मित्रों आज आपके लिए ,उत्तराखंड के प्रसिद्ध जनकवि स्व श्री गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’ की प्रसिद्ध कविता , जनगीत उत्तराखंड मेरी मातृभूमि ( Uttarakhand meri matra bhumi lyrics ) शब्दों में लाये है। गिरीश तिवारी गिर्दा का यह गीत ( कविता ) उत्तराखंड में बहुत प्रसिद्ध है। आंदोलन में , सामूहिक गीतों में, स्कूलों में इस गीत का विशेष प्रयोग होता है। कई उत्तराखंड के कई लोग गिर्दा की कविता व्हाट्सप और फेसबुक स्टेटस बना कर उत्तराखंड के लिए अपना प्यार दिखाते हैं। (Girish tiwari poems in hindi )
गिरीश तिवारी गिर्दा –
गिरीश तिवारी गिर्दा का जन्म उत्तराखंड ,अल्मोड़ा जिले के हवालबाग ब्लॉक के ज्योली नामक गाँव मे सन 1945 में हुवा था। गिर्दा एक जनकवि थे। उनकी रचनाओं ने समाज मे जनजागृति का काम किया ।उत्तराखंड आंदोलन में गिरीश तिवारी गिर्दा, ने अपने गीतों से ,उत्तराखंड समाज मे नया जोश भर दिया।
गिर्दा की प्रमुख गीतों में –

- हम लड़ते रयां बैणी
- ततुक नी लगा उदेख
- उत्तराखंड मेरी जन्म भूमी
आदि अनेक और भी गीत भी हैं। 22 अगस्त 2010 को गिर्दा हम सब को छोड़ कर सदा के लिए दुनिया से विदा हो गए।

उत्तराखंड मेरी मातृभूमि गीत
उत्तराखंड मेरी मातृभूमि
मातृभूमि, मेरी पितृभूमि,
ओ भूमि तेरी जै- जै कारा म्यार हिमाला।
ख्वार मुकुट तेरी ह्युं झलको
झलकी गाल गंगे की धारा , म्यार हिमाला।
तली तली तराई कुनी
कुनी मली मली भाभरा , म्यार हिमाला ।
बद्री केदारा का द्वार छना,
छना कनखल हरिद्वारा, म्यार हिमाला।
काली धौली का छाना जानी,
जानी नान ठुला कैलाशा, म्यार हिमाला ।
पार्वती को मैत या छो,
या छो शिवजयू को सौरसा , म्यार हिमाला।
धन मयेङी मेरो यो जनमा,
भई तेरी कोखी महाना , म्यार हिमाला।
मरी जूलो , तरी जूलो ,
इजु ऐल त्यारा बाना , म्यार हिमाला।
समाचार पत्रों के माध्यम से यह जानकारी मिल रही है, कि उत्तराखंड नैनीताल के जिलाधिकारी महोदय श्री धीरज गबर्याल जी ने गिर्दा के इस को प्राइमरी से 12वी तक के स्कूलों में प्रार्थना के रूप में शामिल करने के आदेश दिए हैं। अब उत्तराखंड मेरी मातृभूमि स्कूल की प्रार्थना के रूप में गया जायेगा।
मित्रों हमने उपरोक्त लेख में , उत्तराखंड मेरी मातृभूमि गीत lyrics , या उत्तराखंड मेरी मातृभूमि प्रार्थना ( Uttarakhand meri matra bhumi song ) के लिरिक्स लिखे हैं। (Girish tiwari poems in hindi )
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