Wednesday, November 20, 2024
Homeसंस्कृतिभाषाकुमाउनी कविता, अहा रे कदू याद ऊ

कुमाउनी कविता, अहा रे कदू याद ऊ

गंगोलीहाट के हिमांशु ने हमे एक सुंदर सी कुमाउनी कविता भेजी है। आइये सर्वप्रथम हिमांशु की सुंदर कविता का आनंद लेते हैं।

कुमाउनी कविता का शीर्षक-

आहा रे कतु याद उँ

लेखक – हिमांशु पन्त

उ दौर ले कमाल छी, यो दौर ले कमाल छु,
तब जिंदगी में खुशी छी, अब जिंदगी बडी दुखी छु।
आहा रे कतु भल लागछि…
जब बुजुर्ग नकि बात सुणछ्यां, आब् सब मोबाइल में व्यस्त छन और बुढ़ बाढ़ि हमन देखि पस्त छन,
उ घरक बिजलीक लंफु आज ले याद ऊँ, ज्या में हाथ लगा भेर झाव लागछि खोर लगा भेर चड़चड़ाट हुंछि।
आब् तो ख्वार है ले मलि एक LED लाइट हूँ, नें तो झाव हूँ, नै हीं कोई चड़चड़ाट हूं।
उ जनव और मडुआ क रोट ले याद ऊँ, ज्या में घ्यू और चीनी लगा भेर एक अलगे स्वाद आ जांछि, आब् तो बढ़िया बढ़िया डिश हुनन लेकिन उस स्वाद कां ले नै मिलन।
आहा रे कतु याद ऊं…..
उ ईजा क लाड़ और बाबू की मार कतु याद उँ,
जब ईज लिखि कयो ल्हि बेर उँछि और हम कोई हथियार समझि बेर डरी जांच्छ्या।
बाबू घर में उँछि तो किताब खोलि बेर बैठि जांच्छ्या।
आब् तो PUBG और FREE FIRE है ई नानतिन नं कें फुर्सत नहां।
आहा रे कतु याद ऊं…..
उ घर पनिकी फसक फराव, उ आठ बखत क चाहा।
उ बूढ़ी बाढ़ि नैकि काटणि, उ हमार कुड़बूती।
उ रात्ते  रात्ते गोरु क डूडाट, उ चाड़ नाक चड़चड़ाट।
उ बुबु कि लट्ठी कि खट खट, उ मडुआ रोट कि पट पट।
उ ग्यूँ मडु चुटण, उ घवाग् भुटण।
उ चीनी लागि मडुवा रवाट, उ भेकुवाक लकड नाक स्वाट।
उ स्कूल क भात, उ बाखई में जोरेकि धात।
उ पहाड़कि हवा, उ बुजुर्ग नैकि प्राकृतिक दवा।
उ पाणिकि तें धार में जाण, उ इजाक हाथक खाण।
उ हमार तीज त्यार, उ हमरि बाखई में चाड़ हजार।
उ च्यूड भुटनैकि भट भट, उ धान कूटनैकि खट खट।
आहा रे कतु याद ऊं…..
आहा रे कतु याद ऊं…

लेखक के बारे में
कुमाउनी कविता हिमांशु पंत द्वारा

Best Taxi Services in haldwani

उपरोक्त कुमाउनी कविता के लेखक श्री हिमांशु पंत जी है। हिमांशु पंत मूलतः गंगोलीहाट पिथौरागढ़ के रहने वाले हैं। आई टी कंपनी में कार्यरत हिमांशु पंत , अपने पहाड़ व अपनी दूधबोली कुमाउनी में कविता और लेख लिखने के शौकीन हैं।

इसे भी पढ़े: पहाड़ी काले भट्ट की लज़ीज़ चटनी की रेसिपी जानिए यहां।

नोट – मित्रों यदि आप भी हमे कुमाउनी और गढ़वाली व जौनसारी में कविता,कहानियां और उत्तराखंड संबंधित लेख व जानकारियां भेजना चाहते हैं तो आप निम्न मेल एड्रेस पर ईमेल कर सकते हैं।

bkrm.bhandari@gmail.com
http://pramodbhakuni090913@gmail.com

बेतालघाट के बेताल बुबु के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें।

Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
RELATED ARTICLES
spot_img
Amazon

Most Popular

Recent Comments