देहरादून: उत्तराखंड की मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने आज सचिवालय में एक महत्वपूर्ण बैठक की। यह बैठक राज्य में निर्माण कार्यों के दौरान उत्पन्न होने वाले मलबे के निस्तारण के लिए चिन्हित मक डंपिंग जोन से संबंधित थी। बैठक में बीआरओ, एनएचआईडीसीएल और पीडब्ल्यूडी के अधिकारी शामिल हुए। मुख्य सचिव ने इन विभागों को निर्देश दिया है कि वे विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्गों पर निर्माण कार्यों के दौरान उत्पन्न होने वाले मलबे के लिए पहले से चिन्हित मक डंपिंग जोन का विस्तार करने की संभावनाओं का अध्ययन करें।
मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारियों को भी निर्देशित किया है कि वे मानसून के दौरान हुए भूस्खलन या सड़क निर्माण कार्यों के दौरान उत्पन्न होने वाले मलबे के लिए नए डंपिंग जोन चिन्हित करें। उन्होंने जिलाधिकारियों से कहा कि वे राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे राजस्व भूमि को प्राथमिकता के आधार पर चिन्हित करें और यदि राजस्व भूमि उपलब्ध न हो तो वन भूमि को चिन्हित किया जा सकता है।
सीएस ने मलबे के निस्तारण से जुड़ी सभी एजेंसियों को निर्देश दिया है कि वे निर्धारित डंपिंग जोन में ही मलबे का निस्तारण करें और नियमों का सख्ती से पालन करें। उन्होंने नियमों का उल्लंघन करने वाली एजेंसियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए।
मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे चिन्हित डंपिंग जोन में जमा हुए मलबे का उपयोग करने के लिए एक कार्य योजना तैयार करें। उन्होंने कहा कि इन स्थानों पर ग्रीन पैच विकसित किए जाएं और बांस के पौधे लगाए जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि इन स्थानों पर तेजी से बढ़ने वाले पेड़ लगाए जाएं जो भविष्य में सुरक्षा दीवार के रूप में काम कर सकते हैं।
सीएस ने लोक निर्माण विभाग, बीआरओ और एनएचआईडीसीएल को निर्देश दिया है कि वे डंपिंग जोन की आवश्यकता के संबंध में जिलाधिकारियों के साथ मिलकर एक संयुक्त निरीक्षण करें। उन्होंने इन एजेंसियों को अगले पांच सालों के लिए आवश्यक डंपिंग जोन के लिए भूमि चिन्हित करने के प्रस्ताव भी भेजने के निर्देश दिए हैं।
बैठक में सचिव श्री पंकज कुमार पाण्डेय सहित लोक निर्माण विभाग, बीआरओ, एनएचआईडीसीएल और अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी तथा जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ और टिहरी मौजूद रहे।
यह भी पढ़े : UKPSC ला रहा है Mobile App, भर्ती प्रक्रिया होगी और आसान