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पहाड़ी युवक ऑनलाइन ट्रेडिंग करते – करते बन गया इस्लाम का कट्टर समर्थक !

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पहाड़ी युवक

उत्तराखंड से एक अजीब खबर मिल रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तराखंड की शीतकालीन राजधानी देहरादून में रहने वाले एक पहाड़ी युवक का अपने मूल धर्म से मोह भंग हो गया और वो बन गया इस्लाम का कट्टर समर्थक।

समाचार पत्रों तथा सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तराखंड देहरादून का एक आदमी ने पुलिस में शिकायक दर्ज कराई कि उनका बेटा वैभव विल्जवाण कई सालों से एक कमरे में रह रहा है। वह बहुत कम कमरे से बाहर निकलता है। केवल खाने के समय बाहर आता है, और उस समय वो इस्लाम की तारीफ करता है और अपने धर्म की आलोचना करता है। एक दिन उन्होंने (वैभव के पिता ने) जब वैभव से बात की तो वह स्वयं को मुस्लिम कहने लगा। उसने उर्दू बोलना सीख लिया है और कमरे में बैठकर पांचों वक्त की नमाज पढता है।

जब पोलिस ने जांच की तो पता चला ऑनलाइन क्रिप्टो की ट्रेडिंग करते-करते देहरादून का यह पहाड़ी युवक इस्लाम धर्म का कट्टर समर्थक बन गया। वह विगत तीन चार सालों से अपने घर से बाहर नहीं निकला, अपने कमरे से भी वो केवल खाने के लिए बाहर आता था।  खाने के दौरान वो इस्लाम के बारे में अच्छी बाते और अपने मूल धर्म की बुराई करने लगा था। पिता जी के मना करने पर मारपीट पर उतारू हो जाता था। अब उसके लिए इस्लाम ही सबकुछ हो गया है।

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प्राप्त जानकारी के अनुसार वैभव विल्जवाण ने लॉक डाउन ऑनलाइन क्रिप्टो ट्रेंडिंग शुरू कर दी थी। उसी समय से वह कुछ इस्लामिक ऑनलाइन ग्रुप से जुड़ गया। ऑनलाइन ही उसने उर्दू बोलना भी सीख लिया और कमरे में बैठ कर पांच वक्त की नमाज भी पड़ता है।युवक ने पॉलिटेक्निक की पढाई भी की है। उक्त युवक के कमरे से एक लैपटॉप मिला है। उत्तराखंड पोलिस उसके लैपटॉप और यूट्यूब चैनल्स की जाँच कर रही है।

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बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।

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