थिंक लोकल अप्रोच ग्लोबल की सोच को यथार्थ कर रही उत्तराखंड की ऐपण गर्ल मीनाक्षी खाती। वे उत्तराखंड की लोक कला ऐपण को देश -विदेश में नई पहचान दे रही हैं। कुर्मांचल क्षेत्र में घरों की सजावट और मांगल कार्यों में प्रयुक्त होने वाली लोक कला ऐपण को उसके मूल रूप में मीनाक्षी ने स्वरोजगार से जोड़ कर एक नया प्रयोग किया है। और अपने इस प्रयोग में वे सफल हो रही हैं।
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मीनाक्षी खाती और अन्य युवाओं के भगीरथ प्रयास से मिली ऐपण कला को संजीवनी –
आज उनके ऐपण से जुड़े उत्पादों की मांग वैश्विक स्तर पर है। उनसे प्रेरित होकर उत्तराखंड के कई युवा अपनी खोई हुई लोककला को जगा कर उसका प्रचार प्रसार तो कर रहे हैं। और ऐपण कला को स्वरोजगार से जोड़कर जीविकोपार्जन कर रहें हैं। मीनाक्षी खाती एक साथ कई कार्य कर रही है। अपने इस प्रयास से जहाँ उन्होंने खुद के लिए स्वरोजगार का एक अच्छा विकल्प ढूंढा ,वही वे अधिक से अधिक लोगों के साथ जुड़कर लोगों को इस कला में पारंगत बना रही हैं। उनके इस प्रयास से विलुप्तप्राय हो चुकी ऐपण कला को संजीवनी मिल गई है। पहले पहाड़ों में मंगल कार्यो पर घरों ऐपण बनाने की सामाजिक सहकारिता देखने को मिलती थी। पलायन और स्टिकर वाली संस्कृति ने ऐपण की मूल आत्मा को विलुप्ति के मुहाने पर खड़ा कर दिया था।
उत्तराखंड की इस बेटी और अन्य बच्चों का जूनून कहें या लगन। आज फिर कुमाऊं की लोक कला अपने पुराने रूप में पुनर्जीवित होकर पहाड़ ही नहीं बल्कि देश विदेश तक अपनी सांस्कृतिक रंग बिखेर रही है। गणतंत्र दिवस जैसे महत्वपूर्ण अवसर पर कर्तव्यपथ पर उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व ऐपण कला से सजी झांकी कर रही है। और G20 की बैठकों में भी मेहमानो के दिलों में उत्तराखंड की लोक कला ऐपण की अमित छाप छोड़ने के लिए तत्पर है।
कौन है उत्तराखंड की ऐपण गर्ल मीनाक्षी खाती –
उत्तराखंड की ऐपण गर्ल ऑफ़ कुमाऊं के नाम से प्रसिद्ध मीनाक्षी खाती मूलतः नैनीताल जिले के रामनगर की निवासी है। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा रामनगर से और स्नातक स्तर की शिक्षा कुमाऊं विश्वविद्यालय से पूर्ण हुई है। अपनी शिक्षा पूर्ण करने के बाद मीनाक्षी ने लोक कला ऐपण के लिए कार्य करने की ठानी। मीनाक्षी खाती बताती हैं कि वे बचपन से ही दादी और माँ के साथ ऐपण कला बना रही हैं। ऐपण के साथ उनका बचपन से रिश्ता है।
दिसंबर 2019 में मीनाक्षी ने मिनकृति :द ऐपण प्रोजेक्ट नाम से एक ऐपण कार्यशाला बनाई। इस कार्यशाला के माध्यम से वे स्थानीय युवाओं को ऐपण के गुर सीखा कर स्वरोजगार से जोड़ रही हैं और साथ ही साथ कुमाऊं की इस लोक कला का प्रचार -प्रसार कर रहीं है। इसके अलावा वे डिजिटल माध्यम से या अलग अलग जगह जाकर राज्य के अन्य युवाओं को भी प्रेरित कर रही हैं। मीनाक्षी को ऐपण के क्षेत्र में लगातार सराहनीय कार्य करने के लिए कई पुरस्कार भी मिले हैं। महामहीम राष्ट्रपति महोदया जी के उत्तराखंड आगमन पर उन्हें महामहीम को ऐपण से सजी नेम प्लेट उपहार स्वरूप देने का सुअवसर मिला। गणतंत्र दिवस की परेड में मीनाक्षी द्वारा बनाई ऐपण से सजी मानसखंड झांकी उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व कर रही थी।
मिनाकृति द ऐपण प्रोजेक्ट द्वारा ऐपण कला को संजो रही हैं –
मिनाकृति :द ऐपण प्रोजेक्ट द्वारा बने हुए ऐपण कला से सजे उत्पाद लोगों द्वारा काफी पसंद किये जा रहें हैं। मिनकृति :द ऐपण प्रोजेक्ट द्वारा ऐपण कला से सजे अल दैनिक जीवन की चीजे ,की चैन ,नेम प्लेट ,ऐपण राखी , कैलेंडर ,डायरी ,काफी मग आदि बनाते हैं। इसके मांगलिक कार्यों में प्रयोग होने वाली चौकिया भी मिनकृति :द ऐपण प्रोजेक्ट की टीम द्वारा बनाये जाते हैं। इनके उत्पाद लोगो काफी पसंद करते हैं। विशेषकर मुंबई और बंगलौर जैसे महानगरों में बसे प्रवासी उत्तराखंडी और विदेशो में बसे प्रवासियों को खास पसंद आते हैं। ये सोशल मीडिया के माध्यम से ऑर्डर लेते हैं और अपनी टीम व् स्थानीय महिलाओं के सहयोग से आर्डर पुरे करके डाक द्वारा भेज देते हैं। इससे स्थानीय महिलाओं को भी रोजगार मिल जाता है। मीनाक्षी के इसी सराहनीय कार्य की वजह से उन्हें प्यार से लोग ऐपण गर्ल ऑफ़ कुमाऊं (aipan girl of kumaun) कहते हैं।
उत्तराखंड की लोक कला, ऐपण क्या है –
उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में किसी त्यौहार या शुभकार्यो के पर भूमि और दीवार पर, चावल के विस्वार (पिसे चावलों के घोल) गेरू (प्राकृतिक लाल मिट्टी या लाल खड़िया) हल्दी ,जौ, पिठ्या (रोली) से बनाई गई आकृति , जिसे देख मन मस्तिष्क में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, और सकारात्मक शक्तियों के आवाहन का आभास होता है, वह उत्तराखंड की पारम्परिक और पौराणिक लोक कला ऐपण है। ऐपण कला का इतिहास अनन्त है। ऐसा माना जाता है, कि कुमाऊं की प्रसिद्ध लोककला ऐपण ,पौराणिक काल से अनंत रूप में चली आ रही है। ऐपण कला के बारे विस्तार से पढ़े.