Thursday, April 25, 2024
Homeमंदिरकंडोलिया देवता के रूप में विराजते हैं, गोलू देवता पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड...

कंडोलिया देवता के रूप में विराजते हैं, गोलू देवता पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड में।

कंडोलिया मंदिर पौड़ी गढ़वाल का प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर पौड़ी गढ़वाल जिला मुख्यालय से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर प्राकृतिक, नैसर्गिक सुंदरता के बीच बसा है। इसके चारों ओर ऊँचे और सुंदर देवदार, बांज आदि के सघन वृक्ष हैं। पौड़ी समुद्र तल से 1814 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।

Hosting sale

इस मंदिर के पास कंडोलिया पार्क  भी स्थित है। जो उत्तराखंड का पहला  लेज़र थीम पार्क है। कंडोलिया मंदिर की चोटी से हिमालय की चोटियों और गंगवारस्यू घाटी के रमणीय दर्शन होते हैं। कहते हैं कि कंडोलिया देवता चंपावत से पौड़ी आये डुंगरियाल नेगी जाती के लोंगो के कुल देवता हैं, जिन्हें भूमिदेवता का सम्मान देकर कंडोलिया देवता के रूप में पूजा जाता है। कंडोलिया मन्दिर से 2 किलोमीटर दूर भगवान शिव का पौराणिक मंदिर क्यूंकालेश्वर मंदिर स्थित है। तथा 1.5 किलोमीटर दूर एशिया का दूसरा सबसे ऊंचा  रांसी स्टेडियम है। यहाँ प्रतिवर्ष हजारों लोग कंडोलिया ठाकुर जी के दर्शनों के लिए आते हैं।

इसे भी देखिए :-  ज्वाल्पा देवी मंदिर ,जहां देवी शचि ने इंद्र को पाने के लिए की थी तपस्या।

कंडोलिया देवता

Best Taxi Services in haldwani

 

कंडोलिया देवता की कहानी –

कंडोलिया देवता के बारे में अनेक कहानिया प्रचलित हैं। कुछ स्थानीय लोगो का मानना है कि ये भगवान शिव का स्वरूप हैं। जब पौड़ी के पहले निवासी पौड़ी आये ,तब वे अपने साथ देवता को लेकर आये। पहले कंडोलिया देवता को नीचे पौड़ी में मंदिर था। बाद में कंडोलिया ठाकुर किसी के स्वप्न में आये उन्होंने कहा कि मेरा मंदिर ऊँचे स्थान पर होना चाहिए। फिर कंडोलिया देवता का मंदिर ऊँचे टीले पर स्थापित किया गया।

चंपावत के डुंगरियाल नेगी जाती के लोग जो पौड़ी में बसे हुए हैं,वे इनके पुजारी हैं। यहाँ के लोग इन्हें धावड़िया देवता के नाम से भी पुकारते थे। क्योंकि क्षेत्र में कोई भी संकट आने वाला होता था तो , ये आवाज लगाकर लोगों को आगाह कर देते थे।

दूसरी कहानी इस प्रकार है, कि चंपावत से डुंगरियाल नेगी जाती के लोग पौड़ी आये और अपने साथ अपने इष्टदेवता गोलु देवता ( गोरिल देवता ) को कंडी में रख कर लाये । या यह कहानी इस प्रकार भी है, बहुत साल पहले पौड़ी के डुंगरियाल नेगी जाती के लोगों के लड़के की शादी कुमाऊं से हुई । तब कुमाऊं की दुल्हन अपनी कंडी में अपने इष्ट देवता गोलू देवता को पौड़ी लाई इसलिए इनका नाम कंडोलिया देवता पड़ा।

कंडोलिया ठाकुर  से जुड़ी हर कहानी का अर्थ एक ही निकलता है, कि इनसे कोई और नही स्वयं उत्तराखंड के न्याय के देवता गोलू देवता हैं। क्योंकि गोलू देवता को ही भगवान शिव के गौर भैरव का अवतार माना जाता है। और गोलू देवता को भूमिया देवता के रूप में भी पूजा जाता है।

इसे भी पढे :- कंडोलिया पार्क पौड़ी गढ़वाल की नई पहचान ।

हमारे व्हाट्सप ग्रुप देवभूमी दर्शन से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें।

पौड़ी गढ़वाल के अन्य मंदिरों के बारे में यहाँ देखें

Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
RELATED ARTICLES
spot_img
Amazon

Most Popular

Recent Comments