प्रस्तुत लेख में हम घुघुतिया त्यौहार ( Ghughutiya festival ) की शुभकामनायें ( Ghughutiya festival wishes ) और घुघुतिया पर निबंध ( Essay on Ghughutiya festival in hindi ) का संकलन कर रहें हैं। घुघुतिया त्यौहार के फोटो ( Ghughutiya festival photo ) आप यहाँ से डाउनलोड कर सकते हैं।
घुघुतिया पर निबंध ( Essay on Ghughutiya festival in hindi ) –
प्रस्तावना –
उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में मकर संक्रांति को घुघुतिया पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस त्यौहार को उत्तराखंड में उत्तरायणी ,मकरैण ,खिचड़ी संग्रात आदि नामो से मनाया जाता है। इस दिन भगवान् सूर्यदेव मकर राशी में प्रवेश के साथ दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। अल्मोड़ा में प्रवाहित होने वाली सरयू नदी के पूर्वी भाग के निवासी इस पर्व को पौष मासांत पर मनाते हैं ,इसलिए वे इसे पुषूडियां त्यौहार कहते हैं। सरयू के पक्षिम भाग वाले इसे माघ की पहली तिथि को त्यौहार के रूप में घुघुतिया मानते है। कुमाउनी में घुघूती फाख्ता पक्षी को कहते है। किन्तु आटे के पकवान को फाख्ता के रूप में न बनाकर ,हिंदी के चार ४ के आकर में बनाया जाता है।
घुघुतिया त्यौहार कैसे मनाते हैं –
उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में मकर संक्रांति को घुघुतिया के रूप में मानते है। सुबह स्नान दान पूजा पाठ करके इस दिन गुड़ के पाक आटे और सूजी के विशेष पकवान मनाते हैं। इसके साथ साथ खीर,पूरी ,दाल चावल अन्य पकवान भी बनाये जाते हैं। और ध्यान से सभी पकवानो में से कौवे का हिस्सा अलग निकाल लेते हैं। घुघुतिया पर कौओ का विशेष महत्व होता है। मकर संक्रांति के दूसरे दिन सुबह सुबह बच्चे काले कावा काले। .. . .,घुघुत की माला खा ले …… गा कर कौओ को घुघुत खाने के लिए आमंत्रित करते हैं।
घुघुतिया त्यौहार क्यों मनाया जाता है ?

जिस प्रकार मकर संक्रांति के महात्सव पर समस्त भारतवर्ष में अलग अलग राज्यों में अलग अलग प्रकार के उत्सव त्यौहार मनाये जाते हैं। उसी प्रकार उत्तराखंड के कुमाऊं में इसे घुघुतिया नाम से मनाते हैं। घुघुतिया त्यौहार , ghughutiya festival उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल का लोक पर्व है।इस पर्व का मूल स्नान,दान ,पुण्य मकर संक्रांति महापर्व से ही जुड़ा है। किन्तु कालांतर कुछ लोक कथाएं ,या कुछ स्थानीय घटनाएं जुड़ जाने के कारण इसका नाम घुघुतिया त्यौहार पड़ गया। घुघुतिया पर्व से जुडी अनेक लोक कथाएं समाज में प्रचलित हैं। उनमे से एक कथा इस प्रकार है –
प्राचीन काल मे पहाड़ी क्षेत्रों में एक घुघुती नाम का राजा था। एक बार अचानक वह बहुत बीमार हो गया। कई प्रकार की औषधि कराने के बाद भी वह ठीक नही हो पाया , तो उसने अपने महल में ज्योतिष को बुलाया। ज्योतिष ने राजा की ग्रहदशा देख कर बताया कि उस पर भयंकर मारक योग चल रहा है। इस मारक दशा का उपाय ज्योतिष ने राजा को यह बताया कि , राजा अपने नाम से आटे और गुड़ के पकवान कौओं को खिलाएं । इसके उनकी मारक दशा शांत होगी। क्योंकि कौओं को काल का प्रतीक माना जाता है। यह बात सारी प्रजा को बता दी गई। प्रजा ने मकर संक्रांति के दिन आटे और गुड़ के घोल से घुगुति राजा के नाम से पकवान बनाये और उनको सुबह सुबह कौओं को बुलाकर खिला दिया।
और तभी से कुमाऊं में मकर संक्रांति को घुघुतिया त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। राजा की इस आज्ञा का पता सरयू के पक्षिम भाग वालों को एक दिन बाद में पता चला इसलिए सरयू के पक्षिम भाग में एक दिन बाद मनाया जाता है ,और पूर्व भाग में एक दिन पहले। इसके अलाव कुमाऊं में घुघति मनाने से जुडी कई और लोक कथाएं प्रचलित है।
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उपसंहार –
घुघुतिया पर्व उत्तराखंड का लोकपर्व है। भगवान् सूर्य के उत्तरायण होने के उपलक्ष में समस्त सनातन धर्म के लोग अपनी अपनी संस्कृति अपने अपने रिवाजों के अनुसार उत्सव मानते हैं। घुघुतिया भी इसी प्रकार का उत्सव है जिसे कुमाऊं के लोग अपने लोक विश्वास लोक कथाओं से जोड़ कर मनाते हैं। ( घुघुतिया पर निबंध )
घुघुतिया त्यौहार की शुभकामनायें | Ghughutiya festival wishes –
पारम्परिक तौर से घुघुतिया के दिन स्नान करके परिवार और आस पड़ोस के बड़ो के पाँव छू कर आशीर्वाद लेते है। और अपने से छोटों को आशीष देते हैं। किन्तु आजकल डिजिटल दुनिया के दौर में लोग पारम्परिक आशीर्वाद के साथ -साथ लोग एक दूसरे को घुघुतिया के फोटो एक दूसरे को घुघुतिया की शुभकामनाओं के रूप में भेजते हैं। घुघुतिया की शुभकामनाएं भेजने के लिए ,कुछ ghughutiya festival photo यहाँ से download कर सकते हैं।
घुघुतिया त्यौहार के लिए कुमाउनी सन्देश –
यो दिन यो बार ! सुफल है जो ,तुमहू उत्तरैणी त्यार !!