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ईजा को शुभकामनाएं | Mothers day in Uttarakhand

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ईजा को शुभकामनाएं –

मित्रो मातृदिवस के उपलक्ष्य में टीम देवभूमि दर्शन ईजा को समर्पित कुछ लेख, माँ के लिए पहाड़ी कविता ,माँ के लिए पहाड़ी गीत और माँ के लिये वीडियो स्टेटस , माँ के पहाड़ी स्टेटस ,माँ के लिए पहाड़ी शायरी  का संकलन करने की कोशिश की है। हमारे इस लेख को अंत तक देखिए। यदि कोई त्रुटि हो तो हमे हमारे फेसबुक पेज देवभूमि दर्शन पर मैसेज करके बता सकते हैं। जैसा कि आपको पता है। उत्तराखंड के कुमाऊं में माँ को ईजा कहते हैं। और कुमाऊ में माँ को ओइ भी कहते हैं। और गढ़वाली में माँ को ब्वे या ए मा जी कहते हैं।

ईजा को शुभकामनाएं पहाड़ी में –

ओ ईजा तू जी रे , जागी रे। खुशी रे।
यो दिन यो बार आपुण प्यार, हमके दिने रै।।
जब तक हिमालय में ह्यू रोल, गंगा ज्यूँ में पाणि रोल ,
ओ मेरी ईजा तब तक तेरी जै जै कार हो।
त्यर म्यर  मैं च्यलक रिस्त हर जनम, हर बार हो।।
ओइ तू खुशी रे मुस्कराते रे, हँसते रे।
ओइ तू पाती जैसी फूल जाए, दुब जसि बढ़ते रे।।

ईजा को शुभकामनाएं
ईजा को शुभकामनाएं

मेरी खुशी में ओ ईजा ।
मेरी दुख में ओ ईजा ।।
नींद में ओ ईजा ।
भोजन में ओ ईजा।
रिशाण में ओ ईजा,
काम मे ओ ईजा।
भगवानों नाम मे ईजा
मेरी दूनी छू ओ ईजा
म्यर संसार छू मेरी ईजा।
दाज्यू मेरी प्यार छू ओ ईजा।।

ईजा को शुभकामनाएं

ईजा को शुभकामनाएं देने के लिए पहाड़ी क्वोट्स –

ईजक प्यार – कठुआ तेरी कमर टूटी जाली बटिक । ओह ईजा म्यर भौ के के हो तक।

वो ईजा ही है, जिसके कारण जीवन में कोई दुख नही होता।

ये दुनिया साथ दे या ना दे, किन्तु  ईजा का दुलार कभी कम नही होता।।

ईजा तुमको मैं खोना नही चाहता। तुझे देख रोना नही चाहता।

तुझसे जुड़ी है जिंदगी मेरी, तुझे छोड़ और कुछ पाना नही चाहता।

ईजा को शुभकामनाएं

यहां यार साथ छोड़ देता है, प्यार साथ छोड़ देती है।

एक ईजा ही है दाज्यू जो हर कदम पे साथ निभाती है।।

जो घर मा इज खुशी हैं ,वा देवो वास हूँ।

जो घर मे ईज के दुख मिलो,ऊ घरक विनाश हूँ।।

ईजा मेरी दौलत, ईजा मेरी शान छू।

दुनियक ठुल रहीश छू मैं, किले की ईजा मेरी महान छू।।

सपनों में देखनछि कि मि स्वर्ग घुमन रोछि।

जब नींद खुली तो ,देखो मी ईजक खुटा मा से रोछि।।

ईजा मेरी मिके थप्पड़ मारी ,खुद डाण मारण भैगए।

ब्याव सबकु ख़्वाई पीवै बे, खुद भूखे सेटण भैगए।।

ईजा के लिए पहाड़ी कविता –

इस अवसर पर हम आपके लिए लेकर आये हैं। उत्तराखंड के प्रसिद्ध कवि डॉ अनिल कार्की जी की कविता , प्रस्तुत लेेेख में हमने ईजा कविता का वीडियो भी प्रस्तुत किया है।

कविता का शीर्षक है  -” ईजा का चेहरा “

मैं जब कविता में रचूँगा

ईजा का चेहरा

नदी लिखूँगा

चिड़ियाँ लिखूँगा

पेड़ लिखूँगा

खेत और नाज की बालियाँ लिखूँगा

पहाड़ के सबसे ऊँचे भीटे पे

मेमने को दूध पिलाती

घास चरती बकरियाँ लिखूँगा

मैं जब कविता में

रचूँगा ईजा

उसे चाहा की कटक लिखूँगा

भाँग का नमक लिखूँगा

वन भँवरों का शहद लिखूँगा

मैं जब ईजा के बारे में लिखूँगा

गुपचुप की गई प्रार्थनाओं के बारे में लिखूँगा

भरभाटी, जू-घर में रखे

अशिका, उचैण

ख्रीज और चावल के दानों के बारे में लिखूँगा

धोती की गाँठ में छिपा के रखे

पैसों के बारे लिखूँगा

ईजा के बारे में लिखते हुए मैं

उदास मगर हँसने वाले चेहरे के बारे में लिखूँगा

खुरदुर कामगार हाथ

चीरे पड़े पैरों के साथ-साथ

मोमबत्ती के लेप के बारे में लिखूँगा

ईजा के बारे में लिखते हुए मैं

काज बारातों के बाद

अपने ससुराल लौटने से पहले

देली पूजती

पिलपिल आँसू ढलकाती

गुपचुप सोचने वाली

बहनों के बारे में लिखूँगा

जब लिखूँगा ईजा के बारे में

उसे सैनिक बेटे की वर्दी पर

सीना उचकाते पिता की तरह नहीं

बल्कि बेरोज़गार बेटे की

तारीफ़ में कहे दो शब्दों की तरह लिखूँगा

ईजा के बारे में लिखते हुए

अपनी बेरोज़गारी लिखूँगा

अपनी बेरोज़गारी लिखते हुए

लुटेरों की सरकार लिखूँगा

सरकार लिखते हुए

नारे लिखूँगा

और एक दिन ईजा

झल्ला के कहेगी

सरकार के घर आग लगे

बजर पड़े।

ईजा को शुभकामनाएं  देती इस कविता का वीडियो नीचे देखें –

ईजा को शुभकामनाएं
ईजा को शुभकामनाएं

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