Saturday, July 27, 2024
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हरेला त्यौहार को बोने की विधि और इसमें प्रयोग किये जाने वाले अनाज।

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हरेला त्यौहार

हरेला पर्व धीरे -धीरे उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र का लोकपर्व न होकर पुरे प्रदेश और देश के कई हिस्सों में धूम धाम से मनाया जाने वाला त्यौहार बन गया है। जैसा की हम सबको पता है कि हरेला त्यौहार उत्तराखंड का प्रकृति को समर्पित एक अनन्य लोक पर्व है। इसमें सात या पांच प्रकार के अनाज को दस या ग्यारह दिन पहले मंदिर के पास बंद कमरे में बोते हैं। फिर दस दिन बाद हरेला त्यौहार मनाया जाता है।

हरेला त्यौहार की पूर्व संध्या पर डिकारे बनाये जाते हैं। पारम्परिक मिष्ठान छऊवे बनाये जाते हैं। और हरेले की पूजा करके उसको बांध दिया जाता है। आज जानते हैं 2024 में हरेला कब बोया जायेगा ? और पारम्परिक रूप से इसे कैसे बोते हैं ? और इसमें कौन-कौन सा अनाज प्रयुक्त किया जाता है ?

2024 में हरेला त्यौहार कब बोया जायेगा –

वर्ष 2024 में हरेला त्यौहार 16 जुलाई में मनाया जायेगा। इस हिसाब से हरेला 06 जुलाई और 07 जुलाई को बोया जायेगा। हरेला उत्तराखंड में कुछ क्षेत्रों में ग्यारह दिन का मनाया जाता है ,और कुछ क्षेत्रों में दस दिन का हरेला मनाया जाता है। अब जो लोग ग्यारह दिन का त्यौहार मानते हैं तो वे 06 जुलाई को हरेला बोते हैं। और जो 10 दिन का त्यौहार मानते हैं तो वे लोग 07 जुलाई 2024 को हरेला बोयेंगे।

हरेला त्यौहार को बोने की विधि और इसमें प्रयोग किये जाने वाले अनाज।

 

पारम्परिक रूप से हरेला बोने की विधि –

हरेला त्यौहार में उत्तराखंड में पारम्परिक रूप से हरेला बोने के लिए लगभग 12 दिन के आस पास पहले किसी शुद्ध जगह की उपजाऊ मिटटी को सुखाकर रख लेते हैं।अपने क्षेत्र की मान्यता के हिसाब से 10 दिन में या 11 दिन में हरेले की मिटटी छान कर दो बड़े पत्तो में रख लेते हैं। या फिर एक लकड़ी की चौकी पर बराबर फैला लेते हैं। यहाँ पर एक बात ध्यान देना चाहिए कि थोड़ी मिटटी बचाकर रखें। सारी मिटटी एकसाथ न फैलाएं। अनाज मिटटी की सतह पर फ़ैलाने के बाद उसमे अनाज डालें और ऊपर से बची हुई मिटटी से बीजों को ढक दें। और ऊपर से मिट्टी के हिसाब से पानी छिड़क दें।

हरेला त्यौहार में प्रयुक्त अनाज –

हरेला त्यौहार में पारम्परिक रूप से खरीफ की फसलों के अनाजों और दलहनों का प्रयोग किया जाता है। इसमें उड़द ,मक्का , तिल ,गहत ,धान ,भट्ट आदि का प्रयोग करते हैं। लोग इन अनाज के न होने के कारण या अपने क्षेत्र की मान्यता के अनुसार अलग अलग अनाजों का प्रयोग किया जाता है। जिसमे जौं ,सरसों इत्यादि हैं। कहीं कहीं कहते हैं हरेला में काळा अनाज प्रयोग किया जाता है। और कई क्षेत्रों में इसका प्रयोग किया जाता है।

हरेला त्यौहार को बोने की विधि और इसमें प्रयोग किये जाने वाले अनाज।

 

 

हरेला कौन बो सकता है –

एक चीज अक्सर पूछी जाती है या सबके मन में जिज्ञासा होती है कि परिवार में हरेला बोने का अधिकार किसको है ? एक सामान्य जानकारी के अनुसार परिवार में मातृशक्ति हरेला बोने के लिए अर्ह माना जाता है। परिवार की कुवारी कन्याओं की जिम्मेदारी होती है कि वे रोज इसमें पानी डाले। परिवार या बिरादरी में जातक शौच या मृतक शौच होने के कारण हरेला बोने की जिम्मेदारी परिवार की कुवारी कन्याओं की होती है। परिवार में कुवारी कन्या न होने के कारण कुल पुरोहित की जिम्मेदारी होती है हरेला बोने और उसकी देखभाल करने की।

हरेला कौन बो सकता है ये किताबी और सार्वभौमिक नियम है। लेखकों ने समाज में अपने शोध और अध्यन के आधार पर ये बात बताई है। लेकिन पहाड़ों में हरेला बोने और देखभाल करने की जिम्मेदारी हर उस परिवार के सदस्य की होती है जो मन वचन और कर्म से शुद्ध है और समझदार भी है।

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वृद्ध जागेश्वर – जहाँ विष्णु रूप में पूजे जाते हैं भगवान् शिव।

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वृद्ध जागेश्वर

वृद्ध जागेश्वर मंदिर –

वृद्ध जागेश्वर जागेश्वरधाम से 7 किलोमीटर ऊपर दक्षिण-पश्चिम में पैदल मार्ग एक पहाड़ी पर वृद्ध जागेश्वर (शिव) का मूल स्थान है। जागेश्वर की पवित्र नदी जटागंगा का उद्गम स्थल भी यहीं है। यहां से हिमालय का भव्य दृश्य दृष्टिगोचर होता है। शिखर पर स्थित इस देवालय के 1 किमी. पूर्व दण्डेश्वर महादेव का शिखर शैली का देवालय भी स्थित है। इसके विषय में एक जनश्रुति है कि एक बार जब एक चन्द्रवंशी एक युद्ध के लिए जा रहे थे तो उन्हें यहां पर रात हो गयी और उन्होंने यहीं पर अपना डेरा डाल दिया।

जब उनके सैनिक विश्राम स्थल हेतु झाड़ियां साफ करने लगे तो उन्हें एक शिवलिंग मिला। राजा ने उसे भगवान का स्वरूप मानकर उसकी पूजा अर्चना की और मनौती मांगी कि यदि मैं युद्ध में विजयी हुआ तो यहां पर मंदिर का निर्माण कराऊंगा। भगवान् की कृपा से वह विजयी हुआ और उसने इस मंदिर का निर्माण कराया। स्थानीय लोगों की इसके प्रति बड़ी आस्था है। उनकी मान्यता है कि यहां पर अखंड ज्योति जलाने से संतान लाभ होता है। इस ज्योति के विषय में यह भी मान्यता है कि एकटक दृष्टि से दीपक की लौ की ओर देखते रहने से यदि वह रक्तवर्णी दिखाई दे ओर समरूप में जलती रहे तो मनोकामना पूर्ण अवश्य होती है।

वृद्ध जागेश्वर

भगवान् विष्णु के रूप में होती है शिव की पूजा –

इसके सम्बन्ध में विशेष उल्लेखनीय बात यह है कि यहां पर भगवान् शिव के  शिवलिंग की पूजा शिव के अनुरूप न होकर विष्णु के अनुरूप होती है, क्योंकि अन्य शिवालयों के समान इसे दाल-चावल का भोग न लगाकर वैष्णव देवालयों के समान मालपुओं का भोग लगाया जाता है। यहां के लोगों का कहना है कि यहां पर भगवान् शंकर ने शिव के रूप में दर्शन न देकर विष्णु के रूप में दर्शन दिये थे।

भगवान् जागनाथ के दर्शनों से पूर्व इसका दर्शन आवश्यक माना जाता है। इसके 1 किमी. नीचे कालीगांव के निकट एक चट्टान पर दो पदचिह्न बने हैं, जिन्हें भगवान् शंकर के पद चिह्न माना जाता है।कहा जाता है इस पहाड़ी पर चढ़ते हुए अब वे थक गये थे तो वे विश्राम के लिए कुछ देर यहां पर रुके थे।

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कल स्कूल रहेंगे बंद, नैनीताल में भारी बारिश और रेड अलर्ट

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कल स्कूल रहेंगे बंद, नैनीताल में भारी बारिश और रेड अलर्ट

भारत मौसम विभाग, देहरादून ने 5 जुलाई, 2024 को दोपहर 2 बजे जारी एक चेतावनी में बताया है कि 6 और 7 जुलाई को नैनीताल में कहीं-कहीं भारी से अत्यधिक भारी बारिश होने की संभावना है। कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश के साथ गरज और बिजली गिरने का भी अनुमान है। मौसम विभाग ने इन तारीखों के लिए “रेड अलर्ट” जारी किया है।

वर्तमान में, नैनीताल के सभी क्षेत्रों (पहाड़ी और मैदानी) में लगातार बारिश हो रही है। इससे नदियों, नालों और गड्ढों में जलस्तर बढ़ने की आशंका है।

कल स्कूल रहेंगे बंद, नैनीताल में भारी बारिश और रेड अलर्ट

छात्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, जिलाधिकारी ने 6 जुलाई, 2024 (शनिवार) को नैनीताल जिले के सभी सरकारी, अर्ध-सरकारी और निजी विद्यालयों (कक्षा 1 से 12 तक) और सभी आंगनवाड़ी केंद्रों में एक दिवसीय अवकाश की घोषणा की है।

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उत्तराखंड लोक सेवा आयोग द्वारा PCS-2024 परीक्षा में पुलिस उपाधीक्षक पदों में कटौती

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उत्तराखंड लोक सेवा आयोग द्वारा PCS-2024 परीक्षा में पुलिस उपाधीक्षक पदों में कटौती

देहरादून: उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (UKPSC) द्वारा उत्तराखंड सम्मिलित राज्य (सिविल) प्रवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा, 2024 के माध्यम से पुलिस उपाधीक्षक (DSP) के 17 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किए गए थे। हालांकि, 7 जून 2024 को, उत्तराखंड सरकार द्वारा भेजे गए एक संशोधित अधिसूचना में, 7 DSP पदों को भर्ती प्रक्रिया से हटा दिया गया है।

इस फैसले के कारण, अब केवल 10 DSP पद UKPSC 2024 परीक्षा के माध्यम से भरे जाएंगे। इस कटौती के पीछे के कारणों का अभी तक कोई आधिकारिक खुलासा नहीं हुआ है।

आप को बता दे की 14 मार्च 2024 को, उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (UKPSC) ने उत्तराखंड सम्मिलित राज्य (सिविल) प्रवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा 2024 के माध्यम से विभिन्न विभागों में 189 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। इस विज्ञापन में पुलिस उपाधीक्षक (DSP) के 17 पद भी शामिल थे।

उत्तराखंड लोक सेवा आयोग द्वारा PCS-2024 परीक्षा में पुलिस उपाधीक्षक पदों में कटौती

इसे भी पढ़े : उत्तराखंड मौसम अपडेट : उत्तराखंड में भारी बारिश का अलर्ट

अधिक जानकारी के लिए, UKPSC की आधिकारिक वेबसाइट https://psc.uk.gov.in/ पर जा सकते हैं।

उत्तराखंड मौसम अपडेट : उत्तराखंड में भारी बारिश का अलर्ट

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उत्तराखंड मौसम अपडेट : उत्तराखंड में भारी बारिश का अलर्ट

उत्तराखंड मौसम अपडेट: मौसम विभाग ने 02 जुलाई से 06 जुलाई, 2024 तक उत्तराखंड में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। विभाग ने 02, 03 और 04 जुलाई के लिए राज्य के अधिकांश जिलों में रेड अलर्ट जारी किया है। इसका मतलब है कि इन दिनों अत्यधिक भारी बारिश होने की संभावना है। 02 से 06 जुलाई तक राज्य के कुछ जिलों में ऑरेंज अलर्ट भी जारी किया गया है। ऑरेंज अलर्ट का मतलब है कि इन इलाकों में भारी बारिश हो सकती है।

हमारी और से आप को सलाह है की :-

  • बाढ़ वाले क्षेत्रों में गाड़ी न चलाएं और न जाए।
  • नदियों और नालों से दूर रहें।
  • पाहाड़ी इलाकों की यात्रा को फ़िलहाल के लिए टाल दे।
  • यदि आपको यात्रा करनी ही है, तो अपडेट मौसम की जानकारी के लिए मौसम विभाग की वेबसाइट या ऐप देखें।
  • तूफान के दौरान बाहर जाने से बचें।
  • यदि आप बाहर हैं, तो मजबूत इमारत या आश्रय में पनाह लें।
  • अपने स्थानीय अधिकारियों से नवीनतम मौसम अपडेट के लिए सुनते रहें।
  • आपातकालीन स्थिति में, स्थानीय अधिकारियों से संपर्क करें।

इसे भी पढ़े : भासर देवता उत्तराखंड टिहरी क्षेत्र के लोक देवता।

उत्तराखंड पुलिस ने सभी से अनुरोध किया हैं कि सावधानी बरतें। मौसम के अनुसार ही यात्रा करें और निरंतर मौसम सूचना चेक करते रहें।

भासर देवता उत्तराखंड टिहरी क्षेत्र के लोक देवता।

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भासर देवता

भासर देवता :-

भासर देवता का मंदिर गढ़वाल क्षेत्र के टिहरी जनपद की कड़ाकोट पट्टी के कफना नामक गांव में स्थित है। इसका निशान  होता है लोहे का त्रिशूल या कटार। इनके बारे में कहा जाता है कि यह नागराजा का मामा तथा अन्य देवताओं का बूढ़ा मामा हैं। माँ चन्द्रवदनी देवी इनकी बहिन है। भासर देवता की माता का नाम मेघमाला है। क्षेत्रपाल, घण्टाकर्ण, नगेल देवता आदि को इनका भाई भी माना जाता है।

इसमें असीम शक्ति व सामर्थ्य माना जाता है। बिजली गिराना, पानी को दूध बना देना आदि इनकी शक्ति के परिचायक हैं। अग्नि की ज्वलनशक्ति को शमन करके इसे निष्प्रभावी कर देना भी इनकी अलौकिक शक्ति का परिचायक है। ये मकानों के भीतर रखे जादू-टोनों को प्रकट कर देते हैं । इस प्रकार यह अनेक विलक्षण शक्तियों का प्रदर्शन करते हैं।

भासर देवता उत्तराखंड टिहरी क्षेत्र के लोक देवता।

लोगों का मानना है कि इस देवता का पश्वा शुद्धजल को दूध में परिवर्तित कर देता है और एक सेर घी की बनी हुई रुई की बत्ती को, जब वह भर-भर जलने लगती है, तो सहज ही निगल लेता है। श्रद्धालु भक्त जो इसे देता है, देवता उस पर प्रसन्न होता है। इस भेंट को ‘देवता सोवन पयाली’ अर्थात् स्वर्ण का स्वादिष्ट भोग कहते हैं। ज्ञातव्य है कि देवताओं की शब्दावली में अग्नि को सुवर्ण कहा जाता है। इस देवता का पश्वा इस प्रकार के अनेक चमत्कारों का प्रदर्शन करता है। यह उनियालों का इष्ट देवता है और वही इसके पुजारी भी हैं। इनके अतिरिक्त यह कठैत, राजपूत, रावत आदि क्षत्रिय जातियों का भी इष्ट देवता है।

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  1. कुटेटी देवी उत्तरकाशी ,मात्र दर्शन से ही मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
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  3. ‘गढ़ कन्या’ उत्तराखंड गढ़वाल की एक वीरांगना नारी की वीर गाथा
  4. देवभूमि दर्शन के फेसबुक पेज से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

संदर्भ – प्रो DD शर्मा की किताब उत्तराखंड ज्ञानकोष। एवं डॉ. वाचस्पति मैठाणी।

कुटेटी देवी उत्तरकाशी ,मात्र दर्शन से ही मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

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कुटेटी देवी

कुटटी देवी:

उत्तराखंड गढ़वाल मंडल के सिद्धपीठों में गिना जाने वाला कुटेटी देवी का मंदिर गढ़वाल मंडल के उत्तरकाशी
जनपद में उसके मुख्यालय से लगभग 2-3  किलोमीटर की दूरी पर गंगा के उस पार वारणावत पर्वत के शिखर
पर स्थित है। कहते हैं उत्तरकाशी का ऐरासूगढ़ भी यहीं पर था। पुरे उत्तराखंड में इसकी बड़ी मान्यता है। यह मंदिर देहरादून से 192 किलोमीटर दूर और टिहरी से 74 किलोमीटर दूर है।

उत्त्पत्ति से जुडी कहानी और पौराणिक महत्त्व –

इसके विषय में बड़ी चमत्कारिक कथाएं सुनने को मिलती हैं। इसके विषय में जनश्रुति है कि यह मुस्लिम शासनकाल में आत्मरक्षा व धर्मरक्षा के लिए यहां आकर शरण लेने वाले राजस्थान के राजाओं की रानी के मायके, कोटा गांव की इष्टदेवी थी जिसकी स्वप्नागत प्रेरणा से उन्होंने यहां पर इसकी स्थापना की थी। कहते हैं उनके स्वपन में इस स्थान पर देवी द्वारा निर्देशित पत्थर के तीन खगोलीय सुगन्धित पिंड दिखाई दिए थे। पहले मार्ग की असुविधा के कारण सप्ताह में केवल दो दिन-सोमवार एवं शुक्रवार को ही पूजा होती थी, किन्तु अब सुविधा हो जाने के कारण प्रतिदिन पूजा होने लगी है।

कुटेटी देवी उत्तरकाशी ,मात्र दर्शन से ही मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

यहां पर दशहरे के अवसर परविशेष उत्सव कुटेटी देवी का थौलू का आयोजन किया जाता है जिसमें दूर-दूर के श्रृद्धालु आकर देवीकी पूजा अर्चना में भाग लेते हैं। बींसवीं शताब्दि के छठे दशक तक यहां पर बलिपूजा भी होती थी औरराजा स्वयं पूजा करता था, किन्तु बलिपूजा की समाप्ति के साथ ही पूजा का कार्यभार भी यहां के ब्राह्मणों को सौंप दिया गया है। इसके पुजारी नौटियाल जाति के ब्राह्मण हैं।

कुटेटी देवी के बारे में एक मान्यता यह भी है कि  जो भी निसंतान दंपत्ति माँ के दर्शन करता है ,माँ के दर्शनमात्र से ही उन्हें संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिल जाता है।

कैसे पहुंचे कुटेटी देवी मंदिर उत्तरकाशी –

कुटेटी मंदिर जाने के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। ऋषिकेश से इस मंदिर की दुरी 155 किलोमीटर है। ऋषिकेश से उत्तरकाशी जिला मुख्यालय सड़क मार्ग से जाकर और जिला मुख्यालय से लगभग 2 से 3 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है प्रसिद्ध कुटेटी देवी मंदिर।

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भविष्य बद्री में धीरे -धीरे आकार ले रही भगवान् विष्णु की मूर्ति।

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छात्रों को मिली बड़ी राहत, 9 जुलाई तक कर सकेंगे महाविद्यालयों में प्रवेश के लिए आवेदन

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छात्रों को मिली बड़ी राहत, 9 जुलाई तक कर सकेंगे महाविद्यालयों में प्रवेश के लिए आवेदन
photo from mbgpg college website

देहरादून: राज्य विवि से संबद्ध कॉलेजों में प्रवेश के लिए आवेदन करने का मौका चूक गए छात्रों के लिए खुशखबरी है। उच्च शिक्षा विभाग ने समर्थ पोर्टल को फिर से खोल दिया है। अब छात्र 9 जुलाई तक ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे।

राज्य विवि से संबद्ध कॉलेजों में प्रवेश के लिए समर्थ पोर्टल पर आवेदन करना अनिवार्य है। समर्थ पोर्टल के नोडल अधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए छात्र 25 जून से 9 जुलाई तक आवेदन कर सकते हैं। 10 जुलाई को पहली मेरिट लिस्ट जारी होने के बाद 11 से 15 जुलाई तक काउंसलिंग की जाएगी। वहीं, परास्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए छात्र 1 से 15 जुलाई तक आवेदन कर सकते हैं।

हाल ही में उत्तराखंड मुक्त विद्यालयी शिक्षा परिषद द्वारा 12वीं का परिणाम घोषित किया गया है। समर्थ पोर्टल को फिर से खोलने से उन छात्रों को भी राहत मिलेगी जो राज्य विवि से संबद्ध कॉलेजों में प्रवेश लेना चाहते हैं। परिषद के 103834 छात्रों ने 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की है।

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यह समर्थ पोर्टल को फिर से खोलने का निर्णय उन छात्रों के लिए बड़ी राहत है जो पहले आवेदन करने से वंचित रह गए थे।

आवेदन कैसे करें:

छात्र समर्थ पोर्टल https://ukadmission.samarth.ac.in/ के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करने से पहले, पात्रता मानदंड और आवश्यक दस्तावेजों की सूची को ध्यान से पढ़ें।

जब नौलिंग देवता ने साधा सनगाड़ के मसाण को।

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नौलिंग देवता मंदिर सनगाड़

उत्तराखंड के बागेश्वर में जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर सनगाड़ गावं में स्थित है नौलिंग देवता मंदिर। ये इस क्षेत्र के प्रसिद्ध लोकदेवता हैं। इनका देवालय अपनी भव्यता के कारण पुरे प्रदेश में प्रसिद्ध है। यहाँ नवरात्रियों में विशेष पूजा अर्चना होती है। यहाँ की धार्मिक मान्यता के अनुसार यदि कोई संतान हीन महिला यहाँ 24 घंटे अखंड दीप के साथ खड़रात्रि जागरण करती है तो उसे नौलिंग देवता संतान सुख देते हैं।

नौलिंग देवता का जन्म –

नौलिंग देवता के जन्म के बारे में कहा जाता है कि ये श्री 10008 मूल नारायण भगवान् के पुत्र हैं। कहा जाता है कि मूल नारायण भगवान् और माता सरिंगा से बाज्येण देवता का जन्म हुवा था। उनके जन्म के पांचवे दिन जब वो स्नान  के लिए जलश्रोत के पास गई तो वहां उन्हें एक बालक मिला ,उन्होंने उसे बाज्येण समझकर जल्दी पीठ में रख लिया। बाद में घर जाकर देखा तो बाज्येण तो उनकी डलिया में बैठे थे। इसलिए उनका नाम नौलिंग पड़ा।

एक कहानी इस प्रकार कही जाती है कि माता सरिंगा बाज्येण देव को अपने साथ जलस्रोत पर ले जाती है। मूल नारायण भगवान् को लगता है क़ि उनके सुपुत्र कहीं खो गए हैं ,और वे अपनी सिद्धि से बाज्येन जैसा बालक प्रकट कर देते हैं। बाद में बाज्येण देव अपनी माता के साथ देख कर वे चौक जाते हैं। और सरिंगा एक और बालक देख चौक जाती है। दोनों के बड़े होने के बाद बड़े बेटे बाज्येण को भनार भेजा और छोटे बेटे को सनगाड़ भेजा।

नौलिंग देवता मंदिर सनगाड़

जब नौलिंग देवता ने साधा सनगाड़ के मसाण को –

इधर सनगाड़ गांव में सनगाड़िया मशाण ने आतंक मचाया हुवा था। सनगाड़िया मसाण नर बलि मांगता था। जब नौलिंग देवता वहां पहुंचे उनका और सनगाड़िया मसाण का भीषण युद्ध शुरू हो गया। अंत में नौलिंग देवता ने उस राक्षस का वध कर दिया और वध करके उसे पास के ताल में डाल दिया जिसे अब राक्षस ताल के नाम से जाना जाता है। कहते है मृत्यु से पहले नौलिंग देवता ने मशान को प्रत्येक वर्ष बकरी देने का वादा किया था। यह परम्परा प्रत्येक वर्ष निभाई जाती थी ,लेकिन अब माननीय हाई कोर्ट ने उत्तराखंड में बलि प्रथा पर रोक लगा दी है।

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श्री 1008 मूल नारायण देवता , कुमाऊं के कल्याणकारी देवता।

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जीबी पंत कृषि विवि: रूपक सिंह ने स्नातक, धृति होरे ने एमएससी और गौरव कुमार सिंह ने एमसीए में किया टॉप

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जीबी पंत कृषि विवि: रूपक सिंह ने स्नातक, धृति होरे ने एमएससी और गौरव कुमार सिंह ने एमसीए में किया टॉप
photo from google

पंतनगर: जीबी पंत कृषि विवि (जीबीपीयूएटी) ने आज अपनी वर्ष 2024 की स्नातक, स्नातकोत्तर और एमसीए प्रवेश परीक्षाओं के परिणाम घोषित किए। हवलबाग, अल्मोड़ा के रूपक सिंह ने स्नातक स्तरीय परीक्षा में 506 अंकों के साथ शीर्ष स्थान हासिल किया, जबकि पंतनगर विवि परिसर निवासी धृति होरे ने 470 अंकों के साथ स्नातकोत्तर परीक्षा में टॉप किया। एमसीए में जवाहर नगर, उधमसिंह नगर के गौरव कुमार सिंह ने 375 अंक प्राप्त कर प्रथम स्थान हासिल किया।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजीत कुमार मिश्र ने परीक्षा नियंत्रक डॉ. राजीव सिंह से परिणाम प्राप्त करने के बाद उनकी घोषणा की।

स्नातक स्तर

  1. रूपक सिंह (हवलबाग, अल्मोड़ा) – 506 अंक (प्रथम स्थान)
  2. इशिता बोहरा (लोहाघाट, चंपावत) – 495 अंक (द्वितीय स्थान)
  3. प्रतीक पाण्डेय (हल्द्वानी) – 495 अंक (तृतीय स्थान)

स्नातकोत्तर स्तर

  1. धृति होरे (पंतनगर) – 470 अंक (प्रथम स्थान)
  2. एैमी सजवाण (देहरादून) – 392 अंक (द्वितीय स्थान)
  3. शिप्रवी पाठक (हल्द्वानी) – 380 अंक (तृतीय स्थान)

एमसीए

  1. गौरव कुमार सिंह (जवाहर नगर, उधमसिंह नगर) – 375 अंक (प्रथम स्थान)
  2. गौरव पाठक (लालकुआं) – 371 अंक (द्वितीय स्थान)
  3. हिमानी पाण्डेय (काठगोदाम, नैनीताल) – 362 अंक (तृतीय स्थान)

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कुलपति प्रो. मिश्र ने सभी सफल छात्रों को बधाई दी और उन्हें विश्वविद्यालय में अपने अध्ययन के दौरान कड़ी मेहनत और समर्पण जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय छात्रों को सर्वोत्तम शिक्षा और अनुसंधान सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। परीक्षा नियंत्रक डॉ. राजीव सिंह ने बताया कि प्रवेश परीक्षा में बड़ी संख्या में छात्रों ने भाग लिया था। उन्होंने कहा कि मेरिट के आधार पर ही छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा।

जीबी पंत विवि की वेबसाइट https://www.gbpuat.ac.in/

सभी चयनित छात्र छात्राओं को देवभूमि की पूरी टीम की ओर से हार्दिक बधाई।