Tuesday, May 14, 2024
Homeसंस्कृतिबोराणी का मेला - संस्कृति के अद्भुत दर्शन के साथ जुवे के...

बोराणी का मेला – संस्कृति के अद्भुत दर्शन के साथ जुवे के लिए भी प्रसिद्ध है यह मेला

दीपावली के ठीक 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा को पिथौरागढ़ के बोराणी नामक स्थान पर सैम देवता के मंदिर में लगता है  प्रसिद्ध बोराणी का मेला। संस्कृति के अद्भुत  रूप दर्शनों के साथ जुवे के लिए भी प्रसिद्ध है यह मेला। यह उत्तराखंड के अन्य मेलों के सामान यह मेला भी धार्मिक और व्यवसायिक है। इस मेले की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस मेले के लिए नजदीकी पुलई और चापड़ गांव के बोरा उपजाति के लोग ढोल दमु के साथ नाचते गाते बाइस फ़ीट ऊँची पहाड़ी मशाल ( पके हुए चीड़ के तने से फाड् कर निकाली हुई ) लाते हैं। इस मशाल को मंदिर के पास गाढ़ दिया जाता है।

रात भर इसी मसाल के उजाले में लोग नाचते गाते रहते हैं। दूसरे दिन सुबह दर्शन और पूजा पाठ करके अपने घरों को  जाते हैं। दूसरी तरफ मेला इस इलाके में जुवे के लिए भी प्रसिद्ध है। इस मेले में पहले स्थानीय जुवारियों के अतिरिक्त बाहर से आने वाले जुवारी भी अड्डा लगाने लगे थे। लेकिन प्रसाशन के हस्तक्षेप के बाद इसमें काफी कमी आ गई है।

बोराणी का मेला

आर्थिक रूप से इस मेले में पानी के घराटों के पत्थर के पाट और पत्थर के बर्तन और सिलबट्टे काफी प्रसिद्ध थे। इस अलावा यहाँ के कुलथीया बोरा लोगों द्वारा बनाये गए भांग के रेशो का खूब व्यपार होता था। कुमाऊं और नेपाल क्षेत्र के लोग बड़ी संख्या में यहाँ आकर खरीदारी करते हैं। बोराणी का मेला उत्तराखंड के प्रसिद्ध सांस्कृतिक मेलों में एक है।

Best Taxi Services in haldwani

इन्हे भी पढ़े –

Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
RELATED ARTICLES
spot_img
Amazon

Most Popular

Recent Comments