Wednesday, April 2, 2025
Homeमंदिरनैनीताल में गंगनाथ देवता के मंदिर में रुमाल बांध कर पूरी होती...

नैनीताल में गंगनाथ देवता के मंदिर में रुमाल बांध कर पूरी होती है मनोकामना।

गंगनाथ देवता और गोलू देवता उत्तराखंड कुमाऊं के प्रमुख लोक देवता है। जिस प्रकार गोलू देवता को न्याय के देवता माना जाता है उसी प्रकार गगनाथ देवता को भी कुमाऊं का न्यायप्रिय देवता माना जाता है। अल्मोड़ा क्षेत्र के गांव -गांव में गंगनाथ देवता के मंदिर हैं। ऐसा ही एक प्राचीन मंदिर इनका नैनीताल जिले में हैं जिसके बारे में मान्यता है कि यहाँ रुमाल बांधने से मनोकामना पूर्ण होती है।

नैनीताल में भी है न्याय के देवता गंगनाथ देवता का मंदिर –

गंगनाथ देवता की पूजा मुख्यतः अल्मोड़ा जिले के आस पास के गांवों में अधिक होती है। अल्मोड़ा में गंगनाथ देवता का मन्दिर भी है। इनका एक मन्दिर नैनीताल में भी है। यह मन्दिर लगभग 200 वर्ष पुराना बताया जाता है।  चिड़ियाघर में स्थित यह मन्दिर नैनीताल की स्थापना से भी पुराना है। इस मन्दिर की स्थापना लगभग 1815 के आस पास बना है।

नैनीताल में गंगनाथ देवता मंदिर

Hosting sale

गंगनाथ देवता के बारे मे –

गंगनाथ देवता के बारे में कहा जाता है कि ये नेपाल के डोटीगड़ के राजकुमार थे। ये अल्मोड़ा जोशीखोला की रुपवती कन्या भाना के स्वप्न बुलावे पर राजपाट त्यागकर, सन्यास धारण करके अल्मोड़ा पहुंच जाते है। वहा उनका मिलन अपनी प्रेयसी भाना से होता है। लेकिन भाना के परिवार वालों को उनका रिश्ता मंजूर नहीं होता और वे गंगनाथ को एक षणयन्त्र के तहत मरवा देते हैं। उनके साथ भाना भी भर जाती है। मृत्यु के कुछ दिनों बाद गंगनाथ और भाना की आत्याएं वहां के लोगों परेशान करने लगती हैं। आपसी चर्चा के बाद वे लोग भाना और गंगनाथ की देव रूप मे स्थापना करके पूजन शुरू कर देते हैं।

Best Taxi Services in haldwani

गंगनाथ देवता की जागर में यह गाथा गा कर उन्हें अवतरित किया जाता है। यहां हमने अपनी दूसरी पोस्ट में गंगनाथ  देवता की कहानी विस्तार से लिखी है। गंगनाथ देवता की कहानी विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

परिक्रमा करके और रुमाल बांधकर होती है मनोकामना पूर्ण-

नैनीताल गंगनाथ देवता मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि यहां परिक्रमा करके रुमाल बांध कर मनोकामना पूर्ण होती है मनोकामना की पूर्ती के बाद अपने रुमाल की गाँठ खोलकर घंटी चढ़ाने का रिवाज है। यहा भक्तों ने बहुत सारी घंटियां चढ़ा रखी है। यहां की घंटीयों की संख्या से पता चलता है कि इस मन्दिर में गंगनाथ जी  जल्दी मुराद पूरी करते हैं। घोड़ाखाल के बाद इसे भी नैनीताल का घंटी वाला मन्दिर भी कहते हैं।

इसे पढ़े – गोल्ज्यू से शुरू हुई लगती है कुमाऊं की ये प्यारी परम्परा।

हमारे व्हाट्सप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
RELATED ARTICLES
spot_img
Amazon

Most Popular

Recent Comments