Sunday, May 5, 2024
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खोल दे माता खोल भवानी ,एक पारम्परिक कुमाऊनी झोड़ा गीत।

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खोल दे माता खोल भवानी कुमाऊनी झोड़ा
kholi de mata khol bhawani lyrics

खोल दे माता खोल भवानी एक सुन्दर कुमाऊनी झोड़ा गीत है। जिसमे माता और भक्त के बीच का प्यारा भरा संवाद झोड़ा रूप में वर्णित किया गया है। जिसमे एक तरफ भक्त पहाड़वाली माँ से किवाड़ खोलने को बोलता है। ” खोली दै माता खोल भवानी धारमा  केवाड़ा ” तो माँ भी उसके सवाल के प्रतिउत्तर में सवाल करती है , ” मेरे लिए क्या खास भेंट लाया है जो तेरे लिए किवाड़ खोलू। यथा ” के लै रैछे भेंट पखोवा के खोलूं केवाड़ा ” तब भक्त माँ से स्नेह से विनती करते हुए कहता है ,” तेरे दरवार के लिए फूल -पाती लाया हूँ ,तुम्हारे लिए नारियल भेंट लाया हूँ अब तो केवाड़ खोल दो माँ।

देखें खोल दे माता खोल भवानी कुमाऊनी झोड़ा गीत के लिरिक्स –

धौली गंगा भागीरथी को के भलो रेवाड़ा। ओहो धौली गंगा भागीरथी को के भलो रेवाड़ा ।।

ओहो खोल दे माता खोल भवानी धारमा  केवाड़ा। ओहो खोली दे माता खोल भवानी धारमा केवाड़ा ।।

के लै रैछे भेंट पखोवा के खोलूं केवाड़ा। के लै रैछे भेंट पखोवा के खोलूं केवाड़ा ।।

ओहो फुल चढ़ूलो,पाती चडूलो तेरो दरबारा । ओहो पान सुपारी, नैरयो लयरु तेरो दरबारा ।।

 पान सुपारी, नैरयो लयरु तेरो दरबारा ……!

ओहो खोली दै  माता खोल भवानी धारमा केवाड़ा । ओहो खोली दै माता खोल भवानी धरमा केवाड़ा ।।

क्या है कुमाऊनी झोड़ा गीत –

झोड़ा उत्तराखंड के कुमाऊँ मंडल का एक लोकनृत्य गीत है । लोकनृत्य गीत इसलिए बोला,यह एक ऐसा लोक नृत्य है, जिसमे  लोग सामुहिक रूप से हाथ पकड़ कर गोलाकार ,पदताल मिलाते हुए नाचते हैं। और उसके साथ लोक गीत भी गाते हैं। बीच मे एक वाद्य यंत्र बजाने वाला होता है। जो पद बोलता है, और गोल घेरे में हाथ पकड़ कर ,एक विशेष चाल में नाचने वाले स्त्री पुरूष उन पदों को दोहराते हैं। और कहीं -कही स्त्री दल एक पद की शुरुआत करते हैं, और पुरुष लोग उन्हें दोहराते हैं।

कुमाऊनी झोड़ा गीत के बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

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ओड़ा भेटना – स्याल्दे बिखौती मेले की प्रसिद्ध परम्परा।

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ओड़ा भेटना
Odha bhetna in Syalde bikhouti mela

ओड़ा भेटना की प्रथा उत्तराखंड की कुमाऊँ मंडल के द्वाराहाट के स्याल्दे बिखौती मेले के अवसर पर निभाई जाने वाली परम्परा है।

‘ओड़’ का अर्थ है विभाजक चिह्न । द्वाराहाट बाजार में सड़क के किनारे एक पाषाणी संरचना है, जिसे ओड़ा माना जाता है। मेले के दिन इन धड़ों के द्वारा इस पाषाण खण्ड पर लाठियों से मारने की परम्परा है और इसका अपना इतिहास भी है । कहा जाता है कि पिछले समयों में एक बार यहां के शीतलादेवी के मंदिर में पहले दर्शनों को लेकर दो धड़ों के बीच मतभेद हो जाने से उनके बीच खूनी संघर्ष हो गया था, जिसमें होने वाले दल के मुखिया का सिर काटकर यहां पर गाड़ दिया गया था। और दोनों के बीच विभाजन के लिए इस पत्थर का ‘ओड़ा’ बना दिया गया था। मारे गये धड़े के लोग यहां पर ओड़ा भेटने, श्रंद्धांजलि अर्पित करने के लिए जाते हैं, किन्तु दूसरे धड़े के लोग इस पर लाठियों से प्रहार करते हैं।

पिछले समयों में इसमें पहले प्रहार करने को लेकर दोनों धड़ों-आल और गरख, के बीच कभी-कभी खूनी संघर्ष भी हो जाया करते थे, किन्तु कालान्तर में इस संघर्ष के परिहार के लिए प्रशासन की ओर से विधि-विधान कर दिये जाने से अब प्रथम दिन अर्थात् बिखौती को नौज्यूला धड़े के लोग अपने परम्परागतं लोकवाद्यों के साथ बड़ी भारी संख्या में इस स्थान पर। एकत्र होकर परम्परागत लोकगीतों के साथ अपने धड़े के वीर योद्धा के इस स्मारक का दर्शन, स्पर्शन कर उसे अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

आने वाले दो दिनों में अन्य दो धड़ों के लोग मारूबाजों की धुनें बजाते हुए इस स्थान पर आते हैं तथा अपने प्रतिद्वन्दी इस वीर के स्मारक पर लाठियों से प्रहार उसके प्रति अपने क्रोध की अभिव्यक्ति करते हैं। कहा जाता है कि एक बार इस संघर्ष में यहां पर एक कैड़ावीर की मृत्यु हो गयी थी, इसलिए अब कैड़ा रौ वालों का नगाड़ा स्याल्दे मेले में नहीं आता है।

अपनी बारी पर विजयी धड़े के लोग अपने नियत मार्गों से हाथों में लाठियां थामे मारूबाजे बजाते हुए व हुंकार भरते हुए वहां पहुंचते हैं। उस समय उसका माहौल ऐसा होता है जैसे कि रणवांकुरे वीर रणभूमि में अपने शत्रुओं पर प्रहार करने जा रहे हों और उस ओड़े पर ऐसे ही प्रहार करते हैं जैसे कि शत्रु पर प्रहार कर रहे हों । इस प्रकार सभी दल ओड़ा भेटना की रस्म पूरी करते हैं

साभार – प्रो dd शर्मा ,” उत्तराखंड ज्ञानकोष “

इसे भी पढ़े – बिखौती त्यौहार और स्याल्दे बिखौती मेला का इतिहास

पहाड़ी नमक “नमकवाली” ने शार्क टैंक इंडिया में मचाई धूम

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पहाड़ी नमक
from Namakwali facebook page

उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले की रहने वाली शशि बहुगुणा रतूड़ी, जो अपने “नमकवाली” ब्रांड के लिए प्रसिद्ध हैं, ने हाल ही में सोनी टीवी के लोकप्रिय शो “शार्क टैंक इंडिया” में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। शशि जी ने शो में अपना पहाड़ी उत्पाद “सिलबट्टे में पिसा हुआ नमक” पेश किया, जिसे शार्क टैंक के जजों ने खूब पसंद किया।

न केवल जजों को “नमकवाली” नमक का स्वाद पसंद आया, बल्कि उन्होंने महिला सशक्तिकरण के लिए शशि जी द्वारा उठाए गए कदमों की भी सराहना की। शशि जी ने “नमकवाली” की शुरुआत दो महिलाओं के साथ की थी, और आज, कई महिला समूह उनके साथ काम कर रहे हैं, जिससे उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद मिल रही है।

“नमकवाली” ब्रांड के तहत, शशि जी साधारण पिस्सी लूंण के अलावा लहसुन का नमक, भांग का नमक, और अदरक वाला नमक भी बाजार में उतार चुकी हैं। वे ऑनलाइन मार्केटिंग के माध्यम से इन नमकों को देश के विभिन्न हिस्सों और विदेशों तक भी पहुंचा रही हैं। “नमकवाली” नमक 50 ग्राम, 100 ग्राम, और 200 ग्राम के पैकेटों में उपलब्ध है।

इसे पढ़े : फूलदेई त्यौहार 2024 मनाया जायेगा 14 मार्च 2024 को

शशि जी का “नमकवाली” ब्रांड न केवल स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक नमक प्रदान करता है, बल्कि महिला सशक्तिकरण और स्थानीय उद्योगों को भी बढ़ावा देता है। शशि जी का यह प्रयास निश्चित रूप से प्रेरणादायक है और अन्य महिलाओं को भी अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रेरित करेगा।

फूलदेई त्यौहार 2024 मनाया जायेगा 14 मार्च 2024 को।

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फूलदेई त्यौहार 2024 की शुभकामनायें फोटो
phool dei festival 2024

उत्तराखंड के बाल लोक पर्व के रूप में प्रसिद्ध फूलदेई त्यौहार 2024 में 14 मार्च 2024 को मनाया जायेगा। उत्तराखंड में बच्चों के त्यौहार के रूप में प्रसिद्ध इस त्यौहार में बच्चे गांव में सभी की देहली पर पुष्पार्पण करके उस घर की मंगलकामना करते हैं। बदले में उस घर के लोग या गृहणी उन्हें चावल ,गुड़ और भेंट देती हैं। कुमाऊँ मंडल में इस त्यौहार को फूलदेई कहा जाता है। गढ़वाल के कई हिस्सों में इसे फुलारी त्यौहार कहते हैं। कुमाऊं में यह त्यौहार एकदिवसीय होता है जबकि गढ़वाल क्षेत्र में कही ये पर्व 8 दिन का और कहीं 15 और कहीं 30 दिन तक मनाया जाता है।

फूलदेई 2024 से प्रतिवर्ष बाल पर्व के रूप में मनाया जायेगा – मुख्यमंत्री धामी –

फूलदेई पर्व 2023 के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह जी ने कहा था।,कि किसी भी राज्य की संस्कृति एवं परम्पराओं में लोकपर्वों की अहम् भूमिका रहती है। हमे अपनी परम्पराओं को आगे बढ़ाने के प्रयास करने होंगे। इसी के साथ मुख्यमंत्री धामी जी ने घोषणा की कि अबसे प्रतिवर्ष फूलदेई को बाल पर्व के रूप में मनाया जायेगा।

फूलदेई त्यौहार 2024

नव वर्ष और बसंत के स्वागत का त्यौहार है –

यह त्यौहार सनातन नववर्ष के और बसंत के स्वागत का त्यौहार है। छोटे -छोटे देवतुल्य बच्चों द्वारा घर की देहली सजा कर नववर्ष और बसंत का स्वागत किया जाता है। फूलदेई मात्र एक त्यौहार नहीं है एक साक्षात्कार है ,बच्चों का अपनी प्रकृति के साथ। संसार के सभी समाजों में नववर्ष के अवसर पर त्यौहार मनाकर खुशियाँ मानाने की परम्परा रही है। इसी परम्परा को उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में भी निभाया जाता है। क्योंकि पहाड़ो में सौर कैलेंडर का प्रयोग होता है।  और फूलदेई त्यौहार नव वर्ष की सौर संक्रांति को मनाया जाता है।

फूलदेई छम्मा देई के गीत द्वारा शुभकामनायें दी जाती हैं फूलदेई त्यौहार में –

प्रत्येक वर्ष की तरह फूलदेई त्यौहार 2024 में भी देवतुल्य बच्चों द्वारा फूलदेई छम्मा देई गाकर प्रत्येक घर के लिए आशीष और मंगलकामनाएं दी जाएँगी। जिसका अर्थ होता है। यह देहली फूलों से सजी ये देहली ( द्वार ) हमेशा खुशियों से भरा रहे। इस देहली को हम बार बार नमस्कार करते हैं।

इन्हे भी पढ़े _

  1. फूलदेई त्यौहार (Phooldei festival) , का इतिहास व फूलदेई त्यौहार पर निबंध
  2. मंगलकामनाओं से भरे फूलदेई के गढ़वाली और कुमाऊनी गीत।
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UKPSC ने माध्यमिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत निकाली भर्ती, जल्द करें आवेदन

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UKPSC ने माध्यमिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत निकाली भर्ती

उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग (UKPSC) ने माध्यमिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत प्रधानाचार्य / प्रधानाचार्या, राजकीय इण्टर कॉलेज / राजकीय बालिका इण्टर कॉलेज के कुल 692 रिक्त पदों के लिए भर्ती निकली हैं। रिक्तियों की संख्या घट व बढ़ सकती है।

रिक्तियों का विवरण :-

  1. पदनाम : प्रधानाचार्य, राजकीय इण्टर कॉलेज (सामान्य शाखा)
    कुल रिक्त पद : 624
  2. पदनाम : प्रधानाचार्या, राजकीय बालिका इण्टर कॉलेज (महिला शाखा)
    कुल रिक्त पद : 68

ऑनलाइन आवेदन की तिथि

  • ऑनलाइन आवेदन प्रारम्भ होने के तिथि : 14, मार्च 2024
  • ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि : 3, अप्रैल 2024 (रात्रि 11:59:59 बजे तक)
  • आवेदन शुल्क जमा करने की अंतिम तिथि : 3, अप्रैल 2024 (रात्रि 11:59:59 बजे तक)

अन्य महत्वपूर्ण जानकारी :-

वेतन : लेवल – 12 (78800-209200)
पद का स्वरूप : समूह-क राजपत्रित / स्थाई
अनिवार्य शैक्षिक अर्हता : किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय या संस्थान से न्यूनतम 50 प्रतिशत अंको के साथ स्नातकोत्तर तथा बी०एड० या समकक्ष
आयु : अधिकतम आयु 50 वर्ष

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इन पदों के लिए आवेदन करने के लिए : https://psc.uk.gov.in/ पर जाये।

उत्तराखंड में 3253 प्रारंभिक शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ

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उत्तराखंड में 3253 प्रारंभिक शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ

देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने प्रारंभिक शिक्षा में 3253 शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ कर दिया है। धामी कैबिनेट ने उत्तराखंड राजकीय प्रारंभिक शिक्षा सेवा नियमावली 2012 में संशोधन को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत अब सहायक अध्यापक प्राथमिक पद के लिए बीएड की योग्यता अनिवार्य नहीं होगी।

यह निर्णय शिक्षा विभाग के लिए एक बड़ी राहत है, जो पिछले तीन साल से शिक्षकों की भर्ती के लिए संघर्ष कर रहा था। 2020 और 2021 में सहायक अध्यापक के 2000 से अधिक पदों के लिए आवेदन मांगे गए थे, लेकिन एनआईओएस से डीएलएड और बीएड की योग्यता को लेकर भर्ती प्रक्रिया लटकी हुई थी।

नए नियमों के अनुसार, अब सहायक अध्यापक प्राथमिक पद के लिए उम्मीदवारों को न्यूनतम 50% अंकों के साथ स्नातक होना चाहिए। इसके अलावा, उन्हें उत्तराखंड राज्य बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन से 10+2 परीक्षा उत्तीर्ण होना चाहिए और हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान होना चाहिए।

शिक्षा विभाग जल्द ही भर्ती परीक्षा की तारीखों की घोषणा करेगा। यह भर्ती प्रदेश के युवाओं के लिए एक बड़ा अवसर है, जो शिक्षण क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं।

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यह निर्णय उत्तराखंड में शिक्षा के क्षेत्र में एक नया अध्याय शुरू करेगा। यह न केवल शिक्षकों की कमी को दूर करेगा, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार करेगा।

यह उम्मीद की जाती है कि भर्ती प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी हो जाएगी और नए शिक्षकों को जल्द ही स्कूलों में तैनात किया जाएगा।

जल कैसे भरु जमुना गहरी होली गीत

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jal kaise bharu jamuna gehri lyrics

जल कैसे भरु जमुना गहरी एक कुमाऊनी होली गीत है। इसमें कुमाऊनी तथा व्रज भाषा का मिश्रण है। यह होली अधिकतर कुमाउनी महिला होलियों और खड़ी होलियों में गाया जाता है। यह गीत नायिका केंद्रित है। जिसमे प्रेम लज्जा आदि भावों का मिश्रण है। यह होली कुमाऊं के गावों में खूब प्रचलित है। लोग बड़े शौक से इस होली का गायन करते हैं। आइये इस प्रसिद्ध होली गीत के लिरिक्स पढ़ते हैं –

जल कैसे भरु जमुना गहरी होली गीत

जल कैसे भरू जमुना गहरी -2
जल कैसे भरू जमुना गहरी- 2
ठाड़ी भरू राजा राम जी देखे
हे ठाडी भरू राजा राम जी देखे
बैठी भरू भीजे चुनरी। 

जल कैसे भरू जमुना गहरी

होली है !!

जल कैसे भारू जमुना गहरी-2
धीरे चलू घर सास है बुढ़ी
हे धीरे चलू घर सास है बुढ़ी
धमकि चलु छलके गगरी। 

जल कैसे भरू जमुना गहरी -2

जल कैसे भरू जमुना गहरी-2
गोदी पर बालक सिर पर गागर,
हे गोदी पर बालक सिर पर गागर
पर्वत से उतरी गोरी…

जल कैसे भरू जमुना गहरी -2

जल कैसे भरू जमुना गहरी-2

जल कैसे भरु जमुना गहरी

कुमाऊनी होलियो से संबंधित इन पोस्टों को भी देखिये –

उत्तराखंड में मौसम बदला, इन जिलों में होगी 13 मार्च को बारिश व बर्फबारी

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उत्तराखंड में 13 मार्च को बारिश व बर्फबारी

देहरादून: मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में मौसम फिर करवट बदल रहा हैं। आगामी 13 मार्च को प्रदेश भर के अधिकांश जगहो पर गरज-चमक के साथ बारिश की आशंका हैं। और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी होगी। इसी के चलते यहाँ येल्लो अलर्ट जारी किया गया हैं।

आप को बता दे की मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून द्वारा दी गयी जानकर के अनुशार पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने के कारण उत्तराखंड में मौसम ने फिर अपनी करवट बदली हैं।

आप को बता दे की उत्तराखंड के ऊपरी जिलों बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी के अधिकांश स्थानों पर (76-100%) गरज-चमक के साथ बारिश होगी। और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी होगी। नैनीताल, चम्पावत, अल्मोड़ा, पौड़ी, टिहरी, देहरादून और हरिद्वार में अनेक स्थानों पर (51-75%) गरज-चमक के साथ बारिश होगी। वही ऊधम सिंह नगर के कुछ स्थानों पर (26-50%) गरज-चमक के साथ बारिश होगी।

 

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन: 2026 में दौड़ेगी ट्रेन, 70% सुरंग खोदाई पूर्ण!

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ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन: सुरंग खोदाई 70% पूर्ण, 2026 में रेल दौड़ने की उम्मीद
photo from Report Ring

ऋषिकेश: ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना में सुरंगों की खोदाई का कार्य लगभग 70% पूर्ण हो गया है। रेलवे विकास निगम (आरवीएनएल) का कहना है कि वर्ष 2025 तक सुरंगों की खोदाई का कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा। और 2026 के अंत तक इस रेल लाइन पर ट्रेनें दौड़ने लगेंगी।

आरवीएनएल परिसर में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना के मुख्य परियोजना प्रबंधक अजीत सिंह यादव ने पत्रकारों को बताया कि निर्माण कार्य के दौरान सुरक्षा मापदंडों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। अनुभवी कंपनियों को कार्य सौंपा गया है।

मुख्य और सहायक सुरंगों की कुल लंबाई 213 किलोमीटर है, जिनमें से 153 किलोमीटर की खोदाई हो चुकी है। मुख्य सुरंगों की कुल लंबाई 104 किलोमीटर है, जिनमें से 75 किलोमीटर की खोदाई पूर्ण हो चुकी है।

इसे पढ़े : कुमाऊनी खड़ी होली गीतों का संकलन PDF में।

आरवीएनएल का प्रयास है कि जून 2024 तक पटरी बिछाने का कार्य शुरू कर दिया जाए। इसके लिए निविदा प्रक्रिया जारी है और 20 फरवरी को तकनीकी बिड खोली गई है।

House of Himalayas को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने की योजना

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House of Himalayas

देहरादून, 9 मार्च 2024: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आज सचिवालय स्थित विश्वकर्मा भवन सभागार में House of Himalayas ब्रांड को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित किए जाने तथा उत्तराखण्ड के उत्पादों की अभिवृद्धि हेतु एक समीक्षा बैठक आयोजित हुई।

बैठक में अधिकारियों ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से House of Himalayas ब्रांड को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित किए जाने तथा उत्तराखण्ड के उत्पादों की अभिवृद्धि हेतु किए जा रहे प्रयासों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में 21 उत्पाद तथा द्वितीय चरण में 22 उत्पादों को ग्लोबल बनाने के लिए कार्य किया जायेगा, जिसमें ग्राम्य विकास, वन, कृषि, उद्योग, सहकारिता सहित नीदरलैण्ड बेस्ड कम्पनी वूमन ऑन विग्स का भी सहयोग प्राप्त होगा।

मुख्यमंत्री ने बैठक में House of Himalayas ब्रांड के अंतर्गत आने वाले उत्पादों, उनकी खरीददारी, स्टोर, पदाधिकारी आदि के सम्बन्ध में विस्तार से चर्चा करते हुए इनकी स्वीकृति प्रदान की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस ब्रांड के अंतर्गत रखे जाने वाले उत्पादों की गुणवत्ता, पैकेजिंग आदि पर विशेष ध्यान दिया जाए तथा आमजन, स्वयं सहायता समूहों आदि को भी इससे जोड़ा जाए।

इसे पढ़े : कुमाऊनी खड़ी होली गीतों का संकलन PDF में।

इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री श्री गणेश जोशी, श्री सुबोध उनियाल, मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव श्री आर.के. सुधांशु, सचिव श्रीमती राधिका झा, श्री विनय शंकर पाण्डेय, श्री विनोद कुमार सुमन सहित संबंधित पदाधिकारी एवं अधिकारीगण उपस्थित थे।

यह योजना उत्तराखण्ड के उत्पादों को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।