ने उत्तराखंड में व्यापक आक्रोश पैदा किया था और बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिसमें अंकिता के लिए न्याय की मांग की गई थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए, डीआईजी (कानून-व्यवस्था) पी. रेणुका देवी के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था, जिसने तेजी से कार्रवाई करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार किया और 500 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की, जिसमें 97 गवाहों के बयान शामिल थे।
आज का फैसला अंकिता के माता-पिता के लिए एक लंबी और दर्दनाक लड़ाई का अंत है, जिन्होंने अपनी बेटी के लिए न्याय पाने के लिए अथक प्रयास किया। यह फैसला उन सभी लोगों के लिए भी एक जीत है, जो उत्तराखंड में महिलाओं की सुरक्षा और न्याय के लिए लड़ रहे हैं। अंकिता भंडारी हत्याकांड अब न्यायपालिका के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मिसाल बन गया है, जो यह दर्शाता है कि कानून के हाथ लंबे होते हैं और न्याय देर से ही सही, मिलता जरूर है।