Friday, July 26, 2024
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छोटी दीपावली पर खास होता है उत्तराखंड का यमदीप उत्सव या यमदीप मेला।

यमदीप मेला उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति की एक पहचान।

छोटी दीपावली के दिन यमदीप जलाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन दक्षिण में चौमुखी दिया जलाने से परिवार में अकालमृत्यु का खतरा कम होता है। इसी प्रकार उत्तराखंड में इस रात यमदीप उत्सव या यमदीप मेला होता है।उत्तराखंड गढ़वाल मंडल के जनपद रुद्रप्रयाग के अन्तर्गत  क्वीलाखाल (2000 मी.) में दीपावली के  एक दिन पहले  कूर्मासनी देवी के मंदिर में मनाया जाने वाला यमदीपोत्सव या यमदीप मेला उत्तराखंड की किसी पुरानी सांस्कृतिक परम्परा का एक महत्वपूर्ण भाग है।

इस अवसर पर यहां के ग्रामवासी देवी कूर्मासनी (तुल. कोटासिनी) के सुसज्जित डोले को गाजे-बाजों के साथ गांव के लगभग डेढ़ किमी. ऊपर ले जाते हैं। रात्रि को डिण्डा पर्वत पर स्थित देवी के मंदिर में ‘यमपूजन’ किया जाता है तथा सन्ततिहीन दम्पत्ति सन्तनार्थ हाथ में जलता हुआ दीप लेकर रात्रिभर जागरण करते हैं। लोगों की अटूटआस्था है कि सच्चे मन से की गयी मनौती अवश्य पूरी होती है। मनोकामना पूर्ण होने वाले दम्पत्ति अनिवार्यरूप से प्रतिवर्ष यहां आकर पूजा करते हैं। छोटी दीपावली के अगले दिन प्रातःकाल पूजा अर्चना के उपरान्त मायके आयी हुई विवाहित कन्यायें देवी के समक्ष अपने कष्टों के निवारण एवं सुखशान्ति के लिए प्रार्थना करती हैं।

संदर्भ – प्रो dd शर्मा । उत्तराखंड ज्ञानकोष ।

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
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