Thursday, May 15, 2025
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गोलू देवता भजन लिरिक्स व वीडियो तथा गोलू देवता के अलग -अलग नाम

गोलू देवता उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र के लोक देवता हैं। इन्हे उत्तराखंड में न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है। प्रस्तुत लेख में हम गोलू देवता का भजन लिरिक्स वीडियो के साथ संकलित कर रहें हैं। इस भजन की लेखिका ,उत्तराखंड अल्मोड़ा निवासी श्रीमती चम्पा पांडे जी हैं। उन्ही के यूट्यूब चैनल पर इस भजन को वीडियो के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

शीर्षक : जय गोलू देवता
ओ म्यार दुधा धारी बाला गोरिया तुमरी जै जैकार
तुमरी जै जैकार देवा छु महिमा अपार -2

कत्यूर वंश राजा झालुराई का  च्यला
आठु राणी कलिंगाक गर्भ बटी पैदा- 2
कलिंगाका  बाला गोरिया तुमरी जै जै कार
ओ म्यार शिव अवतारी देवा तुमरी जै जै कार..

उदयपुर,चम्पावत, गैराड़,चितई
छाड़् छाड़् न्याय करंछा जाणु हर कोई 2
जाणु हर कोई देवा तुमरी जै जैकार
ओ म्यार न्यायकारी गोलू देवा तुमरी जै जैकार..

कांठी क छु घ्वौड़ देवा तुमरी सवारी
देवभूमि राज छा देवा हाथ् धरी कटारी-2
हाथ् धरी कटारी  देवा तुमरी जै जैकार
ओ म्यार  सुकिल कपाड़ धारी देवा तुमरी जै जैकार..

भक्त आनी द्वार देवा चिठी लेखी  जानी
आपण विपत देवा तुमकैं सुणानी- 2
तुमकैं सुणानी देवा तुमरी जै जैकार
ओ म्यार  कष्ट  का   हरनी  देवा तुमरी जै जैकार…

गोलू देवता के अलग अलग नाम –
गोलू देवता  को अनेक नामो से पूजा और जाना जाता है।  इनमे से मुख्य कुछ नाम इस प्रकार हैं –
बाला गोरिया , राजवंशी गोरीया , कंन्डोलिया ठाकुर, गोरील  गौर भैरव ,गोलु महाराज ,ग्वल देव चंपावती गोलु देव, चितई गोल्ज्यू  ,गढ़ कुमाऊँ , घोड़ाखाल बटुक गोलु देव , ताड़ीखेत गोरीया , उदयपुर गोलु देवता , चमड़खानी गोलु देवता , सुरई गोलुदेवता , राजवंशी देव ,बंगारी राजवंशी बाला गोरीया ,श्री कृष्ण अवतारी ,श्री भनारी गोलू ,दादू गोरिया ,भूमिया आदि।

इन्हे भी पढ़े –

भंडारी गोलू देवता की पौराणिक गाथा। भनारी ग्वेल ज्यूक कहानी
मोस्टमानु मंदिर, सोर घाटी के सबसे शक्तिशाली मोस्टा देवता का मंदिर,जिन्हे वर्षा का देवता कहा जाता है।
गोलू देवता भजन के साथ अन्य कुमाउनी भजन यहाँ देखें

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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