देहरादून। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के सदस्य डॉ. डी.के. असवाल ने बुधवार को उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) स्थित राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने राज्य में आपदा प्रबंधन की तैयारियों और गतिविधियों की गहन समीक्षा की तथा विभागीय अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता की।
विकास और सुरक्षा के बीच संतुलन जरूरी: डॉ. असवाल
बैठक को संबोधित करते हुए डॉ. असवाल ने उत्तराखण्ड की विशिष्ट भौगोलिक, पर्यावरणीय तथा आपदा संबंधी संवेदनशीलता का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड जैसे पर्वतीय राज्य में विकास और आपदा प्रबंधन के बीच संतुलन साधना अत्यंत आवश्यक है।
उन्होंने विभागीय अधिकारियों को राज्य के लिए एक समग्र और दूरदर्शी आपदा प्रबंधन नीति तैयार करने के निर्देश दिए। डॉ. असवाल ने USDMA द्वारा आपदाओं के दौरान त्वरित गति से किए जाने वाले राहत और बचाव कार्यों की सराहना करते हुए कहा, “उत्तराखण्ड में आपदा प्रबंधन विभाग का रिस्पांस टाइम प्रशंसनीय है।”
उन्होंने जोर दिया कि नई नीति ‘आपदा सुरक्षित उत्तराखण्ड’ की परिकल्पना को ठोस और क्रियान्वयन योग्य रूप दे। इस नीति में वैज्ञानिक आंकड़ों, जोखिम मानचित्रण, संवेदनशील क्षेत्रों में निर्माण नियंत्रण, पारंपरिक ज्ञान और तकनीकी नवाचारों का संतुलित समावेश सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए।
USDMA बनेगा ‘Center of Excellence’
डॉ. असवाल ने सुझाव दिया कि USDMA को एक ‘Center of Excellence’ (उत्कृष्टता केंद्र) के रूप में विकसित किया जाना चाहिए, जो आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में अनुसंधान, नवाचार और क्षमता निर्माण में अग्रणी संस्थान बने। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए NDMA हर संभव सहयोग प्रदान करेगा।
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इसके अतिरिक्त, उन्होंने एक सुदृढ़ और व्यापक ‘डाटा सेंटर’ विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। यह सेंटर विभिन्न विभागों, एजेंसियों और शैक्षणिक संस्थानों से प्राप्त आंकड़ों को एकीकृत करेगा, ताकि रियल-टाइम जानकारी मिल सके और वैज्ञानिक विश्लेषण के आधार पर नीति निर्माण में सहयोग हो सके।
मजबूत होगी प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली
एनडीएमए सदस्य ने राज्य में भूकंप, अतिवृष्टि, हिमस्खलन और भूस्खलन जैसी आपदाओं की प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली को और अधिक सुदृढ़ बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राज्य में स्थापित सेंसरों और सायरनों की संख्या में वृद्धि की जानी चाहिए। साथ ही, सभी सेंसरों की स्थिति, कार्यप्रणाली और रखरखाव की एक समेकित व्यवस्था तैयार करने को कहा। उन्होंने अधिकारियों को सेंसरों की आवश्यकता का आंकलन कर एक विस्तृत प्रस्ताव NDMA को भेजने का निर्देश दिया।
डॉ. असवाल ने आपदा की दृष्टि से पूर्णतः सुरक्षित ‘मॉडल गांव’ विकसित करने का भी सुझाव दिया, ताकि उन्हें अन्य क्षेत्रों के लिए आदर्श के रूप में प्रस्तुत किया जा सके।
उत्तराखंड ने NDMA से मांगा विशेष आर्थिक पैकेज और नियमों में ढील
बैठक के दौरान, सचिव, आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास, श्री विनोद कुमार सुमन ने USDMA द्वारा संचालित विभिन्न गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने इस वर्ष धराली, थराली सहित अन्य क्षेत्रों में घटित आपदाओं में हुए नुकसान और चलाए गए राहत एवं पुनर्वास कार्यों का ब्योरा प्रस्तुत किया।
सचिव ने राज्य की चुनौतियों को देखते हुए NDMA के स्तर पर कई महत्वपूर्ण सहयोगों का अनुरोध किया। इसमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:
- राज्य को विशेष आर्थिक सहायता पैकेज।
- SDRF (राज्य आपदा मोचन निधि) के मानकों में शिथिलीकरण (ढील)।
- SDMF (राज्य आपदा शमन निधि) निधि में वृद्धि।
- हिमस्खलन/भूस्खलन पूर्वानुमान मॉडल की स्थापना।
- ग्लेशियर झीलों की सतत निगरानी एवं उनके न्यूनीकरण के उपाय।
- आपदा से बेघर हुए परिवारों के पुनर्वास हेतु वन भूमि हस्तांतरण नियमों में शिथिलीकरण।
इस अवसर पर अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी आनंद स्वरूप, डीआईजी राजकुमार नेगी, संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मो. ओबैदुल्लाह अंसारी, डॉ. शांतनु सरकार, श्री एस.के. बिरला, डॉ. मोहित पूनिया के साथ ही यूएसडीएमए, यूएलएमएमसी और यू-प्रीपेयर के विशेषज्ञ व अधिकारी उपस्थित रहे।
