Friday, April 11, 2025
Homeराज्यगंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट बंद !

गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट बंद !

चार धाम कपाट बंद होने शुरू हो गए हैं।

उत्तराखंड के चार धाम कपाट अपने नियत समय पर बंद होने शुरू हो गए हैं। गंगोत्री ,यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट बंद हो गए हैं। मंगलवार 14 नवंम्बर 2023 को गोवर्धन पूजा के दिन गंगोत्री धाम के कपाट बंद हुए। तय मुहूर्त पर गंगोत्री धाम के कपाट बंद हुए और माँ गंगा की डोली मुखबा के लिए रवाना हुई। अब अगले छह महीने तक माँ गंगा की पूजा और दर्शन मुखबा में होंगे।

भाईदूज पर यमुनोत्री धाम कपाट और केदारनाथ के कपाट बंद हुए। माँ यमुना के अगले छह माह तक खरसाली में दर्शन होंगे। तथा इस समयावधि में माँ की पूजा अर्चना भी वही होगी। इसी अवसर पर सुबह 8 :30 पर केदारनाथ धाम के कपाट भी बंद हो गए हैं। 14 नवंबर के दिन मंगलवार दिन  बाबा केदार की पंचमुखी मूर्ति को विधि-विधान और पूजा-अर्चना के साथ भंडारगृह से मंदिर के सभामंडप में विराजमान कर दिया गया था। भाईदूज के दिन सुबह 4 बजे स्वयंभू शिव लिंग को भस्म फूल इत्यादि से ढककर समाधी रूप दे दिया गया।

इसके साथ ही सुबह मंदिर के गर्भगृह में पूजा-अर्चना शुरू हुई। बाबा केदारनाथ  की चल उत्सव विग्रह डोली केदारनाथ धाम से शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना हुई। 17 नवंबर 2023 बाबा केदारनाथ छह मास की शीतकालीन पूजा के लिए ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान हो जाएंगे। 18 नवंबर 2023 को बद्रीनाथ धाम  कपाट बंद हो जायेंगे। बद्रीनाथ कपाट बंद करने हेतु पंचपूजा 14 नवंबर से शुरू गयी है। जो 18 नवंबर तक चलेंगी। उसके बाद पूर्ण विधि-विधान के साथ शाम 3 बजकर 33 मिनट पर बद्रीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो जायेंगे।

Hosting sale

इन्हे  पढ़े _
उज्याव संगठन की तरफ से जल्द हल्द्वानी में होने जा रहा है कुमाउनी भाषा युवा सम्मलेन !
छोटी दीपावली पर खास होता है उत्तराखंड का यमदीप उत्सव या यमदीप मेला।
जड़ी-बूटी मंडी मजबूत करेगी पहाड़ों की ग्रामीण आर्थिकी: डा. महेन्द्र राणा

Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
RELATED ARTICLES
spot_img
Amazon

Most Popular

Recent Comments